एक विकलांग क्रिकेट खिलाड़ी को है अब भी 4 सालों से अच्छे दिनों का इंतजार

सोनभद्र।अनपरा के रहने वाले लव वर्मा दाएँ हाथ से विकलांग हैं । वो वर्तमान समय में डिसेबल्ड स्पोर्टिंग सोसाइटी ( नीति आयोग, भारत सरकार से सम्बन्ध ) द्वारा संचालित भारतीय विकलांग क्रिकेट टीम के उप-कप्तान है । लव वर्मा जब 4 वर्ष के थे तब उन्होंने पहली बार टीवी पर सचिन तेंदुलकर को देखा और उनके खेल को देखकर दिल में एक आवाज़ आयी देश के लिए खेलने की, तब से बचपन से एक ही सपना था कि सचिन तेंदुलकर की तरह बनना है और अपने देश के लिए खेलना तब से सचिन को देखकर ही बड़ा होते गए और उनके खेल को देखकर कुछ अपने आप सीखते गए किन्तु ये सफर इतना आसान नही था क्योंकि जब बड़े लोग के साथ खेलने जाता तो वो डरते थे कि कहीं हाथ पर चोट न लग जाये लेकिन जिद के कारण वो लोग पीछे फील्डिंग के लिए लगा देते थे । 2008 में स्कूली क्रिकेट में चयन हुआ, यहाँ पर इनके प्रदर्शन को देखकर मित्र शिव सेवक ने सीआईएसएफ मैदान में चल रहे क्रिकेट में दानवीर सिंह से मिलवाया उन्होंने इनके लगन को देखकर इनके खेल पर बहुत ध्यान दिया उसके बाद लव वर्मा को 2010 में शक्तिनगर में आयोजित शक्ति कप में गुरुनानक क्रिकेट क्लब अनपरा की टीम से पहली बार मौका मिला जहां अनपरा की टीम सेमीफाइनल तक पहुँची और लव वर्मा को उनके पूरे टूर्नामेंट में सर्वश्रेष्ठ फील्डिंग के लिए शक्ति क्लब शक्तिनगर द्वारा विशेष पुरस्कार दिया गया । इसके बाद 2011 में उर्जान्चल कप में इन्हें बेस्ट बॉलर का पुरस्कार मिला । इतना कुछ होने के बाद लव 2 वर्षों से क्रिकेट पर ज्यादा ध्यान देने लगे लेकिन जनपद तक ही उनकी प्रतिभा दबी हुई थी लेकिन 2013 में राजगढ़,मिर्जापुर में एक टूर्नामेंट के दौरान क्रिकेट परफॉरमेंस पॉइंट के डायरेक्टर आरिफ़ हुसैन,इसराइल अंसारी से मुलाकात हुई और इनके प्रदर्शन को देखते हुए इनका हरसंभव मदद का भरोसा दिया । जुलाई 2014 में लव वर्मा के 18 वर्षों के सपनों पर पंख लगने जा रहा था जब उन्हें पता चला कि विकलांगों की भी क्रिकेट टीम होती है और भारत की भी टीम है और अगस्त 2014 में आगरा ट्रायल के दौरान उनका चयन भारतीय विकलांग क्रिकेट टीम में ऑल राउंडर खिलाड़ी के रूप में हुआ । दिसंबर 2014 में श्रीलंका का दौरा भारतीय विकलांग क्रिकेट टीम ने किया जिसमें जनपद सोनभद्र के पहले अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी लव वर्मा भी थे जहाँ लव वर्मा ने अपने पहले अंतर्राष्ट्रीय मैच में 5 विकेट लेकर एक नया कीर्तिमान रचा और अपने पहले मैच में ही मैन ऑफ द मैच बने और पूरे सीरीज पर भारत ने 3-0 से कब्जा किया और लव वर्मा इसमें मैन ऑफ दी सीरीज हुए । फरवरी 2015 में 5 देशों (भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका,बांग्लादेश, अफगानिस्तान) का टी-20 दिव्यांग एशिया कप हुआ जिसमें 4 मैचों में 6 विकेट लेकर शानदार प्रदर्शन से भारत एशिया कप जीता । एशिया कप जीतकर आने के बाद लगा कि सरकार तुंरन्त रोजगार दे देगी लेकिन ऐसा नही हो सका । 31 मार्च 2015 को अनपरा कॉलोनी के सीआईएसएफ मैदान में उस समय के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सभा थी कुछ दिन पूर्व पता चला तो बहुत कोशिश की मिलने की लेकिन मुझे किसी ने पूछा तक नही बल्कि मजाक बनाया गया कुछ लोगों द्वारा कि बेचारा विकलांग एशिया कप जीतकर आया कम से कम 1 सायकिल तो दे देना चाहिए था तो उस समय बीजेपी ने विश्वास दिलाया था कि उनकी सरकार बनेगी तो उन्हें मुख्यमंत्री से भी मिलवाएंगे और रोजगार भी दिलवाएंगे ।
सितंबर 2015 में ही श्रीलंका के साथ 5 वनडे सीरीज, नवम्बर 2016 में बांग्लादेश के साथ सीरीज जिसमे बेस्ट फील्डर, 2017 में बांग्लादेश दौरे पर ट्राई सीरीज (भारत,श्रीलंका,बांग्लादेश) जिसमें उपकप्तानी करते हुए संयुक्त विजेता हुए । 2018 में कोलकाता में ट्राई सीरीज (भारत, बांग्लादेश, नेपाल)में , 2019 में नेपाल के साथ 3-0 से सीरीज जीती । 2015 में दिल से एक आवाज़ आयी कि क्यों न यहाँ के नन्हें खिलाड़ियों को तैयार किया जाए और फिर अनपरा कॉलोनी के सीआईएसएफ मैदान शुरुआत के 1 वर्ष तक अपने जेब खर्च से नन्हें खिलाड़ियों से क्रिकेट प्रशिक्षण की शुरुआत की । 50-50 ओवर के वनडे क्रिकेट, त्रिदिवसीय, चारदिवसीय टेस्ट मैच, डबल इनिंग्स जैसे लगभग 15 टूर्नामेंट करा चुके हैं । इन सब टूर्नामेंट में बाहर से भी जैसे, बिहार, झारखंड, भदोही,आगरा आदि जगहों से टीमों को बुला कर जनपद सोनभद्र की टीम बना कर यहाँ के बच्चों की प्रतिभा को निखारने का भरसक प्रयास किया गया किन्तु किसी भी तरह का कोई सहयोग नही होने के कारण यहां के खिलाड़ी जनपद छोड़ दूसरे जनपद, राज्यों में चले जा रहे हैं । लव वर्मा ने बताया कि एक टूर्नामेंट को कराने के लिए वो ये सब अकेले करते हैं और कई जगहों पर तो भीख तक मांगने पड़ा है खिलाड़ियों के रुकने,खाने, बेहतर पुरस्कार देने तक बहुत खर्चे आ जाते हैं और आज के समय मे वो इन खिलाड़ियों को आगे लाने के लिए स्वयं कर्ज में डूबे हुए हैं । कई जगह जब चंदा मांगने गए तो क्षेत्रवाद बीच मे आया, तो कहीं जातिवाद आया, हद तो तब हो गयी जब एक सज्जन ने कहा कि मैं लाखों की मदद करता हूँ 1 हजार-2 हजार की नही तो मैंने कहा कि मेरी हैसियत हजार की है आप वही बस कर दीजिए तो बोलते हैं पूरा हजार हम दे देंगे तो और अनपरा क्या करेगा । लव वर्मा ने बताया है कि उनके जीवन मे एकमात्र सिद्धांत यही है कि जीवन मे कुछ बनना है तो पहले एक अच्छा इंसान बनो और अच्छा इंसान के लिए अनुशासन का होना जरूरी है मैंने सदैव खिलाड़ियों को यही बताया है और सदैव समाज के प्रति एवं देश के प्रति समर्पित रहने को कहा है लेकिन आज के समय मे यहां के लोगों ने मेरे पीठ पीछे मुझे लूटने वाला कहा, मेरी बुराई की मेरे ऊपर आरोप लगाया । हर 2 माह पर कोई टूर्नामेंट कराने पर मेरे ऊपर आरोप लग जाता है कि खूब पैसा कमा रहा है लेकिन सत्य कोई नही जानना चाहता । आज स्वयं इतने कर्ज में डूबा हुआ हूँ कि अगर लूट की कमाई करनी होती तो आज मेरे पास खुद की गाड़ी होती लेकिन अनपरा में ऐसे लोगों की सोचों को नही बदला जा सकता है । आज से 7 वर्ष पूर्व औड़ी मोड़ के रवि चौधरी को मुम्बई भेजा मैंने क्रिकेटर बनने के लिए उसके घर की आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय थी । कुछ माह पूर्व ही सचिन तेंदुलकर सर के कैम्प में भाग लिया जो कि सोनभद्र के लिए गौरव का विषय था और कुछ दिनों पूर्व ही उसका चयन मुम्बई के अंडर-19 डिवीज़न में हुआ और उसी के कुछ समय पहले बल्ला उसका टूट गया था मैंने कई लोगों से छोटी छोटी मदद माँगी 1-2 लोगों को छोड़ कर किसी ने नही मदद की इसी बीच मेरा दिव्यांग विश्व कप ट्रायल कर्नाटक में था तत्काल रूप से निकलना था एक तरफ था उस 18 वर्षीय खिलाड़ी द्वारा संजोया गया क्रिकेट का सपना तो दूसरी तरफ था मेरा विश्व कप का ट्रायल वैसे तो उर्जान्चल में किसी को किसी चीज की कोई कमी नही थी दिल मेरा बैठा जा रहा था क्योंकि आज से 2 वर्ष पूर्व मेरे गाड़ी का दुर्घटना हुआ था जिसमे अंकल का निधन हो चुका था तो पिता की भी तबियत नाजुक थी ठीक तो थे लेकिन मानसिक रूप से नही । माँ, पिता के आँख का ऑपरेशन हुआ, उस दुर्घटना ने मानो मेरे परिवार की ज़िंदगी को ही बेपटरी कर दिया । परिवार भी कर्ज में डूब चुका था समझ से सब कुछ दूर था । कुछ समझ नही आ रहा था एक तरफ परिवार था दूसरी तरफ मुम्बई में सपनें देख रहा वो 18 वर्षीय लड़का और इधर मेरा विश्व कप का ट्रायल । भीख मांगना शुरू हुआ सोचा थोड़ा थोड़ा कर्ज लेकर कुछ हो जाएगा लेकिन नही वो तो मुझसे भी ज्यादा भिखारी थे जो अपनी जेब किसी अय्यासी या आस्था के नाम पर लुटाने के लिए रखे हुए थे । अंत मे मैंने अपना गुल्लक फोड़ा जिसमें से ₹ 3741 निकले उसके बाद भी पैसे कम पड़े तो लगातार 3 दिन सुबह से शाम मैदान में बिना अन्न के बच्चों का मैच कराया जिसमें एक छोटा सा शुल्क रख कर उसकी भरपाई की और ₹ 5500/- का वो बल्ला मैंने अपने पसीने से उसे दिया तब जाकर उस दिन लगा यही दुनिया है ।
मेरा सपना है कि मैं आजीवन क्रिकेट खेलूँ क्योंकि क्रिकेट मेरी माँ है एक खिलाड़ी के लिए उसका खेल उसकी माँ होती है । देश के लिए खेलने के बाद लगा कि रोजगार मिल जाएगा लेकिन ऐसा नही हो सका । माननीय प्रधानमंत्री जी ने कहा दिव्यांग का अर्थ होता है दिव्य शक्ति, अद्भुत शक्ति, इस समाज के विशेष व्यक्ति अगर हम सभी इस समाज के विशेष व्यक्ति हैं तो हम भी तो देश के लिए खेलते हैं । बीसीसीआई स्वयं की एक संस्था ( नीति आयोग,भारत सरकार ) है, हमारी संस्था भी स्वयं की संस्था है डिसेबल्ड सपोर्टिंग सोसाइटी ( नीति आयोग,भारत सरकार ) । हम देश के लिए खेलते हैं पैसों के लिए नही हम सिर्फ जीविका का साधन रोजगार के रूप में माँग रहे हैं जिससे कि हम भी अपनी माँ (क्रिकेट) के प्रति प्रेम जीवन भर कर सकें । साधारण खिलाड़ी से शिक्षा नही माँगी जाती है लेकिन अगर विकलांग खिलाड़ी रोजगार की मांग करें तो शिक्षा माँगी जाती है । हम 3 भाई और 1 बहन है जिसमें मैं बड़े भाई और बहन के बाद आता हूँ । पिता श्री बाबू लाल वर्मा अनपरा तापीय परियोजना में कार्यत हैं एवं 2021 में सेवानिवृत्त होंगे मेरे कारण मेरे पिता जी बहुत मानसिक रूप से परेशान रहते हैं पिछले 2 वर्षों से मेरे घर वाले मुझे क्रिकेट छोड़ने को कह रहे हैं उनका जो कहना है वो सत्य हुआ भी है कि इस दुनिया में कोई नही किसी का जब तक पैसा है तब तक लोग पूछते हैं । मैं दोनों तरफ से फंसा हुआ हूँ कि पिता जी चाहते हैं कि उनके सेवानिवृत्त से पूर्व में कहीं रोजगार पा लूँ लेकिन उनकी चिंता मेरी चिंता बन चुकी है । पिछले 4 वर्षों से मैं माननीय मुख्यमंत्री से मुलाकात करने के लिए हरसंभव कोशिश की लेकिन आज तक किसी ने मेरी मदद नही की । 2015-16 में विधायक, सांसद, जिलाध्यक्ष, जिलाधिकारी को पत्र भेजा किन्तु आज तक जवाब नही आया । 1 जून 2017 को सदर विधायक से मुलाकात करके 80 पेजों की क्रिकेट सम्बंधित विवर पुस्तक माननीय मुख्यमंत्री जी से मुलाकात एवं रोजगार सम्बंधित दी एवं उनके द्वारा विश्वास दिलाया गया कि वो जल्द इसे पूर्ण करेंगे किन्तु 2 वर्ष बीत गए कभी जवाब तक नही आया जबकि लगभग 4-5 बार इस संबंध में अवगत भी कराया । इससे पूर्व 2-3 जिलाधिकारी महोदय को अवगत कराया किन्तु उन्होंने कोई मदद नही की । वर्तमान समय के आदरणीय जिलाधिकारी महोदय श्री अंकित कुमार अग्रवाल को इस बारे में अवगत कराया तो उन्होंने तुंरन्त जिला दिव्यांग अधिकारी को कॉल करके इस कार्य को पूर्ण करने को कहा और जून माह में फ़ाइल लखनऊ भेजने की बात कही गयी है । पिछले 3 वर्षों से जिला दिव्यांग जन सशक्तिकरण विभाग सोनभद्र द्वारा राज्य पुरस्कार के लिए मेरा नाम भेजा गया किन्तु कभी नाम आया ही नही । जनपद सोनभद्र में कई बड़े-बड़े प्लांट जैसे अनपरा तापीय परियोजना,हिंडालको,लैंको,जेपी,एन सी एल, एनटीपीसी आदि हैं लेकिन अगर कोई साधारण खिलाड़ी देश के लिए खेला होता तो अब तक वो लाखों-करोड़ों के साथ रोजगार पा चुका होता लेकिन एक विकलांग खिलाड़ी देश के लिए खेले या देश के लिए मरे क्या फर्क पड़ता है वो तो एक बस विकलांग हैं ।
मेरा लक्ष्य है कि जनपद सोनभद्र में मैं रोजगार पाकर जनपद सोनभद्र के युवा क्रिकेट खिलाड़ियों को उनके सपनों तक पहुंचना चाहता हूँ और साथ ही जनपद सोनभद्र को क्रिकेट की दुनिया मे एक अलग पहचान दिलाना चाहता हूँ । मैंने अवधूत भगवान राम पीजी कॉलेज से एम.ए (हिन्दी) की है और मैं मूलतः कुशीनगर का रहने वाला हूँ किन्तु मेरा जन्म अनपरा में ही हुआ है ।
दिसंबर 2014 श्रीलंका दौरे पर लैंको ने आने जाने का सारा हवाई खर्च किया था उसके बाद कोई भी मदद नही मिली तो 2015 में NCL के स्थापना दिवस पर NCLद्वारा ₹ 30,000/- नगद पुरस्कार दिया गया था । 2015 में ही जिलाधिकारी महोदय द्वारा खेल दिवस पर सम्मानित किया गया ।
मेरे द्वारा किये गए कार्यों को देख कुछ अराजक तत्वों ने मेरी विकलांगता का भी मजाक बनाया, मुझे पागल,सनकी तक घोषित किया गया ।
मेरी सरकार से बस यही माँग है कि अगर हम इस समाज के विशेष व्यक्ति है तो देश के लिए खेलने वालों को तत्काल रूप से उनकी शिक्षा के अनुसार रोजगार दें जिससे कि खिलाड़ी पूरे तन मन के साथ राष्ट्र के प्रति समर्पित रहे।

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