
विश्व हिंदी संस्थान कनाडा की हिन्दी के नायक डॉक्टर अंशु सिंह की
उत्कृष्ट सृजित रचनाओं का अतुलनीय अद्वितीय प्रयाश का एक अंश।
हो सजल नैन पद चूम चूम
मन प्रखर द्वंद में घूम घूम
उम्मीद लगाये उस पथ पर
आयेंगे मेरे प्रिय जिस पर ॥
उनके आने से खिलें फूल
राहों में सुरभित मिले धूल
स्मित मुख धर वे दिव्य वेश
मन में न रहा अभिलाष शेष॥
उर में अगाध धर स्नेह प्रखर
जब भरा अंक में गया निखर
तब पिघल उठे दुख के पत्थर
धड़कन के स्वर जब हुये मुखर॥
उस मृदुल स्नेह की छाँह मिली
थकते जीवन को राह मिली
चमका चंदा खिल उठा गगन
झूमी पुरवा महका तन मन॥
होते विलीन तम घने सकल
धड़का उर लेकर सुन्दर लय
खिल गये सुमन हर रंग धरे
ज्यों इन्द्रधनुष शत रंग भरे॥
फैली बाँहें ज्यों दिव्य माल्य
अन्तर्मन स्नेहिल अति विशाल
झर रहे अश्रु ज्यों मेघ सघन
जलदान कर रहे तृषित अवनि॥
बाँधा बाहों में प्रमुदित मन
मानो भर लिया अनन्त गगन
उल्लास हृदय में हुआ सघन
बह चली सुवासित मंद पवन ॥
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