गोलियों की तड़तड़ाहट के बाद शवो और घायलो के पास खेतो में बिलखते परिजन

सोनभद्र। यह वीडियो उस खौफनाक मंजर का है जिसमे चंद घंटों के अंदर गोलियों की तड़तड़ाहट के बाद लाशों के ढेर लग गये। जो लोग जिंदा बचे थे उनके समझ मे नही आ रहा था क्या करे।
मामला 17 जुलाई का है,घोरावल कोतवाली इलाके के उम्भा गांव का,जहाँ जमीन विवाद को लेकर चली गोलियों के बाद 10 लोगो की मौत हो गयी और 25 लोग घायल हो गए। गोली चलने के बाद परिजन शवो और घायलो के पास बिलखते-चीखते रहे है लेकिन घण्टो तक कोई प्रशासनिक सुविधा नहीँ पहुची।
सोनभद्र में 17 जुलाई को घोरावल कोतवाली इलाक़े के उम्भा गांव में भयानक गोलीकाण्ड की घटना होते ही सूबे की सरकार जागी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को जांच के आदेश दिए,शुक्रवार को जांच रिपोर्ट मिली है।

जिसके अनुसार 1955 में तत्कालीन तहसीलदार रॉबर्ट्सगंज द्वारा आदर्श कोऑपरेटिव सोसायटी के नाम जमीन कूटरचित ढंग से की गई थी, जो 1989 में एक प्रशानिक अधिकारी के नाम किया गया।जब प्रशासनिक अधिकारी जमीन पर कब्जा करने में असमर्थ रहे ,तो
उन्होंने 2017 मे यह भूमि मूर्तिया के ग्राम प्रधान यज्ञदत्त गुर्जर के नाम कर दिया।इस जमीन पर कई पुस्तो से वनवासी लोगों का कब्जा है।
अब मौत के तांडव के बाद सियासत तेज हो गयी है एक तरफ कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंकागांधी अनशन पर बैठी है तो वही दूसरी तरफ सपा।


वही आगे रिपोर्ट के अनुसार घटना के तह में जाएंगे तो पता चलता है कि कांग्रेस की सरकार ने आदर्श सोसायटी के नाम पर गावँ के लोगों की भूमि को हड़पने का काम किया गया था।फिर एक प्रशानिक अधिकारी के नाम किया गया। फिर ग्राम प्रधान का सहारा लेकर इसे बेचने का काम किया गया। यह पूरी तरह अवैधानिक है।1955 में कांग्रेस की सरकार थी। 1989 में भी काँग्रेस की सरकार थी। 2017 में उन लोगों ने यह भूमि बेचने का काम किया था।


अप्रैल 2019 में उपजिलाधिकारी को निलंबित करने का काम किया गया। उपनिरीक्षक को निलंबित किया गया। इसके साथ ही 1955, 1989 में ग्रामीण की जमीन को सोसायटी के नाम करना और फिर व्यक्ति के नाम करना। यह गंभीर है।

इस पूरे मामले में अपर मुख्य सचिव राजस्व की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी जांच के लिए गाठित की गया।जो 10 दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपेगी।मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी को भी छोड़ा नहीं जाएगा। वह चाहे कितना भी ताकतवर क्यों न हो। इस मामले में अपर पुलिस महानिदेशक वाराणसी जोन को पुलिस की हीलाहवाली की जांच को कहा गया है। 10 दिन में उनसे रिपोर्ट देने को कहा गया है।


मुख्य रूप से 1955 और 1989 में घटित घटना को अंजाम देने वाले के खिलाफ जांच कर पर्दाफास किया जाएगा।जब सदन में यह प्रकरण रखा जाने के लिए प्रयास किया गया तो विपक्ष ने सदन बाधित करने का प्रयास किया। वे लोग नहीं चाहते कि इस घटना के बारे में चीजें बाहर आएं।29 गिरफ्तार किए जा चुके। अन्य कार्रवाई चल रही है। 10 दिन में पूरी रिपोर्ट आने के बाद सबकी जिम्मेदारी तय की जाएगी। उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।

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