जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से आज दूसरो के हिस्से का भोजन न खाएं……

धर्म डेक्स । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से आज दूसरो के हिस्से का भोजन न खाएं……..

महाभारत के महानायक भीम को भोजन बेहद पसंद था। महाभारत की यह कहानी कौरव और पांडव के बचपन की है। तब सभी साथ रहते थे। लेकिन जब भोजन होता तो भीम, सबसे ज्यादा भोजन करते थे। इस बात को लेकर दुर्योधन और उनके भाई नाराज रहते थे। क्योंकि भाम उनके हिस्से का भी भोजन खा जाया करते थे।
एक दिन की बात है दुर्योधन ने चुपके से भीम के भोजन में जहर मिला दिया। और उन्हें अपने साथ नदी किनारे घुमाने ले गए। जब भीम मूर्छित हो गए तो उन्हें नदी में फेंक दिया। नदी में एक नाग रहता था। उसने भीम का औषधि से इलाज किया और उन्हें स्वस्थ कर पुनः नदी के किनारे छोड़ दिया।
भीम, अपने घर यानी हस्तिनापुर के राजमहल में पहुंचे। जब भीम वापिस आते हैं तो हस्तिनापुर में शोक सभा हो रही होती है। सबको ये सग रहा था कि भीम मर गये हैं। उनके लिए श्राद्ध का आयोजन उसी दिन रखा गया। भीम, महल में पहुंचे जहां कई तरह की सब्जियां और फल कटे हुए रखे थे।
भीम ने इन सभी सब्जियों और फलों को देख उसका एक व्यंजन बनाया। वर्तमान में तमिल लोग ‘अवियल’ नामक व्यंजन बनाते हैं, इसका इजाद करने का श्रेय भीम को ही जाता है।
ठीक इसी तरह, जब भीम अज्ञातवास में होते हैं तो राजा विराट के यहां वह बाबर्ची का कार्य करते हैं। वह खाना बनाते हैं, परोसते हैं लेकिन उसे सभी के खाने के बाद ही खा सकते हैं। उनके लिए एक तरह से यह दंड था। क्योंकि भीम जिंदगी भर दूसरों के भाग का भी खाना खा लिया करते थे।
और आखिर में भीम के अंत समय यानी जब वह स्वर्गारोहण पर अपनी माता और भाइयों के साथ जा रहे थे। तो वह बर्फीली चट्टान से गिर गए। उन्हें दूसरों के भाग का खाने के कारण नर्क मिलता लेकिन, उन्होंने जीव कल्याण के भी कार्य किए थे, इसलिए उन्हें स्वर्ग में जगह मिली।

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