बेरोजगार युवा बने मरीज व परिजनों का सहारा, जेबखर्च से हो रहा गुजारा
अस्पताल में जिन्दगी और मौत से जंग लड़ रहा सोनभद्र का लाल
सरकार, प्रशासन का बुरा हाल जन सुविधाओं को लेकर उठ रहा सवाल
सोनभद्र। जिला मुख्यालय से महज 3 किमी दूर रावर्ट्सगंज ब्लाक स्थित पापी गांव का एक 18 वर्षीय युवक लगभग 3 महीने से गरीबी और तंगहाली के चलते एक निजी अस्पताल में जिन्दगी और मौत से जूझ रहा है परिजनों के पास आय का कोई साधन नही है खेती के नाम महज 10 विस्वा जमीन और उसमें जजर्र मकान परिवार में माता- पिता के अलावा दो छोटे भाई और एक बहन जिसका विवाह रिश्तेदारों ने किया आज यह परिवार रोजी- रोटी के लिए मोहताज है उस पर ये बीमारी मार और परिजनों पर टूटे दुख के इस पहाड़ से माता- पिता पूरी तरह टूट चुके हैं जमीन और घर को गिरवी रखकर इलाज करा रहे परिजनों को आगे कुछ सूझ नही रहा जो कुछ था सब इलाज में लगा चुके हैं बेटे को सकुशल बचा चुके हैं अब प्लास्टिक सर्जरी कराने पैसे नही है वक्त के मार और आपदा के प्रहार से पूरी तरह टूट चुके माता- पिता को बस लोगों के मदत की दरकार है।
माँ लगा रही बेटे की जिन्दगी के लिए गुहार, मौत से जूझ रहा प्रदीप कुमार–
निजी अस्पताल में मौत से जूझ रहे पाँपी गांव निवासी प्रदीप पाण्डेय 18 वर्ष की उम्र में भी अनपढ़ हैं परिवार के पास जीविकोपार्जन के लिए मजदूरी के अलावा कोई अन्य साधन नही है सरकार द्वारा गरीब परिवारों को दी जाने वाली सुविधाओं की बात करें तो इस परिवार को किसी योजना का लाभ भी नही मिला है जनपद में साक्षरता अभियान व स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सरकार द्वारा पेश किये जा रहे आंकड़ो के हकीकत की ये महज बानगी है इसके अलावा भी ऐसे कई उदाहरण हैं जो अब तक सरकारी फाइलों में दफन हो चुके हैं।
परिजनों को है मदत की दरकार —
अस्पताल में जिन्दगी और मौत से संघर्ष कर रहे पाँपी गांव निवासी प्रदीप पाण्डेय (18) पुत्र रामचन्द्र पाण्डेय की जिन्दगी बचाने के लिए सोनभद्र फाउंडेशन ने मुहिम सुरु किया तो लोगों ने सहयोग के लिए हाथ बढ़ाया लेकिन प्लास्टिक सर्जरी करने के लिए पैसे कम पड़ रहे हैं ऐसे प्रदीप की जिन्दगी बचाने के लिए परिवार को लोगों के मदत की दरकार है।
युवाओं, छात्रों व समाज सेवियों के साथ जन- जन ने बढ़ाया मदत के लिए हाथ–
भारत के एकता और मानवता की यह सबसे बड़ी मिशाल है कि यहां मुसीबत के वक्त लोग एक दूसरे के सहयोग में खड़े हो जाते है प्यासे को पानी और भूखे को भोजन कराने के साथ यहां लोग सेवादारी भी करते है जब भी लोगों ने सेवा और सहयोग के लिए हाथ बढ़ाया है तो बड़ी बड़ी मुसीबतों से पल – भर में निजात पाया है और परिजनों को भी इस बात का भरोसा है कि दुनिया मे आज भी मानवता जिंदा है लोगों ने हाथ बढ़ाया है तो प्रदीप को बचाएंगे भी अब देखना है कि इन्शान के रूप में भगवान बनकर कौन आगे आता है और इस गरीब बेटे की जिन्दगी बचाता है सनद रहेगा यदि यह 18 वर्षीय युवा इलाज के अभाव में यह जंग हार गया तो मानवता शर्मसार हो जायेगी लेकिन प्रदीप की माँ अनुसुइया को पूरा भरोसा है कि लोग उनके बेटे को बचाने के लिए आगे आयेंगे और उनका लाल खुद के कदमों पर खड़ा होकर जिन्दगी की नई सुरुआत करेगा और इस गरीबी में उनके बुढ़ापे का सहारा बनेगा।
5 लाख रुपये के मुफ्त इलाज का दावा हवा – हवाई, इलाज के लिए दर- दर की ठोकरें खा रहा यह परिवार–
रावर्ट्सगंज ब्लाक के पाँपी गांव निवासी रामचन्द्र पाण्डेय का 18 वर्षीय पुत्र प्रदीप पाण्डेय पैर में सड़न होने के कारण एक निजी अस्पताल में जिन्दगी और मौत से संघर्ष कर रहा है परिजनों के मुताबिक पैर काटने की नौबत थी लोगों के मदत से चिकित्सक द्वारा इलाज करके संक्रमण से बचा लिया गया प्लास्टिक सर्जरी कराने के लिए परिवार के पास पैसे नही है वही आयुष्मान भारत योजना के तहत पांच लाख रुपये के मुफ्त इलाज का सरकारी दावा हवा- हवाई साबित हो रहा है।