खेमाराम आर्य 7 जुलाई को करगिल युद्ध विजेता यूनिट के सिपाही रहे

बाड़मेर।बाड़मेर जिले के ही सरली गांव के खेमाराम आर्य 7 जुलाई को करगिल युद्ध विजेता यूनिट के सिपाही रहे और टाइगर हिल से ऊपर पींपल टू चौकी पर भारतीय सेना की विजय की खुशी में तिरंगा लहराने वालों में शामिल थे। बीस साल पहले देश की हर मैगजीन के कवर पेज पर छपी इस तस्वीर में खेमाराम भी है।

खेमाराम के अनुसार उनकी यूनिट ने ही यह साबित किया था कि पाक सेना ही घुसपैठ कर रही है, आतंकवादी नहीं। खेमाराम बताते हैं कि कैप्टन सौरभ कालिया के नेतृत्व में द्रास में पेट्रोलिंग पर गया दल नहीं लौटा तो 17 जाट रेजिमेंट की टुकड़ियों को युद्ध के लिए तैयार किया गया। उन्हें पींपल टू हिल पर जाना था। रात में वे टाइगर हिल से ऊपर पींपल टू तक पहुंचे।

बदली रणनीति तो मिली फतेह
दोनों ओर से रात भर फायरिंग में हमारे करीब 40 जवान शहीद और करीब 150 जख्मी हो गए। हमने निर्णय किया कि दुश्मन को पीछे से घेरेंगे। इसके बाद टुकड़ी ने इसी रणनीति से काम लिया और पींपल टू पर पाक के सैनिकों को दबोच लिया। दो दिन बाद ही टाइगर हिल सहित हमने भी पींपल टू चौकी पर भारतीय सेना के जीत की खुशी में तिरंगा लहराया।

अब बांट रहे देशज ज्ञान
वर्ष 2001 में सेना की नौकरी से निवृत्त होकर बाड़मेर आए खेमाराम अब समाजसेवा में जुटे हैं। बीमार और बेसहारा गायों की सेवा, विद्यार्थियों को योग सिखाते है। वे कहते हैं कि देश की तरह देसज ज्ञान को बचाना आज बेहद जरूरी है। ऑर्गेनिक खेती करते हुए खेमाराम इन दिनों मोहन गौशाला में गायों के साथ पूरा दिन बिताते हैं। आसपास रहने वाले लोग फक्र से उन्हें फौजी बाबा के नाम से पुकारते हैं।

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