हर साल अस्थमा से 3,83000 से अधिक मौतें होती है
भारत में 2 करोड़ अस्थमा के मरीज हैं
लखनऊ.4 मई। देश में आधुनिकीकरण बढ़ने के कारण वायु प्रदूषण भी तेजी से बढ़ा है जिसके फलस्वरूप अस्थमा के रोगियों की संख्या भी काफी बढ़ी है। अस्थमा से छोटे बच्चों सहित बुजुर्ग तक प्रभावित हो रहे हैं। अस्थमा के प्रति लोगों में कैसे जागरूकता लायी जाये इसके लिये हर साल अस्थमा दिवस पूरे विश्व में मनाया जाता है।
अपोलो मेडिक्स सुपर स्पेशलटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट, डिपार्टमेंट ऑफ पल्मोनोलॉजी के डाक्टर ए.के. सिंह ने बताया कि अस्थमा रोग एक एलर्जी है और ये एलर्जी किसी को धूल, पराग, जानवरों के फर, वायरस, हवा के प्रदूषक आदि से हो सकती है। अगर किसी को भी खॉसी, सूखी खॉसी, सांस फूलना,सीने सीने में दर्द, सर्दी, जुखाम, सांस लेने में सीटी जैसी आवाज आये तो उसे सचेत हो जाना चाहिये क्योंकि ये सब अस्थमा के शुरूआती लक्षण हो सकते है।
उन्होने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) के अनुसार इस समय दुनिया भर में 23.5 करोड़ लोग वर्तमान में अस्थमा से पीड़ित हैं। दुनिया भर में अस्थमा से हर साल 3,83000 से अधिक मौतें होती है जबकि एक अनुमान के मुताबिक भारत में 2 करोड़ अस्थमा के मरीज हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) के अनुसार, अस्थमा से 80 प्रतिशत से अधिक मौत के मामले अधिक निम्न और निम्न-मध्य-आय वाले देशों में होती है जिन में अपना देश भारत भी है।
डाक्टर ए.के. सिंह ने कहा कि अस्थमा ऐसी बीमारी है जिसमें फेफड़ो तक सही मात्रा में आक्सीजन नहीं पंहुच पाता और सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाती है। अस्थमा या दमा का उपचार काफी हद तक मुमकिन है। अस्थमा मरीजों को काफी सावधानी बरतनी चाहिये क्योंकि हल्की सी लापरवाही जानलेवा हो सकती है। अस्थमा मरीज अगर डाक्टर की सलाह का सही से पालन करें तो वो सामान्य जिंदगी बड़े आराम से जी सकते है। आज हमारे सामने कई खिलाड़ियों, कलाकारों के उदाहरण सामने है जो अस्थमा से पीड़ित होने के बावजूद भी अपने काम को बखूबी अजांम दे रहे है।
उन्होने कहा कि ज्यादा गर्म और ज्यादा सर्द मौसम के अलावा वाहनों से, औद्योगिक इकाइयों से निकलता जहरीला धुआँ, वायु प्रदूषण भी अस्थमा रोग के लिये काफी जिम्मेदार है। अगर कोई अस्थमा से पीड़ित है तो सर्वप्रथम उसे घर में बिछाई गयी कारपेट को बराबर साफ करते रहना चाहिये क्योंकि कारपेट में काफी धूल के कण मौजूद रहते है, बेहतर होगा अगर आप कारपेट इस्तेमाल न करें। अपने घर में हमें एरिका प्लान्ट, स्नेक प्लान्ट लगाना चाहिये इसको लगाने से हमें घर में पर्याप्त आक्सीजन मिलती है। जिन घरों के आगे पेड़ लगा होता है उन घरों में धूल के कण कम पाये जाते है। अगर हम अपने आसपास हरियाली रखे तो इससे शुद्ध आक्सीजन की कमी नहीं होगी।
डाक्टर श्री सिंह ने कहा कि बरसात आते ही अस्थमा के मरीजों में 20 से 25 प्रतिशत का इजाफा हो जाता है। ऐसा मौसम बदलने के कारण हो सकता है। दरअसल अस्थमा का कारण इंफेक्शन भी होता है। अस्थमा मरीजों को अपने पास हमेशा इन्हेलर रखना चाहिए क्योंकि अस्थमा पर विजय प्राप्त करने के लिये इन्हेलर काफी कारगर है। अस्थमा के उपचार के लिये आज अच्छी दवायें और उपकरण मौजूद है जो सीधे फेफड़े पर असर करती है। और इन दवाइयों का कोई दुष्प्रभाव भी हमारे शरीर पर नहीं पड़ता है।