राज्य के 86 संदिग्ध मरीजों पर निगरानी रखी जा रही है। इनमें अभी निपाह वायरस की पुष्टि नहीं हुई है।

नई दिल्ली/तिरुअनंतपुरम।स्वास्थ्य के सुरक्षा के दृष्टि से केरल में निपाह वायरस की पुष्टि होने के साथ ही प्रशासनिक स्तर पर अतिरिक्त सावधानी बरती जा रही है। बताते चले कि राज्य के 86 संदिग्ध मरीजों पर निगरानी रखी जा रही है। इनमें अभी निपाह वायरस की पुष्टि नहीं हुई है। एर्नाकुलम मेडिकल कॉलेज में बीमारी के इलाज के लिए अलग से स्पेशल वार्ड बनाया गया है। 2018 में केरल में निपाह वायरस से करीब 16 लोगों की मौत हुई थी। 750 से ज्यादा मरीजों को निगरानी में रखा गया था।

यह वायरस कैसे फैलता है और केरल में ही इसके मामले ही क्यों पाए जाते हैं, ऐसे कई सवालों के जवाब जानने के लिए ‘भास्कर’ ने मलेशिया के प्रोफेसर चुआ कॉ बिंग (सिंगापुर में कार्यरत) और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्टीफन लुबी से संपर्क किया। प्रोफेसर बिंग ने 1999 में सबसे पहले इस वायरस को मलेशिया में खोजा था। प्रोफेसर लुबी वे साइंटिस्ट हैं जिन्होंने बांग्लादेश में इसकी खोज की थी। वे पिछले 10 साल से इस पर रिसर्च कर रहे हैं।

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