धर्म डेस्क।श्रीसत्यनारायण व्रत महान पुण्य प्रदान करने वाला है। यह व्रत मोह पाश से मुक्त करने वाला है। इस संसार में एकमात्र नारायण ही सत्य हैं, बाकी सब माया है। जिसने सत्य के प्रति विश्वास किया, उसके कार्य सिद्ध होते हैं। श्रीसत्यनारायण की कथा से मनुष्य वास्तविक सुख-समृद्धि का स्वामी बन सकता है। श्रीसत्यनारायण कथा सुनने मात्र से पुण्य की प्राप्ति हो जाती है। यह पूजा पूर्णिमा के दिन पर ही नहीं अन्य शुभ अवसर पर भी की जा सकती है। आमतौर पर पूर्णिमा पर संध्या समय इस कथा का पाठ किया जाता है।
भगवान का सत्यनारायण स्वरूप इस कथा में बताया गया है। यह कथा बताती है कि व्रत-पूजन करने में मनुष्य का समान अधिकार है। चाहे वह निर्धन हो धनवान, राजा हो या व्यवसायी, ब्राह्मण हो या अन्य वर्ग, स्त्री हो या पुरुष। यह कथा घर में अन्न, धन और मां लक्ष्मी का आशीष लाती है। इस कथा से सुख, समृद्धि, यश, कीर्ति, संपत्ति, ऐश्वर्य, सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है। इस कथा के पाठ से पूर्वजों को शांति और मुक्ति की प्राप्ति होती है। भगवान को धन्यवाद देने के लिए भी इस कथा का पाठ किया जाता है। यदि मनुष्य सत्यनिष्ठा के व्रत का त्याग दे तो उसे अपने जीवन में और मृत्यु के उपरांत भी कष्टों को भोगना पड़ता है। भगवान सत्यनारायण की पूजा के लिए दूध, मधु, केला, गंगाजल, तुलसी, मेवा मिलाकर पंचामृत तैयार किया जाता है। फल, मिष्ठान के अलावा आटे को भूनकर उसमें चीनी मिलाकर प्रसाद तैयार किया जाता है। जो व्यक्ति सत्यनारायण पूजा का संकल्प लेते हैं उन्हें दिनभर व्रत रखना चाहिए।