पेइचिंग।अमेरिकी सरकार ने हाल ही में 1 सितंबर से तीन खरब अमेरिकी डॉलर मूल्य वाली चीनी वस्तुओं पर दस प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की। अमेरिका में उद्योगधंधों और लोकमतों ने इस फैसले की व्यापक आलोचना की है।
अमेरिकी अख़बार न्यूयार्क टाइम्स ने कहा कि टैरिफ युद्ध छेड़ने से विश्व भर में व्यापारिक तनाव पैदा होगा। शेयर बाजारों के सूचकांकों में भी गिरावट आ रही है जिससे विश्व भर के निवेशकों को चिन्ता सता रही है।
उधर, सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के इस कदम से विश्व अर्थव्यवस्था को भारी क्षति पहुंचेगी। टैरिफ युद्ध के तीव्र होने से विश्व दायरे में आर्थिक मंदी का खतरा मंडराने लगेगा। ब्लूमबर्ग समाचार एजेंसी की रिपोर्ट ने यह चेतावनी दी है कि शांघाई में चीन और अमेरिका दोनों देशों के बीच 12वें चरण की वार्ता अभी समाप्त हुई है। इस वक्त पर अमेरिका के इस कदम से दोनों असाधारण शक्तियों के बीच व्यापार युद्ध एक बार फिर भड़क सकता है। अमेरिका की व्यापार युद्ध नीति असफल है, पर वह आज भी एक विफल दीर्घकालीन रणनीति का कार्यांवयन कर रहा है।
अमेरिका में अनेक मीडिया संस्थानों का मानना है कि अधिक टैरिफ लगाये जाने से अमेरिका के उद्योगधंधों में अंसतोष की भावना पैदा होने लगी है। उन्होंने अमेरिकी सरकार से व्यापार युद्ध बंद करने की गुहार लगायी है, पर हाल फिलहाल में फिर से टैरिफ लगाये जाने से चीन के साथ व्यापार करने वाले अमेरिकी कंपनियों को टैरिफ़-मुक्त आवेदन प्रस्तुत करना पड़ेगा। लेकिन इनमे अधिकांश आवेदनों, खासकर एप्पल जैसी कंपनियों के आवेदनों की पुष्टि नहीं की जाएगी, क्योंकि एप्पल कंपनी ने हमेशा सरकार की टैरिफ-नीति का विरोध किया है। इससे अमेरिका को अपना बाजार दूसरे प्रतिद्वंद्विता को सौंप देना पड़ेगा।
अमेरिका द्वारा लगाये जाने वाले अतिरिक्त टैरिफ योजना में जूते, कपड़े और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे उपभोक्ता वस्तुएं शामिल हैं। विश्लेषक और खुदरा व्यापार समूहों ने यह चेतावनी दी है कि 1 सितंबर को नये टैरिफ लगाये जाने से अमेरिका में खुदरा व्यापार बन्द होने की कगार पर नजर आएगा और इससे बाजार में बड़े पैमाने पर बेरोज़गारी का बोझ भी पैदा हो जाएगा।
अमेरिका के एपीसी न्यूज़ समेत अनेक मीडिया ने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि अमेरिका सरकार के नये टैरिफ का अधिकांश बोझ उपभोक्ताओं के सिर पर मड़ा जाता है और नयी टैरिफ नीति से आम लोगों के लिए उपयोगी रोजमर्रा की वस्तुएं भी महंगी हो जाती है, साथ ही उनके खर्चे बजट में भी वृद्धि हो जाती है।
अमेरिकी मीडिया का मानना है कि चीन अपने केंद्रीय हितों से संबंधित मुद्दों पर ढील नहीं देगा। संयुक्त राष्ट्र स्थित चीनी राजदूत चांग च्वन ने 2 अगस्त को मीडिया से कहा कि चीन के यहां वार्ता करने का द्वार खुला है, पर जरूरत पड़ने पर चीन व्यापार युद्ध करने से पीछे भी नहीं हटेगा।
(साभार—चाइना रेडियो इंटरनेशनल ,पेइचिंग)