जल निगम भर्ती घोटाला
SIT की जांच में आजम खान को दोशी माना
लखनऊ।आजम खान के कार्यकाल की जल निगम भर्ती में 1300 भर्तियां , SIT जांच के बाद हुई कार्रवाई में रदद् कर दी गयी।बताते चले सीतापुर जेल में बंद समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और रामपुर से सांसद आजम खान की मुश्किले कम होने का नाम नहीं ले रही है। ताजा मामला साल 2016-17 का है। दरअसल, आजम खान के चेयरमैन रहते हुए उनके द्वारा जल निगम में विभिन्न पदों पर 1300 लोगो की भर्ती की गई थी, जिनकी भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता बरती गई।जानकारी के मुताबिक, समाजवादी सरकार में साल 2016 के अंत में जल निगम में 1300 पदों पर भर्तियां निकली थीं। इसमें 122 सहायक अभियंता, 853 अवर अभियंता, 335 नैतिक लिपिक और 32 आशुलिपिक की भर्ती हुई थी। जल निगम विभाग के ही कुछ अधिकारियों ने उस दौरान भर्ती बोर्ड के चेयरमैन पद पर बैठे आजम खान की शह पर जमकर धांधली की थी। लेकिन प्रदेश में योगी सरकार बनते ही जांच शुरू हो गई। यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद इस मामले की जांच एसआईटी को सौंपी गई थी। एसआईटी जांच में भर्तियों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पाए जाने पर योगी आदित्यनाथ सरकार ने सोमवार देर रात सभी भर्तियों को निरस्त कर दिया।
मिली जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश जल निगम भर्ती घोटाले के मामले में पूर्व नगर विकास मंत्री आजम खान के अलावा नगर विकास सचिव रहे एसपी सिंह, जल निगम के पूर्व एमडी पीके आसुदानी, जल निगम के तत्कालीनमुख्य अभियंता अनिल खरे के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। एसआईटी सभी अधिकारियों से लंबी पूछताछ कर चुकी है। अब एसआईटी की जांच प्रकिया पूरी हो चुकी है, जिसमें आजम खान को दोषी माना गया है। एसआईटी की जांच में भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह दोषपूर्ण पाई गई है। फिलहाल एसआईटी ने जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी दी है।
2016 में निकली गयी थी वेकेंसी
प्रदेश में 18 जून 2016 को जल निगम ने लिपिक व आशुलिपिक के पदों पर सीधी भर्ती के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया गया। जिसके अनुसार 335 लिपिक व 63 आशुलिपिक पदों पर लिखित परीक्षा क्रमश: गत पांच से सात अगस्त 2016 के मध्य मुबंई की मेसर्स एपटैक कंपनी ने आयोजित की थी। अंतिम परिणाम 24 दिसंबर 2016 को जारी किया गया, जिसमें आशुलिपिक पदों के लिए टाइप परीक्षा में कोई अभ्यर्थी सफल नहीं होने के कारण परीक्षा निरस्त करने का निर्णय लिया गया था। जल निगम विभाग के ही कुछ अधिकारियों ने इस संबंध में धांधली की शिकायत की थी, जिसके बाद जांच शुरू हुई।योगी सरकार इस मामले में 122 सहायक अभियंताओं को पहले ही बर्खास्त कर चुकी है और घोटले की जांच एसआईटी को सौंप दी गई थी। एसआईटी ने इस मामले में आजम खान समेत 20 से अधिक लोगों से पूछताछ की थी, जिसमें पूर्व नगर विकास सचिव एसपी सिंह भी शामिल थे।