एसी समेत कई उत्पादों पर घट सकता है जीएसटी,

अर्थव्यवस्था में सुस्ती को देखते हुए उद्योग चाह रहे कर रियायत

नई दिल्ली ।

बजट से पहले ही सरकार उपभोक्ताओं को एक और राहत दे सकती है। इसके लिए जीएसटी परिषद 20 जून को होने वाली बैठक में एसी, वाहन उपकरणों, सीमेंट जैसे उत्पादों को 28 फीसदी की उच्चतम स्लैब से नीचे लाने पर विचार कर सकती है। कुछ राज्यों ने पहले ही उपभोक्ताओं के सीधे इस्तेमाल से जुड़े उत्पादों पर जीएसटी घटाने की मांग की है। अभी जीएसटी की सबसे ऊंची स्लैब में 28 उत्पाद हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी राजस्व संग्रह लगातार दो माह से एक लाख करोड़ रुपये के ऊपर हैं, ऐसे में करों में कमी की थोड़ी-बहुत गुंजाइश बनती है।
अर्थव्यवस्था में सुस्ती की आहट के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की यह पहली बैठक होगी। पिछली सरकार में वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली ने कर संग्रह में स्थिरता के बाद 12 और 18 फीसदी की जीएसटी स्लैब को मिलाकर एक दर तय करने का संकेत दिया था। आने वाले वक्त में जीएसटी परिषद इस ओर भी कदम उठा सकती है।
आर्थिक सुस्ती दूर करने के लिए तुरंत राहत की दरकार
उद्योग संगठनों का भी कहना है कि आर्थिक सुस्ती को दूर करने के लिए त्वरित उपायों की जरूरत है। अन्यथा उत्पादन, विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में नरमी से रोजगार में और कमी आ सकती है। दूरसंचार, रियल्टी एस्टेट के बाद वाहन उद्योग में 18 साल की सबसे कम बिक्री ने भी खतरे की घंटी बजा दी है। रोजमर्रा के उत्पादों से जुड़ी कंपनियों ने भी आखिरी तिमाही में खराब प्रदर्शन किया है, जो ग्रामीण इलाकों में कम खपत और कमजोर मांग का संकेत देता है। विशेषज्ञों का कहना है कि आरबीआई रेपो दर में लगातार तीसरी कटौती कर अहम फैसला ले चुका है और जीएसटी परिषद प्रोत्साहन को और आगे ले जा सकती है।

जनवरी में 23 उत्पादों पर राहत मिली थी
इससे पहले दिसंबर में हुई जीएसटी परिषद की बैठक में 23 उत्पादों पर टैक्स घटाया गया था। इसमें 32 इंच तक के टीवी, फ्रिज समेत सात उत्पादों को 28 फीसदी की टैक्स स्लैब से बाहर लाया गया है। हालांकि सीमेंट, वाहन उपकरण औऱ तंबाकू जैसे उत्पाद सबसे ऊंची स्लैब में ही है।
उत्पादन और खपत दोनों को बढ़ाने की रणनीति
केंद्र सरकार का मानना है कि करों में कमी लाकर उत्पादन और खपत दोनों को बढ़ावा दिया जा सकता है। अगर उत्पादों की बिक्री बढ़ती है तो कंपनियां ज्यादा विनिर्माण को प्रोत्साहन होंगी, जिससे अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। वित्त वर्ष 2018-19 की आखिरी तिमाही में विकास दर 5.8 फीसदी रही है, जो पांच साल में सबसे कम जीडीपी वृद्धि दर है।

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