धर्म डेक्स। जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से कर्ण रोग और उपाय……
ज्योतिष शास्त्र में शनि से चतुर्थ भाव में वुध स्थित हो , तो जातक को कम सुनाई देता है !
द्वादश भावों में शुक्र स्थित हो जातक को बाएं कान में कम सुनाई देता है !
यदि द्वितीय अथवा द्वादश भाव में शुक्र अथवा मंगल हो तो जातक के कान में पीड़ा होती है कान के गड्ढे में विकार होता है !
यदि तृतीय अथवा एकादश भाव में गुरु शनि और मंगल से युक्त अथवा दृष्ट हो तो कर्ण विकार की संभावना रहती है !
मंगल द्वितीयेश के साथ जन्म लग्न में बैठा हो। अथवा द्वितीयेश जिस भाव में स्थित हो। उस भाव का स्वामी यदि अष्टम भाव में हो तो जातक के कानों में पीड़ा होती है।
शुक्र षष्ठेश होकर लग्न में बैठा हो और उस पर चंद्रमा तथा पाप ग्रह की दृष्टि हुई हो तो जातक के दाएं कान में और यदि जातक का जन्म रात्रि में हुआ हो . बुध षष्ठ भाव में एवं शुक्र दशम भाव में हो तो जातक के बाए कान में रोग होता है !
तृतीय भाव में स्थित पाप ग्रह अथवा तृतीय भाव किसी पाप ग्रह से दृष्ट हो अथवा तृतीय अथवा एकादश भाव में स्थित पाप ग्रह पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि ना हो तो अथवा लगन में तृतीयेश एवं मंगल की युति हो तो भी जातक को कर्ण रोग होता है!
उपाय
मंजू बिल को कूटकर और सिरके में उबालकर छान लें इसी कान में डालने से कान का बहना बंद होता है दर्द रुकता है
उपाय
ज्योतिष के अनुसार बुध ग्रह से संबंधित उपाय किए जाने चाहिए
उपाय
जैसे कि जातक को पन्ना धारण करवाना चाहिए
उपाय
मंगल की दशा रहे तो दूर्वा से स्नान कराना चाहिए
उपाय
जातक को छगदान कराना चाहिए
उपाय
मेरे स्वयं के मतानुसार जातक को मेडिकल गया आयुर्वेदिक इलाज कराना चाहिए
उपाय
सूरजमुखी के पत्तों के रस में सरसों का तेल मिलाकर खाने से कान बहने का विकार मिट जाता है
उपाय
सहजने की छाल का रस कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है
उपाय
अलसी के तेल को गर्म करके कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है
उपाय
जिस कान में दर्द हो उसके दूसरे कान में भी ग्वार के पत्ते करस टपकाने से कान का दर्द ठीक हो जाता है
उपाय
ग्वारपाठे का रस हल्का गर्म करके कान में उसकी कुछ बूंदें डालने से कान का दर्द कम हो जाता है
उपाय
कान दर्द में जामुन का तेल मिल लाभ पहुंचाता हैं