धर्म डेस्क।हमारे हिन्दू धर्म में हर माह व्रत और पूजा-पाठ करते हैं जिनका अपना-अपना बहुत महत्व होता है। हर माह व्रत रखने से भगवान का आशीर्वाद हमेशा हम पर बना रहता है। आज सावन माह षष्ठी तिथि है और हर माह षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी मनाई जाती है। इस दिन सभी भगवान शिव और गौरी पुत्र कार्तिकेय की पूजा और व्रत रखते हैं। स्कंदपुराण कार्तिकेय को ही समर्पित है। अपने माता-पिता की तरह की दोनों को दिव्य दृष्टि अगर मनुष्य पर पड़ जाए तो उसको कई प्रकार के सुख मिलते हैं। स्कंद षष्ठी भगवान कार्तिकेय को समर्पित होकर शास्त्रों के अनुसार पुराणों में इसका काफी महत्व हैं। आइए जानते हैं कैसे करें आज पूजा-
स्कंद षष्ठी कथा-
पौराणिक मान्यता के अनुसार श्री गणेश की तरह भगवान कार्तिकेय भी काफी बुद्धिशाली एवं बलशाली हैं। स्कंद षष्ठी मनाने को लेकर एक कथा भी प्रसिद्ध हैं। बताया जाता हैं कि तारकासुर नामक एक राक्षस ने देवलोक में काफी उत्पात मचा रखा था। जो देवताओं को काफी हानि पहुंचा रहा था। तभी देवताओं ने भगवान कार्तिकेय से प्रार्थना की कि वे उस राक्षस से देवताओं की सुरक्षा करें। तभी भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर नामक राक्षस का सामना किया और उसका वध कर दिया। इसलिए स्कंद षष्ठी को मनाया जाता हैं एवं भगवान कार्तिकेय का पूजन कर कई प्रकार के फलों की प्राप्ति की जाती हैं। बताया यह भी जाता हैं कि इस दिन मोह माया में पड़े नारद जी को लोभ से मुक्ति दिलाते हुए भगवान विष्णु ने उनका उद्धार किया था।
संतान सुख के साथ ही कई फलदायक है यह व्रत- बहुत ही कम लोग भगवान कार्तिकेय के इस स्कन्द षष्ठी व्रत के बारे में जानते हैं। भगवान कार्तिकेय का यह व्रत विशेष लाभदायक होकर इसका विशेष महत्व हैं। इस व्रत को करने से संतान प्राप्ति तथा संतान सबंधित दुःख व पीड़ा खत्म होती हैं। बच्चों की माता को यह व्रत अवश्य करना चाहिए। साथ ही इस व्रत को करने से काम, क्रोध, मद, मोह तथा अहंकार से मुक्ति मिलती हैं एवं रोग, दुःख और दरिद्रता का निवारण होता हैं। साथ ही भगवान कार्तिकेय के आशीर्वाद से उच्च योग के लक्षणों की प्राप्ति भी होती हैं।
स्कंद षष्ठी को ऐसे करें पूजन-
भगवान शिव व पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का इस तिथि को विशेष पूजन कर अपना व्रत पूर्ण करें। माता पार्वती एवं पिता शिवजी की भी इस दिन पूजा करनी चाहिए। सबसे पहले आप अपने घर पर भगवान कार्तिकेय की स्थापना कर लें। उन्हें स्नान करवा कर नए वस्त्र पहनाए। जिसके बाद उनका पूजन अर्चन करके उनके समक्ष अखंड दीपक जला लीजिए। तत्पश्चात भगवान कार्तिकेय को भोग लगाकर स्कंद षष्ठी का पाठ करें। पाठ पूरा होने के बाद भगवान कार्तिकेय की आरती कर उनसे प्रार्थना कर लें।