लखनऊ।योगी सरकार के मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 उप खनिज (परिहार) (47वां संशोधन) नियमावली, 2019 के प्रख्यापन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
इसके तहत उप खनिजों के खनन पट्टा हेतु लेटर आफ इन्टेन्ट निर्गत होने के एक माह के अन्दर प्रस्तावक को अनुमोदन हेतु खनन योजना प्रस्तुत करना, अनुमोदन के एक माह के अन्दर पर्यावरणीय अनापत्ति हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत करना, पर्यावरणीय अनापत्ति की स्वीकृति की प्रक्रिया के दौरान आपत्तियों का समाधान करना, पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण पत्र निर्गत होने के उपरान्त एक माह के अन्दर पट्टा विलेख का निष्पादन कराना तथा बालू/मौरम के खनन पट्टों में विलेख निष्पादन उपरान्त खनन संक्रिया तत्काल प्रारम्भ करना तथा अन्य उप खनिजों हेतु तीन माह में प्रारम्भ किया जाना।
उक्त नियमों के उल्लंघन की दशा में अनुमोदन हेतु खनन योजना प्रस्तुत नहीं करने या पर्यावरण अनापत्ति हेतु आवेदन प्रस्तुत नहीं करने पर 10,000 रुपये प्रतिदिन की शास्ति तथा पर्यावरण अनापत्ति की तिथि से एक माह के भीतर पट्टा विलेख का निष्पादन करने में विफल होने पर प्रस्तावक द्वारा जमा प्रथम किश्त और प्रतिभूति धनराशि जब्त करते हुए लेटर आॅफ इन्टेन्ट निरस्त करने का प्राविधान किया गया है। यदि प्रस्तावक द्वारा निर्धारित समयावधि में पर्यावरण अनापत्ति हेतु वांछित प्रक्रियाओं को पूरा नहीं किया जाना है, तो जिला मजिस्ट्रेट उसके पक्ष में जारी लेटर आॅफ इन्टेन्ट निरस्त कर सकता है।
ई-निविदा सह ई-नीलामी हेतु बिडकर्ता का हैसियत प्रमाण पत्र अथवा हैसियत प्रमाण पत्र के साथ बैंक गारण्टी, जो बोली की धनराशि के 25 प्रतिशत की कीमत से कम न हो, अनिवार्य किया गया है, जिससे खनिज बकाये के दोषियों से प्रभावी वसूली की जा सके।
खनन पट्टा अभ्यर्पण हेतु आवेदन प्रस्तुत करने पर पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण पत्र को हस्तान्तरित करने सम्बन्धी अनापत्ति एवं देय समस्त धनराशियों के जमा की अनापत्ति के आधार पर खनन पट्टे का अभ्यर्पण किया जा सकेगा।
उप खनिज बालू/मौरम के खनन पट्टों की त्रैमासिक किश्त के स्थान पर मानसून अवधि (जुलाई, अगस्त, सितम्बर) जिसमें खनन कार्य बन्द होता है, को छोड़कर शेष 09 माह के लिए माहवार किश्त का प्राविधान किया गया है।
कृषिकीय भूमि पर बाढ़ से एकत्रित बालू और मौरम के स्थान पर बालू या मौरम या बजरी या बोल्डर या इनमें से कोई भी मिली-जुली अवस्था में हो, को जोड़ा गया है तथा इसे हटाये जाने हेतु अनुज्ञा पत्र की पात्रता की शर्ताें में विगत 05 वर्षाें में कृषि कार्य हेतु भूमि उपयोग की जा रही थी तथा रायल्टी का दो गुना लिये जाने का प्राविधान किया गया है।
गैर कृषि निजी भूमि में उपलब्ध इमारती पत्थर एवं बालू/मौरम के क्षेत्रों, जो न्यूनतम एक हेक्टेयर हो, को ई-निविदा/ई-नीलामी/ई-निविदा सह ई-नीलामी के माध्यम से स्वीकृत किये जाने, उसमें भूस्वामी को प्रथम इनकार का अधिकार दिये जाने तथा प्रथम इनकार के अधिकार का प्रयोग नहीं करने पर उच्चतम बिड दर के आधार पर स्वीकृत किये गये खनन पट्टा अन्तर्गत पट्टाधारक द्वारा भू स्वामी को राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर विनिश्चित धनराशि दिये जाने का प्राविधान किया गया है।
उप खनिज बालू/मौरम के अधिकतम पांच खनन पट्टे या चार सौ हेक्टेयर किसी एक व्यक्ति के पक्ष में स्वीकृत किये जाने के प्राविधान थे, जिसे संशोधित कर अधिकतम दो खनन पट्टे या पचास हेक्टेयर किया गया है।
खनन पट्टा स्वीकृत किये जाने हेतु क्षेत्रों की घोषणा/विज्ञप्ति में क्षेत्रों के जियो-कार्डिनेटस का उल्लेख किये जाने तथा सीमा बिन्दुओं का जियो-कोआर्डिनेट लेते हुए सीमांकन/सर्वेक्षण का प्राविधान किया गया है, ताकि सीमांकन में विवाद की स्थिति उत्पन्न न हो।
भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानक के अनुसार पट्टाधारक द्वारा खनिजों की लोडिंग करने का प्राविधान तथा उल्लंघन की दशा में 25000 रुपये की शास्ति का प्राविधान किया गया है।
खनन पट्टाधारक पर बकाया धनराशि को उसके द्वारा जमा प्रतिभूति से समायोजित कर अवशेष धनराशि हेतु वसूली प्रमाण पत्र निर्गत करने तथा बकाया देयों का भुगतान नहीं करने पर खनन पट्टा समाप्त किये जाने की दशा में पट्टेदार का नाम जिलाधिकारी द्वारा दो वर्ष से अनाधिक ऐसी अवधि के लिए जैसा कि वह उचित समझे काली सूची में डाला जा सकता है, का प्राविधान किया गया है।
इमारती पत्थर के ई-निविदा सह ई-नीलामी के माध्यम से स्वीकृत खनन पट्टों जिसका क्षेत्रफल 02 हेक्टेयर से अधिक है, को स्वीकृति के दो वर्ष के अन्दर पट्टाधारक द्वारा क्रेशर लगाना अनिवार्य किया गया है।
प्रपत्र एम0एम0-11/ई एम0एम0-11 में उप खनिजों के खनिमुख मूल्य का उल्लेख किये जाने का प्राविधान किया गया है।