जिंदगी को खुशहाल बनाने, तनाव से मुक्त रहने और सुख-समृद्धि की भला किसे चाहत नहीं होती। इसके लिए जितनी जरूरत अपनी जीवन शैली और सोच को संतुलित और संयमित करने की है वहीं यह भी बेहद ज़रूरी है कि हमारे आसपास की दशा और दिशा ठीक हो। हम आपको बताएंगे कि आखिर दिशाओं का ज़िंदगी में क्या महत्व है और कौन सी दिशा किसी के लिए क्या मायने रखती है। यह भी जानना जरूरी है कि रोशनी, हवा और घर की चीजों के रखरखाव का रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर क्या असर होता है।
वास्तु नियम अपनाएं खुलहाली लाएं
सदियों से मकान बनाते वक्त बहुत सारी बातों का ध्यान रखा जाता है। उदाहरण के तौर पर घर का मुख्य दरवाजा किस दिशा में हो, रसोईघर कैसा और किस दिशा में बनाया जाए, सोने के कमरे या बच्चों के कमरे की दिशा क्या हो, खिड़कियां कहां और कैसी हों, आलमारी कहां बनवाई जाए या रखी जाए, शौचालय या स्नानघर किस दिशा में हो आदि। पहले जगह की उतनी कमी नहीं थी, बड़े मकान बनाने की सुविधा थी और बेहद सोच समझकर वास्तु के मूल तत्वों को ध्यान में रखकर मकान बनाए जाते थे लेकिन आज के दौर में एक सामान्य आदमी के लिए मकान एक सपना है और खासकर महानगरों में उसकी ज़िंदगी फ्लैटों में सिमट कर रह गई है। बड़े अपार्टमेंट्स बनने लग गए हैं और बिल्डर्स कम जगह में सैकड़ों फ्लैट्स बनाकर करोड़ों का मुनाफ़ा कमा रहे हैं।
इसके बावजूद वास्तुशास्त्र के मूल सिद्धांतों को ध्यान में रखकर आप अपने घर में खुशहाली ला सकते हैं, कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ सकते हैं और अपने भविष्य को संवार सकते हैं। इस बार हम आपको वास्तुशास्त्र के मुताबिक उन आठ दिशाओं के बारे में बताएंगे जिसकी खासियत जान लेने के बाद आप शुरूआती दौर में कुछ आवश्यक सावधानियां बरत सकते हैं। ये आठ दिशाएं हैं – पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम, दक्षिण-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम।