जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से रावण ने बताए थे ‘स्त्रियों के आठ अवगुण’, रामचरित मानस में इस बात का उल्लेख है…..

जीवन मंत्र । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से रावण ने बताए थे ‘स्त्रियों के आठ अवगुण’, रामचरित मानस में इस बात का उल्लेख है…..

हिन्दू धर्म के अनुसार रावण एक खलनायक है, वह ऐसा व्यक्ति है जिसने किसी की पत्नी को उससे छीनकर अपने यहां बंदी बनाया। दुनिया भर में रावण को बुरा माना जाता है। उसके अवगुणों की ही बात की जाती है। लेकिन उसमें कुछ गुण भी हैं इसकी चर्चा कोई नहीं करता।

रावण एक महापंडित था, उसके जैसा ज्ञानी सारे जगत में उस समय कोई नहीं था यह बहुत कम लोग जानते हैं। रावण की तपस्या में बेहद शक्ति थी। वह अपने कर्तव्यों को निष्ठापूर्वक पूर्ण करता था। रामायण के अनुसार भले ही रावण को पराई स्त्री पर नजर रखने वाला बताया गया हो, लेकिन उसकी एक ही पत्नी थी यह बात नजरअंदाज नहीं की जा सकती।

कुछ इतिहासकारों के अनुसार रावण को सीता में कोई रुचि नहीं थी। वह केवल अपनी पत्नी से ही प्रेम करता था। लेकिन उसकी पत्नी से उसके साथ जो किया, वह एक पत्नी होने के नजरिये से सही नहीं था।

रामचरित मानस के अनुसार सीता को वन से हरण कर ले जाने के बाद रावण उन्हें लंका ले गया। जब श्रीराम को सीता जी के लंका होने के बारे में पता चला तो उन्होंने लंका पहुंचने का प्रयास किया और अंत में वे अपनी वानर सेना के साथ लंका पहुंचने में सफल हुए।

उनके लंका पहुंचने की खबर जब लंकापति रावण के राजमहल तक पहुंची तब रावण की पत्नी मंदोदरी डर गई। वह तुरंत अपने पति के पास गई और उनसे अर्ज की कि वह युद्ध ना करें। सीता को उनके पति श्रीराम को सही सलामत वापस दे दें और उनसे क्षमा मांग लें।

यह सुन रावण बोला –
“नारि सुभाऊ सत्य सब कहहीं। अवगुन आठ सदा उर रहहीं।
साहस अनृत चपलता माया। भय अबिबेक असौच अदाया।“

अपनी पत्नी की बात सुनने के बाद रावण ने उसे पत्नियों के आठ अवगुणों के बारे में बताया। रामचरित मानस के इस दोहे में पत्नियों के वो आठ अवगुण छिपे हैं जो रावण-मंदोदरी संवाद से हासिल हुए हैं।

पहला अवगुण : – रामचरित मानस में वर्णित दोहे के अनुसार पत्नियों में जो पहला अवगुण पाया जाता है वह है ‘बहुत ज्यादा साहस होना’। साहस होना अच्छी बात है लेकिन रावण के अनुसार स्त्रियां अपने साहस का अमूमन गलत जगह इस्तेमाल कर लेती हैं।

जैसे ही उन्हें अपने से या जैसी वे परिस्थिति की अपेक्षा करती हैं, उससे प्रतिकूल कुछ दिखाई दे तो वे उसे बदलने के लिए साहस के साथ आगे बढ़ती हैं। वे ये नहीं समझ पातीं कि उनके द्वारा दिखाया गया साहस सही है या नहीं।

दूसरा अवगुण : – रावण के अनुसार पत्नियों में जो दूसरा अवगुण देखने को मिलता है वह है ‘उनकी निरंतर झूठ बोलने की आदत’। ऐसा नहीं है कि वे पल-पल झूठ बोलती हैं, लेकिन वे बातों को छिपाने के लिए अकसर झूठ का सहारा ले लेती हैं यह सत्य है।

पूर्ण रामायण काल में मंदोदरी ने भी रावण से कई झूठ बोले। कई बार उसने रावण से बातें छिपाई, इतना ही नहीं युद्ध के दौरान मंदोदरी ने दुश्मन का साथ भी दिया।

रावण के अनुसार पत्नियां अकसर झूठ बोलकर खुद भी फंसती हैं और अपने पति को भी दुविधा में डालती हैं। लेकिन सच एक ना एक दिन सामने आ ही जाता है, फिर उन्हें इस बात का पछतावा होता है।

तीसरा अवगुण : – रावण के अनुसार पत्नियों में पुरुषों की तुलना में अधिक चंचलता होती है। उनका मन कभी भी लंबे समय के लिए एक बात पर रुकता नहीं है। कुछ ही समय में वे अपनी ही कही बात पर मन बदल लेती हैं। जिस कारण से परिस्थितियां अस्थिर हो जाती हैं और काबू में नहीं आती।

चौथा अवगुण : – रावण ने पत्नियों के जिस चौथे अवगुण की बात की थी वह है ‘उनके माया रचने का अवगुण’। उसके अनुसार यह स्त्रियों की एक कला है, वे जानती हैं कि किस समय क्या करना है ताकि परिस्थिति उनके अनुकूल हो।

रावण के अनुसार स्त्रियां अपने खुद के स्वार्थों को पूरा करने के लिए कई प्रकार की माया रचती हैं। दुनिया उनकी इस माया से बेखबर होती है। अपना काम सिद्ध कराने के लिए महिलाएं क्या-क्या करती हैं, इसकी भी चर्चा की है लंकापति रावण ने।

रावण की राय में अपनी बात मनवाने के लिए स्त्रियां रूठती है, रुष्ट होने का नाटक करती हैं, कई बार प्रलोभन देती हैं और साथ ही जब जरूरत पड़े तो कार्य सिद्ध कराने के लिए सामने वाले व्यक्ति को हर तरीके से मनाती भी हैं। लेकिन अंत में अपना काम करवा लेती हैं।

पांचवां अवगुण : – रावण ने पत्नियों के जिस पांचवे अवगुण की बात की है वह है ‘उनका डरपोक होना’। स्त्रियां बहुत जल्दी घबरा जाती हैं, परिस्थिति में यदि वे अचानक बदलाव देख लें तो डर जाती हैं कि आगे क्या होगा।

मंदोदरी ने भी कुछ ऐसा ही बर्ताव किया। जब उसे मालूम हुआ कि श्रीराम, जो स्वयं शिव जी के परम भक्त हैं, वे रावण से युद्ध करने के लिए लंका पहुंच गए हैं तो उसे अपने पति की मृत्यु का भय सताने लगा। और इसी डर के कारण उसने अपने पति को युद्ध ना लड़ने की सलाह दी और अपना बल दिखाने से पहले ही हार मान लेने और क्षमा मांगने के लिए कहा।

इसलिए रावण ने यह कहा कि भले ही स्त्रियां कितनी ही साहसी क्यों ना हो, लेकिन उनके मन में एक भय जरूर होता है। यह भय उनसे अजीबोगरीब कार्य करवाता है, इस भय के कारण उनकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है।

छठा अवगुण : – ‘मूर्खता’… जी हां, रावण के अनुसार स्त्रियों का छठा अवगुण है उनकी मूर्खता। स्त्रियां भले हे तेज दिमाग वाली हो सकती है, बुद्धिमान भी हो सकती हैं, लेकिन उनमें कई बार अविवेक जैसा अवगुण देखा गया है। जिसके कारण वे बिना सोचे समझे निर्णय ले लेती हैं और बड़ी समस्या में पड़ जाती हैं।

सातवां अवगुण : – रावण के अनुसार स्त्रियों का सातवां अवगुण है ‘निर्दयता’। स्त्रियां दया जरूर करती हैं लेकिन जिस बात पर उन्हें दया ना आए, वे कभी उस पर भविष्य में भी दया नहीं दिखाती। यह उनका हठ ही समझ लीजिए।

आठवां अवगुण : – ‘अपवित्रता’… माफ कीजिएगा आपको इस बात पर सच में बुरा लग रहा होगा लेकिन रावण के अनुसार महिलाएं अपवित्र होती हैं। उनमें साफ-सफाई का अभाव होता है।

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