लखनऊ।रोजगार अधिकार आंदोलन को प्रदेश में संचालित करने के लिए लखनऊ में 28 जुलाई 2019 को प्रदेश भर के युवाओं की महत्वपूर्ण बैठक हुई। जिसमें कई जिलों के युवाओं ने शिरकत की। बैठक में रोजगार सृजन के विभिन्न पहलुओं व रोजगार अधिकार आंदोलन को आगे बढ़ाने के सवाल पर सार्थक बातचीत हुई। तय किया गया कि इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए अन्य जिलों में भी बैठकें, गोष्ठियां, सेमिनार व संवाद आयोजित किया जायेगा।
बैठक ने यह महसूस किया कि आज जो भयावह रोजगार का संकट पैदा हुआ है वह नई आर्थिक-औद्योगिक नीतियों का परिणाम है। इन नीतियों ने बडे पैमाने पर कारपोरेट लूट को अंजाम दिया। कारपोरेट को दी जा रही लाखों-करोड़ की रियायतों के कारण आय की असमानता की हालत यहां तक पहुंच गयी कि शीर्ष के 0.1 फीसद अमीरों के पास संपत्ति 50 फीसद आबादी की कुल संपत्ति से ज्यादा है। खेती बाड़ी, छोटे-मझोले उद्योग चैपट हो रहे हैं। सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग व ठेका पर काम कराया जा रहा है। बहुत बड़ी युवा शक्ति बेरोजगारी या अर्द्ध बेरोजगारी की हालत में जिदंगी गुजार रही है। ऐसी स्थिति रोजगार के सवाल को मुख्य सवाल बना देना युवा आंदोलन का सबसे बड़ा कार्यभार है। बैठक में प्रस्ताव लिया गया कि संविधान में जीने का अधिकार नागरिकों के मूलभूत अधिकार में शामिल है और नागरिकों के गरिमामय आजीविका की गारंटी करना सरकार का दायित्व है। इसलिए संविधान के नीति निर्देशक तत्व में शामिल रोजगार के अधिकार को वहां से हटा कर मौलिक अधिकार में शामिल कराने की महत्वपूर्ण मांग रोजगार अधिकार अभियान की होगी। बैठक में प्रदेश में विभिन्न विभागों में खाली पड़े पदों पर बातचीत हुई और यह तय हुआ कि अभियान में प्रदेश में लगभग 5 लाख और देश में 24 लाख खाली पड़े पदों को तत्काल भरने की मांग दूसरी प्रमुख मांग होगी।
बैठक में यह भी नोट किया गया कि हाल के वर्षों में भर्ती परीक्षाओं में घोटालों की बाढ़ आ गई है। एसएससी से लेकर उत्तर प्रदेश की सभी परीक्षाओं में पेपर लीक व धांधली के गंभीर आरोप लगे हैं। चयन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के सवाल पर युवा आंदोलित हैं लेकिन अभी तक भर्ती घोटालों पर रोक लगाने के लिए मुकम्मल इंतजाम नहीं किया गया। जिसका नतीजा यह हुआ कि ज्यादातर भर्तियों से जुड़े विवाद व धांधली के मामले न्यायालय में होने से चयन प्रक्रिया अरसे से ठप है। इसलिए चयन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने व चयन सम्बंधी सभी मुकदमों के शीध्र निस्तारण के लिए फास्ट टैªक कोर्ट गठित करना अभियान का तीसरा बड़ा मुद्दा रहेगा।
बैठक में महसूस किया गया कि जिस तरह से कारपोरेट घरानों को सरकारों द्वारा लाखों-करोड़ों की टैक्स छूटें और बैंकों से कर्ज दिए जा रहे है वह लोगों को उद्वेलित करते है। युवा आंदोलन का यह दायित्व है कि वह अपने मुद्दों के साथ इस कारपोरेट लूट को एक प्रमुख राजनीतिक सवाल बनाए। इसलिए अभियान में कारपोरेट पर संपत्ति व उत्तराधिकार कर लगाकर उसे खेती-बाड़ी व तमाम तरह के रोजगार सृजन में खर्च करने की मांग उठाने का निर्णय हुआ।
बैठक में यह बात भी उभर कर आयी कि प्रदेश में चयनित युवाओं को भी नौकरी नहीं दी जा रही है। युवाओं ने बताया कि प्रदेश के अशासकीय विद्यालयों में लगभग 3 हजार चयनित युवाओं को चयन के बाद भी नौकरी नहीं मिल पा रही है।
बैठक में महसूस किया गया कि देश में लगातार लोकतंत्रिक दायरे को कम किया जा रहा है तमाम तरह के काले कानून लागू कर नागरिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। युवाओं का यह फर्ज है कि इन काले कानूनों व नागरिक अधिकारों पर हमले का वह प्रतिकार करे।बैठक ने यह भी नोट किया कि हमारे समाज में जाति, क्षेत्र व धर्म के प्रभाव में आम जन रहते हैं। इसलिए व्यक्ति की गरिमा व नागरिक सम्मान की संस्कृति विकसित करने के लिए युवाओं को सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण तैयार करना चाहिए।
शीघ्र ही हम अभियान की अगली बैठक बुला रहे है जो लोग इसमें शामिल होना चाहते है वह अपना मोबाइल नम्बर दें ताकि अगली बैठक में आपको आमंत्रित किया जा सके।