— अयोध्या से जनकपुरी गांजे बाजे के साथ पहुचे राजा दशरथ
पंकज सिंह/विकास अग्रहरि@sncurjanchalम्योरपुर रामलीला मंचन के सातवें दिन परसुराम लक्षमण संवाद व राम विवाह का मनोरम लीला खेला गया जिसे देखने के लिये हजारों की संख्या में ग्रामीणों की भीड़ रामलीला परिसर पहुची रामलीला का मंचन का शुरुवात श्री राम द्वारा शिव धनुष तोड़ने के बाद परसुराम जनक दरवार में आते है।जनक जी द्वारा परसुराम से जनक नन्दनी का भविष्य पूछा जाता हैपरसुराम मस्तक की रेखा देख कहते है नही सुखों का वास लिखा दो बार इसे एक बार इसके पति को बनवास लिखा है वही गुरु विश्वामित्र द्वारा कहने पर प्रभु श्री राम व लक्षमण जी प्रणाम करते है तो परसुराम जी द्वारा चिर चिर चिर चिर जिओ समर ना जीते कोई परसुराम द्वारा जनक जी से पूछा जाता हैयह कैसा उत्सव है यह कैसा भीड़ भाड़ है तब जनक शिव धनुष तोड़ने की प्रतिज्ञा बताते है जनक जी के बताने पर परसुराम गुस्से से आंख बबूला हो जाते है और किसने शिव धनुष तोड़ा है पूछते है परसुराम का गुस्सा देख लक्षमण जी कहते है क्यो उत्सव बिगाड़ने आये हो चलो अपराधी मैं ही सही लक्षमण के यह कहने पर परशुराम बलुआ लेकर मारने के लिये दौड़ते है तब श्री राम चन्द्र जी परसुराम का शंका मिटाते हुए प्रत्यञ्चा चिड़ाते है तब परसुराम का संसय समाप्त होता है।वही जनक दरवार में सतानन्त को अयोध्यागुरु विश्वामित्र भेजते है सतानन्त जी अयोध्या जाकर बारात लाने के लिये सूचना देने जाते है जैसे ही सतानन्त राजा दशरथ जी को सूचना देते है दशरथ जी द्वारा मुनि बशिष्ठ जी के साथ दशरथ जी हाथी धोड़े, से जनकपूरी को जाते है। अयोध्या से जनक पूरी बारात पहुचने पर बारातियों का जनक जी द्वाराजोरदार स्वागत को जाता है जहाँ बौद्विक मंत्रोच्चार के साथ माता सीता व प्रभु श्री राम का विवाह होता है जिसे देखने के लिये श्रद्धालु देर रात तक डटे रहे।इस दौरान आयोजन समिति के महाप्रबंधक गौरी शंकर सिंह,अध्यक्ष जितेंद्र गुप्ता,मण्डली के अध्यक्ष सत्यपाल सिंह,राम लीला कमेटी के मीडिया प्रभारी पंकज सिंह सहित तमाम कलाकर मौजूद रहे।