आपकी जिंदगी को कैसे प्रभावित करती हैं वास्तु की आठ दिशाएं?

हम अक्सर सुनते हैं कि दिशाओं का खुशहाल जीवन में खासा योगदान होता है। दिशाएं हमारी जीवन शैली को प्रभावित करती हैं। खासकर वह घर जहां हम रहते हैं या वह दफ्तर जहां हम काम करते हैं या फिर वह जगह जहां हम ज्यादा से ज्यादा वक्त गुजारते हैं। दिशाएं हर किसी के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं और पूरा का पूरा वास्तुशास्त्र ही दिशाओं पर आधारित है।

जिंदगी को खुशहाल बनाने, तनाव से मुक्त रहने और सुख-समृद्धि की भला किसे चाहत नहीं होती। इसके लिए जितनी जरूरत अपनी जीवन शैली और सोच को संतुलित और संयमित करने की है वहीं यह भी बेहद ज़रूरी है कि हमारे आसपास की दशा और दिशा ठीक हो। हम आपको बताएंगे कि आखिर दिशाओं का ज़िंदगी में क्या महत्व है और कौन सी दिशा किसी के लिए क्या मायने रखती है। यह भी जानना जरूरी है कि रोशनी, हवा और घर की चीजों के रखरखाव का रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर क्या असर होता है।

वास्तु नियम अपनाएं खुलहाली लाएं

सदियों से मकान बनाते वक्त बहुत सारी बातों का ध्यान रखा जाता है। उदाहरण के तौर पर घर का मुख्य दरवाजा किस दिशा में हो, रसोईघर कैसा और किस दिशा में बनाया जाए, सोने के कमरे या बच्चों के कमरे की दिशा क्या हो, खिड़कियां कहां और कैसी हों, आलमारी कहां बनवाई जाए या रखी जाए, शौचालय या स्नानघर किस दिशा में हो आदि। पहले जगह की उतनी कमी नहीं थी, बड़े मकान बनाने की सुविधा थी और बेहद सोच समझकर वास्तु के मूल तत्वों को ध्यान में रखकर मकान बनाए जाते थे लेकिन आज के दौर में एक सामान्य आदमी के लिए मकान एक सपना है और खासकर महानगरों में उसकी ज़िंदगी फ्लैटों में सिमट कर रह गई है। बड़े अपार्टमेंट्स बनने लग गए हैं और बिल्डर्स कम जगह में सैकड़ों फ्लैट्स बनाकर करोड़ों का मुनाफ़ा कमा रहे हैं।

इसके बावजूद वास्तुशास्त्र के मूल सिद्धांतों को ध्यान में रखकर आप अपने घर में खुशहाली ला सकते हैं, कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ सकते हैं और अपने भविष्य को संवार सकते हैं। इस बार हम आपको वास्तुशास्त्र के मुताबिक उन आठ दिशाओं के बारे में बताएंगे जिसकी खासियत जान लेने के बाद आप शुरूआती दौर में कुछ आवश्यक सावधानियां बरत सकते हैं। ये आठ दिशाएं हैं – पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम, दक्षिण-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम।

वास्तु में दिशाओं का महत्व

पूर्व – सूर्योदय की दिशा होने की वजह से इस तरफ से सकारात्मक व ऊर्जा से भरी किरणें हमारे घर में प्रवेश करती हैं। घर के मालिक की लंबी उम्र और संतान सुख के लिए घर के मुख्य दरवाजे और खिड़की का इस दिशा में होना शुभ माना जाता है। बच्चों को भी इसी दिशा की ओर पढ़ाई करनी चाहिए। इस दिशा में दरवाजे पर मंगलकारी तोरण लगाएं तो इसका सकारात्मक प्रभाव और ज्यादा होता है।

पश्चिम – इस दिशा की ज़मीन या फर्श का तुलनात्मक रूप से ऊँचा होना आपकी सफलता व कीर्ति के लिए शुभ संकेत है। आपका रसोईघर और टॉयलेट इस दिशा में हो तो सबसे बेहतर। यह दिशा सौर ऊर्जा की विपरित की दिशा हैं अतः इसे ज्यादा से ज्यादा बंद रखना चाहिए।

उत्तर – इस दिशा में घर का प्रवेश द्वार होना बहुद शुभ और लाभकारी होता है। उत्तर दिशा में सबसे ज्यादा खिड़की और दरवाजे होने चाहिए। घर की बालकनी व वॉश बेसिन भी इसी दिशा में होना चाहिए। इस दिशा में वास्तुदोष होने पर धन की हानि व करियर में बाधाएँ आती हैं।

दक्षिण – इस दिशा की ज़मीन पर भारी सामान रखने से घर के सदस्य सुखी, समृद्ध और निरोगी होते हैं। आलमारी का लॉकर भी इसी दिशा में रहे पर उसमें बढ़ोतरी होती है। दक्षिण दिशा में किसी भी प्रकार का खुलापन, शौचालय आदि नहीं होना चाहिए।

उत्तर-पूर्व – ‘ईशान दिशा’ के नाम से जानी जाने वाली यह दिशा ‘जल’ की दिशा होती है। इस दिशा में बोरिंग, स्वीमिंग पूल, पूजास्थल आदि होना चाहिए। घर के मुख्य द्वार का इस दिशा में होना वास्तु की दृष्टि से बेहद शुभ माना जाता है।

उत्तर-पश्चिम – इसे ‘वायव्य दिशा’ भी कहते हैं। यदि आपके घर में नौकर है तो उसका कमरा भी इसी दिशा में होना चाहिए। इस दिशा में आपका बेडरूम, गैरेज, गौशाला आदि होना चाहिए।

दक्षिण-पूर्व – यह ‘अग्नि’ की दिशा है इसलिए इसे आग्नेय दिशा भी कहते हैं। इस दिशा में गैस, बॉयलर, इन्वर्टर आदि होना चाहिए। इस दिशा में खुलापन अर्थात खिड़की, दरवाजे बिल्कुल ही नहीं होना चाहिए। गृहस्वामी का कमरा इस दिशा में होना चाहिए।

दक्षिण-पश्चिम – जिंदगी में अगर स्थायित्व चाहिए तो घर के दक्षिण-पश्चिम हिस्से का वास्तुदोष करना जरूरी है। इस हिस्से में सबसे ज्यादा चुम्बकीय ऊर्जा होती है। इसलिए माना जाता है कि अगर इस दिशा में धन, जेवरात या निवेश से जुड़े दस्तावेज रखे जाएं तो सबसे ज्यादा फायदा होता है। यहां पानी का स्त्रोत नहीं होना चाहिए। टॉयलेट या किचन भी इस दिशा में नुकसानदेह होता है। यानी इस कोने को पानी या अग्नि से दूर रखें। यह एक पॉजिटिव एनर्जी वाली दिशा होती है इसलिए इसका इस्तेमाल उसी तरह करना चाहिए।

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