हज के मुक़द्दस सफ़र से लौट रहे हजरत के काफिले का नगर में हुआ भव्य इस्तेकबाल

रात्रि 10 बजे पहुंचने के बाद भी सैकड़ों अकीदतमंदों ने रजखड़ से ही किया काफिले की अगवानी
दुद्धी, सोनभद्र।(भीमकुमार) हज 2019 के मुक़द्दस सफ़र से 40 दिन बाद लौट रहे हुजूर नसीरे मिल्लत के काफिले का रविवार की रात दुद्धी नगर में भव्य खैरमकदम किया गया। लखनऊ से सड़क मार्ग से तशरीफ़ ला रहे कादरिया ग्रुप के संस्थापक तथा सुन्नी जमात के सबसे बड़े धर्मगुरु अल्हाज अल्लामा मौ.नसीरुद्दीन साहब क़िब्ला व अल्हाज कारी उस्मान साहब के जियारत के लिए सैकड़ो अकीदतमंदों ने रविवार की सुबह से ही अपनी पलकें बिछा रखी थीं। समूचे दिन वाट्सअप पर हजरत के काफिले की लोकेशन वायरल होती रहीं। रात्रि करीब 10 बजे सबसे पहले हजरत का काफिला रजखड़ में पहुंचा तथा सैकड़ों की संख्या में उपस्थित लोगों से मुसाफा व गले मिला, ततपश्चात हजरत ने दुआख्वानी की। उसके बाद नारे तकबीर अल्लाहो अकबर, नारे रिसालत या रसूलल्लाह, जयरीने मदीना जिंदाबाद के नारों के बीच हुज़्ज़ाज़े कराम का काफिला कोतवाली गेट से सामने रुका जहां इस्लाहुल मुस्लेमीन कमेटी के सदर मु. शमीम अंसारी व क्राइम इंस्पेक्टर सत्य प्रकाश यादव से गले मिल पैदल ही जामा मस्जिद कूच किया। मस्जिद में सबसे पहले हुज़्ज़ाज़े कराम ने 2 रेकात नफ़्ल शुकराना नमाज अदा की। उसके बाद आयोजित महफिले मिलाद में हाफिज तौहीद साहब ने “ये नाज ये अंदाज़ हमारे नही होते, झोली में अगर टुकड़े तुम्हारे नही होते” तथा अरबी महाविद्यालय के प्राचार्य अल्हाज मुफ़्ती महमूद साहब द्वारा “मेरे आका मेरी बिगड़ी को बनाते रहना, मेरे सरकार मदीने में बुलाते रहना” जैसी नात पढ़कर हजरत सहित कारी उस्मान व पूरी महफ़िल की आंखों को नम कर दिया। अंत मे हजरत ने मुल्क की तरक्की व अमन चैन कायम रखने, हर मुसलमान को हज की तौफीक बख्शने, लोगों पर अपना खास फ़ज़्ल और करम करने, ताज्जुशरिया काम्प्लेक्स को पाए- तकमील तक पहुंचाने जैसी रूहानी दुआख्वानी रो-रो कर की तो उपस्थितजनों ने भी आंख में आंसू लिए आमीन की सदायें बुलंद कीं। हजरत का काफिला कादरिया गर्ल्स कॉलेज पहुंचकर वहां भी कादरिया ग्रुप की तरक्की के लिए दुआख्वानी की। इसके बाद हुज़्ज़ाज़े कराम का काफिला नगर के चंद खास लोगों के दौलतखाने पर भी पहुंच दुआख्वानी की। इस अवसर पर मुफ़्ती मंसूर, मौ. नजीरुल कादरी, हाफिज तौहीद, मौ. कमालुद्दीन, अल्हाज हाफिज सईद अनवर पेशिमाम, मौ.गुलाम सरवर, मौ. अब्दुल रशीद, मौलाना सलाउद्दीन, पूर्व प्रधान सादिक हुसैन, प्रबंधक हसनैन अंसारी, मौ. शमीम, बिलासपुर से आये हाजी ऐनुलहुदा, हाजी रियाज अहमद सिद्दीकी उर्फ बबलू भाई, हाजी अब्दुल हफिज, हाजी मो. इश्हाक, हाजी अब्बास अंसारी, हाजी निजामुद्दीन, मास्टर कौनेन, रिज्वानुद्दीन, यूनुस खान, पट्टू साह, परवेज, मोबिनुल हुदा, केंद्रीय अखाड़ा कमेटी के सदर राफे खान, एजाजुल हुदा, मख़तब प्रबंधक फतेहमुहम्मद खान, नज्जु खान सहित भारी संख्या में लोग मौजूद थे।

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