जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से ग्रहण काल में क्या करें न करने योग्य बातें….

जीवन मंत्र । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से ग्रहण काल में क्या करें न करने योग्य बातें….

ग्रहण में क्या ना करें….

1. ग्रहण की अवधि में तेल लगाना भोजन करना, जल पीना, सोना, केश विन्यास करना, रति क्रीडा करना, मंजन करना, वस्त्र नीचोड़्ना, ताला खोलना, वर्जित किए गये हैं ।
2. ग्रहण के समय सोने से रोग पकड़ता है, मल त्यागने से पेट में कृमि रोग पकड़ता है, स्त्री प्रसंग करने से सूअर की योनि मिलती है और मालिश या उबटन किया तो व्यक्ति कुष्ठ रोगी होता है।
3. देवी भागवत में आता हैः सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक अरुतुन्द नामक नरक में वास करता है। फिर वह उदर रोग से पीड़ित मनुष्य होता है फिर गुल्मरोगी, काना और दंतहीन होता है।
4. सूर्य में चार प्रहर पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए (1 प्रहर = 3 घंटे) । बूढ़े, बालक और रोगी एक प्रहर पूर्व खा सकते हैं ।

5. ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ना चाहिए।
6. ‘स्कंद पुराण’ के अनुसार ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से बारह वर्षो का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है ।
7. ग्रहण के समय कोई भी शुभ या नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
8. ये शास्त्र की बातें हैं इसमें किसी का लिहाज नहीं होता।

ग्रहण काल में करने योग्य बातें….

1. ग्रहण लगने से पूर्व स्नान करके भगवान का पूजन, यज्ञ, जप करना चाहिए ।
2. भगवान वेदव्यास जी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्य ग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है।
3. ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है।
4. ग्रहण समाप्त हो जाने पर स्नान करके ब्राम्हण को दान करने का विधान है ।
5. ग्रहण के बाद पुराना पानी, अन्न नष्ट कर नया भोजन पकाया जाता है, और ताजा भरकर पीया जाता है।
6. ग्रहण पूरा होने पर सूर्य या चन्द्र, जिसका ग्रहण हो, उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए।
7. ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए।
8. ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरत मंदों को वस्त्र् दान देने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है

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