हेल्थ डेस्क।(सुमन द्विवेदी) अमेरिका में मैक्सिको से आए पपीते से साल्मोनेला बैक्टीरिया का इंफेक्शन फैलने की पुष्टि होने के बाद सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने अलर्ट जारी किया है। आयातित पपीते से 8 राज्यों में 62 लोग संक्रमित हो गए। इनमें से 40 फीसदी को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। अमेरिका में 97 फीसदी तक पपीता मैक्सिको से आयात किया जाता है।
साल्मोनेला बैक्टीरिया का संक्रमण ज्यादातर आंतों में होता है। दूषित खाने और पानी से यह बैक्टीरिया फैलता है। मरीज को तुरंत लक्षण दिखाई नहीं देते। संक्रमण के 72 घंटे के अंदर डायरिया, फीवर और पेट में ऐंठन जैसे लक्षण नजर आते हैं। दुनियाभर में 2300 तरह के साल्मोनेला बैक्टीरिया पाए जाते हैं। लेकिन, अमेरिका में आधे से अधिक संक्रमण का कारण साल्मोनेला एंटेरिटाइडिस और साल्मोनेला टिफिम्यूरियम हैं। हालांकि, वर्तमान में फैले संक्रमण का कारण साल्मोनेला युगांडा बैक्टीरिया है।
फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन और कृषि विभाग के मुताबिक, अमेरिका में 97 फीसदी पपीता मैक्सिको से आयात किया जाता है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के मुताबिक, संक्रमण की शुरुआत जनवरी से हुई थी। हालांकि अप्रैल में इसके मामले ज्यादा आए। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल कहना है- यह जानने की कोशिश की जा रही है कि मैक्सिको में कहां और किस फार्म से आने वाला पपीता संक्रमण की वजह बन रहा है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने मैसाच्युसेट्स, न्यूजर्सी, न्यूयॉर्क, पेन्सिलवेनिया, रोड आइलैंड के लोगों को पपीता न खाने की सलाह दी है।
अमेरिका के लोग मैक्सिको से आयातित और सुपरमार्केट में मौजूद पपीते को हटाने और प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं। अमेरिकी सरकार भी संक्रमण कंट्रोल होने तक प्रतिबंध लगाने का मन बना रही है। अमेरिका में 2017 और 2011 में भी संक्रमण के मामले सामने आए थे। 2017 में 23 अमेरिकी राज्यों के 220 लोग संक्रमित हुए थे। 2011 में 100 लोग प्रभावित हुए थे।
संक्रमण के मामले सामने आने के बाद फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) की सुरक्षा नीतियों पर सवाल उठ रहे हैं। सेंटर फॉर साइंस की डायरेक्टर सारा सोर्ससेर का कहना है कि एफडीए को खुद यह देखना चाहिए कि जहां फल उगाए जा रहे हैं वहां सुरक्षा मानकों का पालन किया जा रहा है या नहीं। सिर्फ पपीते पर प्रतिबंध लगाना ही समस्या का हल नहीं है।