
-अनिल बेदाग-
भारत में मेडिकल टूरिज़्म लगातार बढ़ रहा है। भारतीय सर्जनों से इलाज करावाने के लिए पूरी दुनिया से मरीज़ आते हैं। 20 वर्ष की एक इराकी मेडिकल छात्रा इमाम अमीन पिछले छह वर्ष से रीढ़ की हड्डी के टेढ़ेपन से परेशान थी। मीडिया के द्वारा उसे गोकुलदास तेजपाल अस्पताल के बारे में पता चला। इंटरनेट के जरिए वह वहां के प्रोफेसर डॉक्टर धीरज सोनावणे के संपर्क में आई, जो स्पाइन व स्कोलियोसिस के सर्जन हैं। आर्थिक स्थिति से कमजोर ईमाम यह जानकर संतुष्ट हो गई कि राज्य सरकार के अस्पतालों में बहुत कम खर्च में इलाज संभव है और यह इलाज अनुभवों सर्जनों के द्वारा किए जा रहे हैं। ईमाम को बताया गया कि रीढ़ की हड्डी को सीधा करने वाले उपचार का खर्च तीन हजार अमेरिकन डॉलर आएगा जो बाकी देशों से सस्ता था। ईमाम ने तुरंत अपना मेडिकल वीज़ा लगवाया और मुंबई के सर जेजे अस्पताल में भर्ती हो गई। वहां उसके तमाम टेस्ट हुए हुए और उसके बाद बेहतरीन तकनीक का इस्तेमाल करते हुए उसका ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया गया।
इस सर्जीकल टीम में वरिष्ठ स्पाइन व स्कोलियोसीस सर्जन डॉक्टर धीरज सोनामणे, डॉक्टर अजय चंदनवाले, डॉक्टर नितीन महाजन, स्पाईनफेलो डॉक्टर ओमकार शिंदे और नर्स शहनाज़ शामिल थीं। इस बड़े ऑपरेशन के दौरान खून चढ़ाने के साइड इफेक्ट्स को कम करने के लिए आधुनिक ऑटो ट्रांसफयूजन तकनीक का इस्तेमाल किया गया। तीसरे दिन ही इमाम ने चलना शुरू कर दिया। प्रोफेसर डॉक्टर धीरज सोनावणे ने बताया कि यह ऑपरेशन तकनीकी तौर पर बेहद कठिन था लेकिन हमने सर्जरी की सभी
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