—अनिल बेदाग—
मुंबई : पहली बार क्लिनिक में रक्तचाप के लिए जाने पर 43 फीसदी भारतीय मास्क्ड हायपरटेंशन और व्हाइट कोट हायपरटेंशन के शिकार बन जाते हैं, यह खुलासा हुआ है इंडिया हार्ट स्टडी (आई.एच.एस) के निष्कर्षों से। अध्ययन में यह भी पाया गया कि भारतीयों के दिल की धड़कन की दर 80 बीट प्रति मिनट है, जो कि 72 बीट प्रति मिनट की वांछित दर से अधिक है। अध्ययन की एक और खास बात यह है कि अन्य देशों की तुलना में, भारतीय लोगों में सुबह की तुलना में शाम को उच्च रक्तचाप पाया गया, इसका अर्थ यह हुआ कि डॉक्टरों को उच्च रक्तचाप से ग्रस्त लोगोें के लिए दवा की खुराक के समय पर पुनर्विचार करना चाहिए।
मुंबई में हिंदुजा अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर सी के पाॅण्डे ने कहा, ‘उच्च रक्तचाप या उच्च रक्तचाप का अनियंत्रित होना देश में दिल के दौरे के बढ़ने का सबसे आम कारण है। चूंकि हायपरटेंशन के लक्षण खुद को जल्दी प्रकट नहीं करते हैं, इसलिए उच्च रक्तचाप का पता लगाना भी कठिन है। इसके अलावा, उच्च हृदय गति से भी आगे मामले और जटिल हो जाते हैं।’ मुंबई के होली फैमिली हॉस्पिटल के डॉक्टर ब्रायन पिंटो के अनुसार ‘मुंबई में ऐसे लोगों की संख्या 15 प्रतिशत है, जो यह नहीं जानते कि उन्हें हायपरटेंशन की बीमारी है, ऐसे लोग मास्क्ड हायपरटेंशन के शिकार हैं। इससे मरीजों के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं और इस पर ध्यान देने की जरूरत है।’