1499 लोगो को तबलीगी जमात से जुड़े लोगों को चिन्हित किया जिसमे 385 से ज्यादा विदेशीसंजय द्विवेदी खास रिपोर्ट
लखनऊ।तबलीगी जमात ने मोदी सरकार के लॉक डाउन अभियान में डाला ख़लल ,तेजी से बढ़ा कोविड -19 संक्रमण का अनुपात मरने वालों की संख्या 100 के पार पहुँची।जमात के मौलवियों की जहिलियत के चलते कोरेना वायरस के बढ़ते ग्राफ में एकाएक तेजी आई है जो देश के हित मे नही है।सीएम यूपी ने कहा कि देश मे 132 मामले केवल तबलीगी जमात के है।अबतक 1499 लोगो को तबलीगी जमात से जुड़े लोगों को चिन्हित किया गया है ।जिसमे 385 से ज्यादा विदेशी है।इन लोगो ने अव्यवस्था और आराजकता फैलाने का पूरा प्रयास किया है।देश मे इंडिया कोविड -19 ट्रैकर के आंकड़े के मुताविक देश में अचानक कोरोना के 3726 कोरेना वायरस से संक्रमित पाये गये जिसमे अभी 3336 एक्टिव है जब कि 290 लोग रिकवर्ड हुये वही 100 से अधिक लोग अबतक मर चुके है।वही यूपी के आकड़ो का ग्राफ भी तेजी से बड़ा है। यूपी के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के आंकड़े को लिया जाय तो 4 मार्च को 227 मामले पाॅजिटिव पाये गये है जिसमें तब्लीगी जमात के 94 मामले सामने आये है। यूपी सरकार ने जमात में शामिल 306 विदेशी नागरिकों में से 228 के पासपोर्ट जब्त किया और कुल 36 लोगो पर एफआईआर दर्ज किया वही तब्लीगी जमात के चिन्हित 1302 लोगों में से 1000 लोगों को किया गया क्वारेंटाइन ।जमात के उपचाराधीन मरीजों को सघन निगरानी में रखा जाये तथा उनके उपचार में कोई कमी नहीं होनी चाहिए यह निर्देश दिया।वही आज का आंकड़ा पर गौर करे तो इंडिया कोविड -19 ट्रैकर के आंकड़े के मुताविक यूपी में अचानक कोरोना के संक्रमण के तेजी से हो रहे बृद्धि के कारण यूपी में 234 कोरेना वायरस से संक्रमित पाये गये जिसमे अभी 211 एक्टिव है जब कि 21लोग रिकवर्ड हुये वही 2 लोग अबतक मर चुके है।और यही जमात है कि जिसने देश में कोरोना संक्रमित मरीज़ों का ग्राफ़ बढ़ाया ही नही अपितु चिकित्सको के साथ भी दुर्व्यवहार किया। बात सोचने की है सरकार के नोटिफ़िकेशन के बावजूद इकट्ठे हुए थे जमाती ।देश की राजधानी नई दिल्ली में तब्लीगी जमात को लेकर जमा भीड़ ने कोरोना का खतरा भारत मे और बढ़ा दिया है।नही तो पीएम नरेंद्र मोदी के सोशल डिस्टिंग्स के फार्मूले से लॉक डाउन के अवधि के भीतर ही किसी हद तक कोरेना संक्रमण को रोकने में कामयाब हो जाते ।जो आज कोरेना के संक्रमण का ग्राफ दिखाई दे रहा है।वह नही दिखाई देता।लेकिन ऐसा नही हुआ ।तबलीगी जमात ने मोदी सरकार के लॉक डाउन अभियान में डाला ख़लल बढ़ा दिया कोविड -19 संक्रमण का अनुपात जो देश हित मे नही था।कोरोना वायरस के प्रसार ने जमात के पारंपरिक तरीके से काम करने को प्रभावित किया है, जिसमें इसके अनुयायी समूहों में मिशनरी कामों के लिए यात्राएं किया करते हैं।
तबलीग-ए-जमात का अंतरराष्ट्रीय केंद्र निजामुद्दीन मरकज़ कोरोना वायरस के प्रसार का एक हॉटस्पॉट बन गया है। आपको क्या लगता है कि वायरस इस जमात के लगातार यात्रा करने वाले अनुयायियों को कैसे प्रभावित करेगा?पहली बात जो याद रखनी चाहिए कि तबलीगी साधारण मुस्लिम हैं, जो जिंदगी को अलग तरह से जीते हैं। अगर राज्य लोगों को समूहों में मिलने से रोकना चाहता है, तो इससे वे भी प्रभावित होंगे, जैसे अन्य मुस्लिम प्रभावित होंगे.
लेकिन एक जगह जहां तबलीगी ज्यादा प्रभावित होंगे, वह उनका मिशनरी काम है। तबलीगी किसी निश्चित संख्या में हर साल तबलीग करने का फैसला करते हैं. इसके बाद वे समूह बनाकर, अक्सर 10-10 के भाषण देने के लिए जगह-जगह जाते हैं. इस गतिविधि को रोकना ही होगा क्योंकि सरकार ने आवाजाही और इकट्ठे होने पर रोक लगा दी है।
बड़ी संख्या में तबलीगी कार्यक्रम के चलते होने वाली मौतों की बात सामने आ रही है, इसके साथ ही सोशल मीडिया ‘कोरोना जिहाद’ और अन्य इस्लामोफोबिक हैशटैग के साथ भर गया है।बताते चले कि हर वर्ग इन्हें है दृष्टि से देख रहा है।इससे मुश्लिम समाज भी आहत है।मुस्लिम समाज के बुद्धिजीवी लोगों ने कहा है कि इस तरह के घिनौना हरकत करने वाले खुदा के बन्दे नही हो सकते है।करता कोई और है पर भुगतना पड़ता हर वर्ग को।इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं।कोई कुछ भी कहे सभी धर्मों का सार इंसानियत है।किसी भी धर्म की जड़ में जाये,वहां पर इंसानियत का ही वर्चस्व है ,ये होना भी चाहिए।लेकिन बदले हुए हालात व परिस्थितियों के मद्देनजर इस्लाम के कुछ ठेकेदार उन सभी परिभाषाओं से खुद को मुक्त करने में जुट गए हैं ।ऐसा लगता है,उन ठेकदारो की वजह से आम पढ़े लिखे मुसलमानं भी स्वयं को मुसलमान कहने से बचने लगेगे क्योकि उन्हें तो इसी वैश्विक समाज में रहना है।
पिछले दिनों भारत में तबलीगी जमात के मुखिया मौलाना साद व उनके लोगो ने जिस तरह कोरोना कोहराम मचाया।देश उन्हें कभी माफ़ नहीं करेगा।गौरतलब है कि तब्लीगी जमात के आतंकी संगठन से कनेक्शन का इतिहास कुछ यूं बता रहा है।इस्लामी मिशनरियों के वैश्विक संगठन तब्लीगी जमात का पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आतंकी संगठन हरकत उल मुजाहिदीन से सम्बन्ध का लंबा इतिहास पहले से रहा है। भारतीय जांचकर्ताओं और पाकिस्तानी विश्लेषकों के मुताबिक हरकत उल मुजाहिदीन के मूल संस्थापक तब्लीगी जमात के सदस्य थे।हरकत उल जिहाद अल इस्लामी (हूजी) से टूटकर 1985 में बने हरकत उल मुजाहिदीन ने अफगानिस्तान से तत्कालीन सोवियत संघ गठबंधन की सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए पाकिस्तान समर्थक जिहाद में भी हिस्सा लिया था।खुफिया अनुमानों के मुताबिक, छह हजार से ज्यादा तब्लीगियों को पाकिस्तान स्थित आतंकी शिविरों में प्रशिक्षित किया गया था। अफगानिस्तान में सोवियत संघ की हार के बाद हरकत उल मुजाहिदीन और हूजी कश्मीर में सक्रिय हो गए थे और उन्होंने सैकड़ों बेगुनाह नागरिकों की हत्या की। हरकत उल मुजाहिदीन के सदस्य बाद में मसूद अजहर के नेतृत्व में बने आतंकी संगठन जैश ए मुहम्मद में शामिल हो गए। भारतीय खुफिया अधिकारी और सुरक्षा विशेषज्ञ बी. रमन ने अपने एक लेख में लिखा था कि तब्लीगी जमात की पाकिस्तान और बांग्लादेश स्थित शाखाओं के हरकत उल मुजाहिदीन, हरकत उल जिहाद अल इस्लामी, लश्कर ए तैयबा और जैश ए मुहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के साथ सम्बन्ध को लेकर समय-समय ध्यान जाता रहा था।