सोनभद्र। जिला प्रोबेशन अधिकारी रामनाथ राम ने जानकारी देते हुए बताया कि किसी भी बालिका जिसने अपनी आयु 18 वर्ष पूर्ण न की हो एवं किसी भी बालक/युवा जिसने आयु 21 वर्ष पूर्ण न की हो, का विवाह कराया जाना प्रतिबन्धित है, बाल विवाह प्रतिषेक्ष अधिनियम, 2006 के अन्तर्गत बाल विवाह एक दण्डनीय अपराध है तथा बाल विवाह में प्रतिभागा करने वाले व्यक्तियों पर भी कानूनी कार्यवाही का प्राविधान किया गया है, बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम,2006 के प्राविधानों के अन्तर्गत बाल विवाह करने वाले पुरूष वयस्क के लिए एवं बाल विवाह का अनुष्ठान करने वाले व्यक्तियों के लिए 02 वर्ष के कठोर कारावास/एक लाख रूपये तक के जुर्माना का भी प्राविधान है, यूनिसेफ के द्वारा हाल ही में किये गये एक सर्वेक्षण से भी विदित हुआ है कि सोनभद्र में बाल विवाह की घटनयें हो रही है। बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है, जिससे षारीरिक एवं मानसिक रूप से गंभीर दुष्प्रभाव होते हैं। उन्होंने बताया कि अक्षय तृतीय (आखा तीज) के अवसर पर बाल विवाह करने की रूढ़िवादी परम्परा समाज में प्रचलित रही है। वर्ष-2019 में अक्षय तृतीया 07 मई,2019 को पड़ रही है। बाल विवाह की रोकथाम के लिए जिले में विभिन्न प्रकार के जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाने के निर्देष दिये गये हैं, बाल विवाह कराने में सम्मिलित व्यक्तियों के विरूद्ध नियमानुसार कानूनी कार्यवाही की जायेगी, वैवाहिक आयोजन कराये जाने वाले प्रिटिंग प्रेस, टेन्ट व्यावसायी, मैरिज हाल, बैण्ड बाजा, कैटरर्स, फोटो ग्राफर, पुरोहित/मौलवी इत्यादि व्यक्तियों एवं संस्थाओं से भी यह अपेक्षा की जाती है, की वैवाहिक आयोजन कराने से पूर्व यह सुनिष्चित कर ले की वधू की आयु 18 वर्ष एवं वर की आयु 21 वर्ष से कम न हों। जिले के सभी सम्मानित व्यक्तियों से यह अनुरोध है कि यदि बाल विवाह से सम्बन्धित कोई प्रकरण उनके संज्ञान में आता है, तो प्रकरण के सम्बन्ध में तत्काल 100 नम्बर व 181 नम्बर तथा स्िानीय पुलिस स्टेषन/चौकी को सूचित करें, जिससे बाल विवाह को रोका जा सकें।