उम्भा के पीड़ितों को मिले जमीन का पट्टा
सरकार की कमेटी की रिपोर्ट पर स्वराज इंडिया की प्रतिक्रिया
सोनभद्र, 4 अगस्त 2019, प्रदेश सरकार द्वारा गठित तीन सदस्यी जांच कमेटी की रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया है कि उभ्भा में
कोआपरेटिव सोसाइटी ने फर्जीवाड़ा करके जमीन कब्जाई हुई थी और उसका दाखिल खारिज भी विधि के विरूद्ध किया गया था। इसलिए यह
जरूरी है कि सरकार तत्काल प्रभाव से आदर्श कोआपरेटिव सोसाइटी की जमीन का हुआ दाखिल खारिज निरस्त कर जमीन अधिगृहित करे
और उभ्भा नरसंहार में पीड़ित आदिवासी किसानों को जमीन पर पट्टा दें साथ ही ग्रामीणों पर लगे गुण्ड़ा एक्ट के मुकदमें वापस ले।
सरकार की जांच टीम नेघटना की विस्तृत जांच कराने का अनुरोध किया है इसलिए सरकार को उभ्भा नरसंहार की न्यायिक जांच कराने की
हमारी मांग को स्वीकार करना चाहिए। यह प्रतिक्रिया आज स्वराज इंडिया की राज्य समिति सदस्य दिनकर कपूर ने व्यक्त की।
उन्होंने प्रेस को जारी अपने बयान में कहा कि सरकार की जांच टीम ने खुद यह स्वीकार किया है कि सोनभद्र व मिर्जापुर में बड़े
पैमाने पर जमीन का सवाल मौजूद है और यहां ट्रस्ट व सोसाइटी बनाकर ग्रामसभा की जमीनें हड़पी गयी है। इसलिए सरकार को जमीन
के सवाल को हल करने के लिए भूमि आयोग का गठन करना चाहिए। यह आयोग इस क्षेत्र में ट्रस्ट, कोआपरेटिव सोसाइटी व मठों द्वारा
हड़पी गयी जमीनों को अधिगृहित करे और इन जमीनों समेत ग्रामसभा की फाजिल जमीनों को गरीबों में वितरित करने के लिए काम
करे। उन्होंने बयान में कहा कि एक तरफ सोनभद्र, मिर्जापुर और नौगढ़ में सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी के आदेशों के विरूद्ध हजारों हेक्टेयर
वनभूमि पर कारपोरेट घराने, भूमाफिया और खननकर्ता कब्जा किए हुए है वहीं आदिवासियों व वनाश्रितों को उनकी पुश्तैनी जमीन पर
वनाधिकार कानून का लाभ नहीं दिया जा रहा है। तहसीलों में हजारों की संख्या में वनाधिकार के दावे पड़े हुए है इनके विधि के अनुरूप
निस्तारण करने और जमीन पर अधिकार देने की जगह नौगढ़ से लेकर घोरावल तक बेदखली करने, फर्जी मुकदमें कायम करने और
उत्पीड़न करने की कार्यवाही वन विभाग कर रहा है। उन्होंने कहा कि आगामी 7 अगस्त को घोरावल में आयोजित धरने में आदिवासियों व
वनाश्रितों के उत्पीड़न के सवाल को प्रमुखता से उठाया जायेगा और जमीन पर अधिकार की मांग की जायेगी।