सोनभद्र(सीके मिश्रा/शिव प्रकाश पाण्डेय)पिपरी स्थित जी आई सी के मैदान में आयोजित श्री राम कथा के तृतीय दिवस में मानस कथा मर्मज्ञ पूज्य श्री राजन जी महाराज के द्वारा राम जन्म की दिव्य प्रस्तुति की गई ।
उन्होने ने बताया कि भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्म के अनेको कारण हैं। जिसमें प्रमुख चार हैं प्रथम सोनका देशों द्वारा भगवान विष्णु के द्वारपाल जय विजय को श्राप देना। द्वितीय नारद जी द्वारा भगवान राम को श्राप देना ।तृतीय मनु शतरूपा को भगवान विष्णु का पुत्र रूप में आने का आशीर्वाद आदि अनेक कारणों से हुई । महाराज जी कहते है ” होई धरम की हानि बाड़े असुर अधम अभिमानी ,तब तब प्रभु धरी विविध शरीरा ,हर कृपानिधि सज्जन पीड़ा “पृथ्वी के भार को हरण करने वाले भगवान विष्णु समय-समय पर अवतरित होकर पृथ्वी के भार को हरण करते है । श्री भगवान श्री राम के जन्म के बारे उन्होने कहा कि “भूपति मन माही भाई कलाल मोरे सुत नाहीं “एक दिन राजा दशरथ को बहुत काल बाद पुत्र ना होने की ग्लानि हुई तो वह अपने गुरु गृह गए तुरंत महिपाला गुरु वशिष्ठ के चरणों में शीश नवाकर अपना निवेदन प्रस्तुत किया तो गुरु ने कहा कि हे धरमबीर राजन आपको चार पुत्र होंगें यह ब्राह्मण का आशीर्वाद है ।उस समय की परंपरा रही कि कोई भी राजा किसी भी कार्य को करने से पहले पहले अपने गुरु और ब्राम्हणो की सलाह एवं आशीर्वाद लेकर तब उस कार्य को करता था और तभी वह पूर्ण होता था ।वही कार्य राजा दशरथ ने किया कि गुरु गृह गए तुरंत महिपाला और फिर श्रृंगी ऋषि ने आकर यज्ञ किया जिसमें अग्निदेव प्रगट होकर खीर का भोग दिया जिससे चारों राजकुमारों का जन्म हुआ । गोस्वामी जी कहते हैं कि” विप्र धेनु सुर संत हित लीन मनुज अवतार “ब्राह्मण देवता और संतों की रक्षा के लिए भगवान बार-बार पृथ्वी पर विविध स्वरूपों से अवतार लेकर पृथ्वी के भार को भरते हैं और दुष्टों का संहार करते हैं आसुरी प्रवृत्तियों का नाश करते हैं इसलिये प्रभु श्री राम ने जन्म लिये हैं ।कथा में दैनिक यजमान अरुण कुमार तिवारी एवं गीता तिवारी तथा मुख्य यजमान शत्रुध्न सिंह एवं गीता सिंह रहे इस अवसर पर डाँ धमैन्द्र चौधरी,वेद प्रकाश तिवारी, लाल बहादुर सिंह,उमेश ओझा, एस एन शुक्ला,रमाशंकर पाण्डेय!धनंजय दूबे समेत बडी संख्या में श्रोता मौजूद रहे।