लक्षमण रेखा पार करते ही रावण ने किया माता सीता का हरणपंकज सिंह/विकास अग्रहरि@sncurjanchalम्योरपुर में चल रहे श्री राम लीला मंचन के आठवें दिन राम केवट संवाद,शुर्फ़नखा का नाक कान कटना,खर-दूसर वध,सीता हरण,जटायु मोक्ष,का प्रसंग रामचरित्र मानस के आधार पर लीलाओ का मनमोहक लीला गांव कलाकरों ने खेला जिसे देखने के लिये आस पास के दर्जनों गांव के श्रद्धालुओं का रामलीला प्रांगण में भीड़ उमड़ पड़ा अयोध्या से 14 वर्षों के किया बनवास जाते वक्त हो गयी सुनीअयोध्या राम वनों को जाने लगे के भजन सुन ग्रामीण भाव विभोर हो गए नदी किनारे श्री राम के पहुचने पर केवट राम संवाद ने सभी श्रद्धालुओ का मन मोहा नदी पर कर श्री राम पंचवटी कुटिया पहुचे है जहाँ जंगलों में विचरण कर रही शुर्फ़नखा दो सुन्दर राज कुमार देख उनसे शादी करने का मन बना मोहनी का रूप धारण कर आती है तथा दिनों भाई को रिझाने के लिये नृत्य करती है प्रभु श्री राम कहते है मैं शादी शुदा हु तुम अपनी बात को लक्षमण से कहो जैसे ही लक्षमण से अपनी बात शुर्फ़नखा कहने जाते है उनके द्वारा नाक कान काट दिया जाता है कटी नाक कान लेकरशुर्फ़नखा खर-दूसन के पास जाती है बहन की कटी नाक कान देख खर-दूसन दण्डक वन जा युद्ध करते है युद्ध मे दोनो को बिर गति प्राप्त होती है।दोनो भाई की मौत की खबर लेकर शुर्फ़नखा रावण दरबार पहुच अपनी आप बीती बताती है और कहती दण्डक वन में दो राज कुमार आये है जिन्हें देखर मैं उनसे विवाह करना चाहा लेकिन एक ने मेरा नाक काट दिया शुर्फ़नखा की बात सुन रावण कहता है क्या तुमने खर-दूसन से नही कहा तब बताती है मैंने दोनो सेजाकर कहा लेकिन दोनो भाइयों ने खर-दूसर का वध कर दिया यह सुन तीनो लोको का ज्ञानी रावण समझ जाता है कि प्रभु का अवतार हो गया और मन ही मन कहता है मैं बैर भाव ही रखूंगा जिससे पूरे राक्षसो को मोक्ष की प्राप्ति हो सके रावण मामा मारिक्ष के पास जाकर कहता है तुम सोने का मृग बन जाना और दोनो भाइयो को वनों में दूर ले जाना मैं उचित समय देख सीता का हरण कर लूंगा मारिक्ष द्वारा दण्डक वन में जाकर माता सीता के सामने मृग बन बार बार सामने आता है जिसे देख माता सीता प्रभु श्री राम से मृग पकड़ने का अनुरोध करती है पत्नी की बात मान लक्षमन को सीता माता का कुटिया रक्षा करने के लिए कह श्री राम मृग को पकड़ने चले जाते है कुछ देर बाद हाय लक्षमन हाय लक्षमन का आकाशवाणी होता है जिसे सुन माता सीता घबरा जाती है और लक्षमन को जाने को कहता है माता का बात मान लक्षमन वनों में जाते है लेकिन जाते जाते कुटिया के चारो तरफ लक्षमन रेखा खिंच जाते है और माता से रेखा पार न होने को कहते है।तब रावण साधु के वेश धारण कर भिच्छा मांगता है माता सीता जैसे ही भिच्छा रेखा के देती है रावण हाथ जैसे ही आगे करता है अग्नि प्रकट हो जाती है तब रावण कहता है बंदी भिच्छा नही लेगा जोगी पंचवटी जहा सिया रहे रावण की बात सुन माता सीता लक्षमन रेखा पार जैसे ही करती है रावण माता सीता का हरण कर पुष्पक विमान से लंका पूरी को जाता है रास्ते मे गिद्ध राज जटायु द्वारा रावण का मार्ग रोकने का प्रयास किया जाता है पर रावण द्वारा गिद्ध राज जटायु को चोटिल कर पुनः पुष्पक विमान से लंका पूरी ले जाया जाता है जहां किस्कीन्दा पर्वत पर माता सीता द्वारा कुछ आभूषण फेक दिया जाता है वही रावण माता को लेकर लंका पूरी पहुच जाता है लीला को देखने हजारों की संख्या में श्रद्धालु देर रात तक डटे रहे इस दौरान आयोजन समिति के महा प्रबंधक गौरी शंकर सिंह,अध्यक्ष जितेंद्र गुप्ता,सत्यपाल सिंह,रामलीला कमेटी के मीडिया प्रभारी पंकज सिंह,अजय,हृदय,संदीप पाण्डेय,आलोक अग्रहरि,दीपक कुमार,अंकित,रामु,श्यामू,प्रकाश अग्रहरि,सहित तमाम कलाकार व ग्रामीण मौजूद रहे।