लखनऊ । उत्तर प्रदेश के ऊर्जा विभाग में अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहावत एकदम चरित्रार्थ हो रही है. जिस विभाग का मुखिया उन कर्मचारियों के अंतरतहसील के तबादले का भी आदेश जारी कर देता है जोकि उसके कर्मचारी हैं ही नहीं और बाद में उसको वापस लेना पड़ता है तो उसके विभाग का निदेशक अगर ऐसी गलतियाँ करे तो बहुत ज्यादा आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए. वाह रे अलोक कुमार का ऊर्जा विभाग जो भी करे वही कम, अपने मुखिया की ही तर्ज पर भ्रष्टाचार तो भ्रष्टाचार बचकानी हरकत का बेमिशाल उदाहरण पेश किया है पश्चिमांचल विद्युत् वितरण निगम के निदेशक तकनीकी राजकुमार ने. जोकि यह साबित करता है कि अभी तक मोदी और योगी द्वारा योग्य और कर्मठ अफसरों की तैनाती की नसीहत भी बेअसर साबित हुई है सूबे के ऊर्जा विभाग में
“अफसरनामा” अभी तक ऊर्जा विभाग के उत्पादन निगम के तकनीकी निदेशक बीएस तिवारी के बारे में लिखता रहा है जिसपर विभाग के जिम्मेदार आँखें बंद कर और कान में तेल डाले रहे. और अब जो मामला सामने आया है वह पश्चिमांचल विद्युत् वितरण निगम, मेरठ के निदेशक तकनीकी का है. पश्चिमांचल विद्युत् वितरण निगम के निदेशक तकनीकी राजकुमार द्वारा दिनांक 04.06.19 को जारी किये गए एक आदेश पर यदि गौर किया जाय तो उनकी कार्यशैली की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है. जहां एक ट्रांसफार्मर जलने के बाद उसकी क्षतिपूर्ति सम्बंधित अफसरों से किये जाने का आदेश निदेशक महोदय द्वारा जारी किया जाता है. जारी आदेश में ट्रांसफार्मर जला मई 2019 में, जांच कमेटी बनी फरवरी 2019 में और रिपोर्ट सबमिट करने का महीना जनवरी 2019 दर्शाया गया है. यानी ट्रांसफार्मर जलने के 3 महीने पहले ही जांच कमेटी बना दी गयी और जलने के 4 माह पहले जांच रिपोर्ट सबमिट करने तिथि भी मुक़र्रर कर दी गयी।
पश्चिमांचल विद्युत् वितरण निगम मेरठ में खराब ट्रांसफॉर्मर की कीमत कार्मिक से वसूली जा रही है. और तो और गौर करने वाली बात यह है कि ट्रांफार्मर जला 14.05.2019 को, जांच कमेटी बनी 11.02.2019 को और रिपोर्ट आनी थी 31.01.2019 तक. इससे हास्यास्पद और गैर जिम्मेदाराना हरकत और क्या हो सकती है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. यह तिथियाँ पश्चिमांचल विद्युत् वितरण निगम के निदेशक तकनीकी राजकुमार द्वारा मुख्य अभियंता (वितरण) नोएडा क्षेत्र को जारी पत्रांक संख्या 713/प०वि०वि०नि०लि०/मेरठ/भंडार दिनांक 04.06.2019 की हैं।
पत्र के अनुसार मुख्य अभियंता (वितरण) नोएडा क्षेत्र के अंतर्गत विद्युत् नगरीय वितरण खंड-द्वितीय के अधीनस्थ 33/11 केवी उपकेन्द्र सेक्टर-31 नोएडा पर दिनांक 14.05.19 को एक नग 10 एमवीए क्षतिग्रस्त होना सूचित किया गया. इस सम्बन्ध में कार्यालय के पत्रांक संख्या 2526/प०वि०वि०नि०लि०/मेरठ दिनांक 11.02.2019 द्वारा गठित जांच टीम की रिपोर्ट भी दिनांक 31.01.2019 तक प्राप्त नहीं हुई दर्शाया गया है. इसके बाद सम्बंधित अधिकारी एवं कार्मिक को उनकी जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाही बताया गया और उनके स्तर से परिवर्तकों की क्षतिग्रस्तता रोकने के कोइ गंभीर प्रयास नहीं किये गए यह आरोप लगाया गया. जबकि काम के प्रति गंभीरता का अंदाजा इस पत्र के मजमून से लगाया जा सकता है।
इसके बाद इस प्रकरण में विभागीय क्षति के दृष्टिगत समबन्धित अवर अभियंता,उपखंड अधिकारी एवं अधिशाषी अभियंता (वितरण) प्रत्येक पर रिपेयर में आने वाले औसत व्यय रूपये 14 लाख का एक तिहाई रुपया 4,66,666 लाख मात्र का विविध अग्रिम डाले जाने का निर्णय मुख्यालय स्तर पर लिया गया है. और उक्त धनराशी की वसूली समबन्धित से ससमय कराते हुए 3 दिन के अन्दर अवगत कराने का निर्देश दिया गया है।