बभनी/सोनभद्र (अरुण पांडेय)
चित्रकला ,निबन्ध प्रतियोगिता के माध्यम से बच्चो को शिक्षा के प्रति किया जागरूक
बभनी।पिरामल फान्डेसन गाधी फेलो के तत्वावधान मे शनिवार को प्राथमिक विद्यालय असनहर पर नो बैग डे का आयोजन किया गया।इस दिन विद्यालय के बच्चे बगैर बैग के विद्यालय पहुचे।जहां बच्चो को खेल ,निबन्ध और चित्रकला के माध्यम से शिक्षा के प्रति जागरूक करते हुए शिक्षा के प्रति जागरूक किया गया।बच्चो की प्रतियोगिता कराकर उन्हे पुरस्कृत भी किया गया।
शनिवार को प्राथमिक विद्यालय असनहर प्रथम पर पीरामल फाउंडेशन के तत्वावधान मे शनिवार को ज्वाय फुल डे ( नो बैग डे) का आयोजन किया गया।इस दौरान विद्यालय के उपस्थित सभी बच्चो को निबन्ध, कहानी ,और चित्रकला के माध्यम से शिक्षा के प्रति जागरूक किया गया।बच्चो ने भी नो बैग डे पर खुब मजे किया।पुरे दिन बच्चे चित्रकला, गतिविधियों ,निबंध ,कहानी,कविता के माध्यम से शिक्षा के प्रति जुडते रहे।खेल खेल मे ही सीखने के कयी आयामो से गुजरे।इस कार्यक्रम के आयोजन से बच्चो ने अनुभव किया कि विभिन्न खेलो से भी पढाई हो सकती है।पिरामल फान्डेशन से आए श्री शर्मा ने बताया कि अलग अलग शनिवार को रंग भरो,
चित्रकला, रंगोली, बालगीत, कविता, वर्तनी अभ्यास, पत्र लेखन, एवं कहानियों के निर्माण जैसे 17 रुचिपूर्ण गतिविधियों को समलित कर नो बैग डे को रूचि पुर्ण मनाया जा सकता है।असनहर विद्यालय मे प्रथम चरण में कक्षा एक से दो तक के बच्चों ने चित्र बनाकर उसमें रंग भरे।कक्षा तीन से पांच तक के बच्चों ने कविता, बालगीत और कहानी वाचन एवं निर्माण किया। कार्यक्रम के दूसरे चरण में कक्षा तीन से पाँच तक के बच्चों की कविता, बाल गीत, कहानी एवं मेरा परिवार/मेरा गांव पर निबंध प्रतियोगिता कराया गया। जिसमे बच्चों ने बढ़चढ़ कर प्रतिभाग किया।इस प्रतियोगिता कक्षा पाच कि प्रिति प्रथम, नाजनी द्वितीय एवं शमा परविन तृतीय स्थान पर रही विजेताओं को सहायक अध्यक जुबैर एवं पीरामल फाउंडेशन से उपस्थित खुशी सिंह ने पुरस्कार देकर प्रोत्साहित किया।इस दौरान पीरामल फाउंडेशन के गांधी फ़ेलो अमित कुमार शर्मा ,खुशी सिह,सहित प्रभारी प्रधानाध्यापक जुबैर आलम, श्यामजी पान्डेय ,चंद्रसेन पांडेय,आगनबाड़ी श्यामला देवी एव सहायिका मुन्नी देवी मौजूद रही।
नो बैग डे का उद्देश्य
बभनी।इसका आयोजन बच्चो मे शिक्षा के प्रति रूचि,रचनात्मक ,सांस्कृतिक मुल्य और संचार को बढावा देने के लिए किया जा रहा है।बच्चो में संचार का विकास हो जिससे वह स्वयं को अभिव्यक्त कर सके और दूसरों के विचारों को सुनने और समझने में सक्षम हो। कक्षा की बाहर की दुनिया से जोड़ते हैं और उनके सामने सैद्धांतिक मूल्यों को परोसने के अलावा स्वयं सोचने का मौका देना है।बल्कि बच्चे के भीतर सांस्कृतिक मूल्यों का संचार भी होता है। इन मूल्यो को उकेरने का एक प्रयास है नो बैग डे।