ट्रंप प्रशासन ने भारत को चेतावनी दी है कि अगर वह रूस से लंबी दूरी का एस-400 मिसाइल रक्षा तंत्र खरीदता है तो उसे मिलने वाले अमेरिकी सहयोग पर असर पड़ सकता है।

वाशिंगटन ।

ट्रंप प्रशासन ने भारत को चेतावनी दी है कि अगर वह रूस से लंबी दूरी का एस-400 मिसाइल रक्षा तंत्र खरीदता है तो उसे मिलने वाले अमेरिकी सहयोग पर असर पड़ सकता है।
ट्रंप प्रशासन ने कहा कि अमेरिका भारत की रक्षा जरुरतों को आधुनिक प्रौद्योगियों व साजो सामान के साथ पूरा करने में मदद के लिए तैयार है। विदेश मंत्रालय की विशेष अधिकारी एलिस जी वेल्स ने यह जानकारी एशिया, प्रशांत एवं परमाणु अप्रसार के लिए विदेश मामलों में सदन की उपसमिति को दी। उन्होंने कहा कि भारत की रूसी हथियारों पर निर्भरता पुराने समय से है।ट्रंप प्रशासन का यह बयान अमेरिकी विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा कुछ सप्ताह पहले दी गई ऐसी ही चेतावनी के बाद आया है। अधिकारी ने कहा था कि भारत के रूस से मिसाइल तंत्र खरीद के भारत-अमेरिका संबंध पर निहितार्थ होंगे।
उन्होंने कहा कि एस-400 के साथ चिंता की बात यह है कि यह हमारी अपनी आपसी क्षमता को बढ़ाने की भारत की क्षमता को घटा देगा। वेल्स ने कहा कि एक खास मोड़ पर पहुंचकर भारत को निर्णय लेना पड़ेगा कि वह कौन सा हथियार तंत्र, मंच चुनता है। लेकिन मुद्दा यह है कि भारत के 65 से 70 प्रतिशत सैन्य उपकरण रूस निर्मित हैं।

★ क्या है एस-400

एस-400 रूस का सबसे आधुनिक सतह से हवा तक लंबी दूरी वाला मिसाइल रक्षा तंत्र है। मोदी और पुतिन के बीच पिछले साल पांच अरब डॉलर में एस-400 हवाई रक्षा तंत्र खरीद सौदे पर हस्ताक्षर हुए थे।

★ 10 साल में भारत से रक्षा व्यापार बढ़ा

वेल्स ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारत-अमेरिका रक्षा व्यापार शून्य से 18 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। यह ऐसा मामला है कि 10 साल पहले तक हम भारत को उतने सैन्य साजो सामान की पेशकश नहीं करते थे जितना हम आज देने के लिए तैयार हैं। हम भारत के साथ बातचीत कर रहे है कि हम अपने रक्षा संबंधों को किस प्रकार से बढ़ा सकते हैं।

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