जानिये आचार्य वीर विक्रम नारायण पाण्डेय से लक्ष्मी क्यो रूठी…

धर्म डेस्क।जानिये आचार्य वीर विक्रम नारायण पाण्डेय से लक्ष्मी क्यो रूठी…

लक्ष्मी धन की अधिष्ठात्री देवी है। लक्ष्मी के बारे में कहा जाता है यह चंचला है यह किसी एक जगह ज्यादा समय तक स्थिर नहीं रहती है। इस विचारधारा के परोक्ष में हमारा एक संदेश है जिसे व्यक्ति समझना नहीं चाहता। लक्ष्मी जिस घर में अपनी कृपा की वर्षा करती है एक प्रकार से वहां लक्ष्मी का ही निवास मान लिया जाता है। लक्ष्मी को स्थाई रूप से वहां कैसे रखा जाए इसकी पूर्ण जिम्मेदारी उस घर के सदस्यों पर आती है। अनेक व्यक्ति लक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्ति के पश्चात मदमस्त होकर दुष्कर्म करते हुए कुमार्ग पर चल निकलते हैं। कुछ व्यक्ति लक्ष्मी (धन) का दुरुपयोग तो करते ही हैं साथ ही वे श्रम से भी नाता तोड़ लेते हैं। ऐसी स्थिति में और ऐसे स्थान पर लक्ष्मी स्थाई रूप से कैसे रहे। सम्पन्नता आने के पश्चात जब दुष्कर्म से विपन्नता उपस्थित होती है तो लोग मान लेते हैं कि लक्ष्मी चंचला है वह एक स्थान पर स्थाई रूप से नही रहती है। हमारा यह मत है कि लक्ष्मी आपके पास पूर्ण रूप से स्थाई रह सकती है। यदि आपमें इसे स्थाई रूप से रखने की सामर्थ है। तो अन्यथा तो लक्ष्मी चला है ही। अनेक व्यक्ति लक्ष्मी प्राप्ति के बाद भी अपने श्रम से मुंह नहीं मोड़ते। समय के साथ-साथ इन लोगों पर लक्ष्मी की कृपा अधिक हो जाती है। वे लोग अत्यंत भाग्यवान होते हैं जिन पर लक्ष्मी स्थाई कृपा बनाए रखी है। लक्ष्मी का प्रबल शत्रु एवं प्रतिद्वंदी दरिद्रता है। दरिद्रता अपने सहयोगी कर्ज के माध्यम से घुसपैठ करने को हमेशा तत्पर रहती है। दरिद्रता के सहयोगी कर्ज को ज्यादा समय तक रुकने का मौका मिला तो लक्ष्मी घर से पलायन कर जाती है। लक्ष्मी अर्थात धन हमेशा से ही जीवन का अनिवार्य अंग रहा है। धन की अनिवार्यता पर स्वयं भर्तृहरि महाराज ने भी कहा है कि…

यस्यार्था: तस्य मित्राणि यस्यार्था: तस्य बांधव:।
यस्यार्था: स पुमांलोके यस्यार्था: स च जीवति।।

अर्थात जिसके पास धन है मित्र भी उसी के हैं। जिसके पास धन है भाई भी उसी के हैं। जिसके पास धन है पुरुषार्थ भी उसी के पास है। जिसके पास धन है जीवन भी उसी के पास है। अर्थात धन के अभाव में कुंठा व अभाव के अलावा कुछ नहीं।

शास्त्रों में अनेक छोटी-छोटी बातें मिलती हैं जिन पर ध्यान ना दिया जाए तो व्यक्ति कर्ज में आ जाता है। लक्ष्मी उनसे मुंह मोड़ लेती है लक्ष्मी का अभाव अर्थात धन का ना होना ही कर्ज का प्रमुख कारण है। हम यदि इन बातों पर ध्यान दें तो कर्ज़ का दैत्य हमे ज्यादा समय तक अपने पाश में नहीं बांध सकता। नीचे कुछ ऐसे ही कारण है जिनके कारण लक्ष्मी हमसे रुष्ट हो जाती है।

1👉 मंगलवार को कर्ज लेने पर लक्ष्मी रुष्ट हो जाती है तथा कर्ज का निवास घर में स्थाई रूप से हो जाता है।

2👉 बुधवार को ऋण (कर्ज) देने पर लक्ष्मी अप्रसन्न होती है बार-बार ऐसा करने पर वह उस घर को त्याग देती है।

3👉 कमल पुष्प, बिल्वपत्र को लांघने अथवा पैरों से कुचलने पर लक्ष्मी रुष्ट होकर अपना निवास उस घर से बदल देती है जहां ऐसा होता है।

4👉 ईशान कोण में शौचालय एवं रसोई घर बना लेने से लक्ष्मी उस घर से मुंह मोड़ लेती है यही वह अवसर होता है जब कर्ज दबे पांव घर में प्रवेश कर लेता है कर्ज को फलने फूलने में उसके साथ ही रोग में हानि विशेष सहयोग करते हैं।

5👉 ब्रह्म स्थान में जूठन गंदगी तथा गड्ढा करने वालों को लक्ष्मी कभी माफ नहीं करती है वह अपनी कृपा दृष्टि से अति शीघ्र वंचित कर देती है।

6👉 जो निर्वस्त्र होकर स्नान करता है नदियों तालाबों के जल में मल मूत्र त्यागता है उसको लक्ष्मी अपने शत्रु कर्ज की दया पर छोड़ देती है।

7👉 जो अनावश्यक भूमि भवन की दीवारों पर लिखता है कुत्सित अन्न को खाता है उस पर भी लक्ष्मीकृपा नहीं करती है।

8👉 जो पैर से पैर रगड़ कर धोता है अतिथियों का सम्मान नहीं करता है याचकों को दुत्कारता है पशु पक्षियों को चारा चुगा नहीं डालता है। गाय पर प्रहार करता है ऐसे व्यक्ति को लक्ष्मी तुरंत छोड़ देती है।

9👉 जो संध्या समय घर प्रतिष्ठान में झाड़ू लगाता है जो प्रातः एवं संध्या काल में धूपबत्ती से ईश्वर की आराधना नहीं करता है जहां तुलसी के पौधे की उपेक्षा अनादर होता है उसको लक्ष्मी उसके दुर्भाग्य के हाथों में सौंप देती है।

10👉 जिस घर में परस्पर कलह रहता हो महिलाओं का अनादर होता हो माता-पिता की उपेक्षा होती हो उस व्यक्ति से लक्ष्मी अपनी दृष्टि फेर लेती है।

11👉 जो व्यक्ति सूर्योदय के बाद भी सोता रहता है उस पर लक्ष्मी की कृपा दृष्टि नहीं होती ऐसे लोग सामान्यतः अकर्मण्य तथा काम से जी चुराने वाले होते हैं। ये व्यक्ति श्रम साध्य कार्यों से दूर भागते हैं कर्म के अभाव में लक्ष्मी अपनी कृपा की वर्षा कैसे करें।

12👉 देवी देवताओं की तस्वीर मूर्ति की तरफ पैर करके सोता हो उस पर तो निश्चित रूप से किसी भी देवता की कृपा नहीं हो सकती है।

13👉 मजबूर एवं अभावग्रस्त की हंसी उड़ाने वाले व्यक्ति को लक्ष्मी अपनी कृपा से वंचित कर देती है।

14👉 जिस व्यक्ति की नियत में खोट हो अर्थात सामर्थ के होते हुए भी किसी से लिया गया धन ना लौटाता हो उस व्यक्ति को लक्ष्मी की कृपा से वंचित होने से साक्षात विष्णु भी नहीं रोक सकते हैं।

15👉 जो व्यक्ति बिना पुरुषार्थ के धनी बनने हेतु झूठ चोरी बेईमानी जुआ सट्टा इत्यादि का सहारा लेता है उसे तो लक्ष्मी बिना कोई अवसर दिए तुरंत दरिद्रता के हवाले कर देती है।

16👉 जो व्यक्ति किसी भी प्रकार के व्यसन को अपनाता है तो वह निरंतर लक्ष्मी से दूर होता चला जाता है इसमें नशा उत्पन्न करने वाले व्यसन अत्यंत घातक माने गए हैं इसे लक्ष्मी धन का अपव्यय तो होता ही है साथ ही शरीर भी अनेक रोगों से ग्रस्त हो जाता है।

ऐसे अनेक कारण हैं जो देखने में भले ही साधारण लगते हो परंतु व्यवहार में हम इसका मूल्यांकन करें तो धीरे-धीरे कर्ज तथा विपत्ति की ओर धकेलने में इन कारणों का प्रमुख हाथ होता है।

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