गुरमा /सोनभद्र (मोहन गुप्ता)नगवा विकास खण्ड क्षेत्र के अतिनक्शल प्रभावित क्षेत्र लौवा चिरुई मध्य मुख्य मार्ग स्थित लगभग ४० वर्ष पुर्व एक पेङ के नीचे शिव मन्दिर की आदिवासी ग्रामीणों ने स्थापना कर पुजा अर्चना करते चले आ रहे थे ।इस मन्दिर का पुजारी अर्जुन मन्दिर की सेवा के साथ राहगीरों को पहाङी जंगल में प्यासों को पानी भी पीलाता था ऐसी स्थिति में पहाङी ग्रामीण अंचल के लोगों के सहयोग से मार्ग पर चलने वाले वाहनों राहगीरों से ईट भस्सी बालु और अन्य आर्थिक सहयोग माग कर मन्दिर का दिवार भी बना दिया था
और पुजारी बगल में झोपड़ी लगा कर मन्दिर समेत दर्शानार्थियो राहगीरों की भी सेवा करता चला आ रहा था ।कि इसी दौरान १४ अप्रैल को चुर्क बन रेंज के अधिकारी और कर्मचारियों ने अपने दलबल के साथ पहुच कर जहा पुजारी की पिटाई के साथ मन्दिर की दिवार भी ढहा दिया ।जिसका आदिवासी ग्रामीणों ने विरोध करने के साथ जिलाधिकारी से स्थली निरिक्षण करा कर बन विभाग के अधिकारियों के प्रति उचित कार्यवाही की माग की है।
इस सम्बन्ध में लौवा प्रधान राममूरत यादव श्यामजी जयसवाल मनोज जयसवाल चन्दिका यादव ब्रिजेश दुबे सदानन्द नारायन इत्यादि लोगों ने बताया कि तमाम बन क्षेत्रों में वन विभाग की मिलीभगत से बन विभाग की भूमि पर कब्जा किया गया है।लेकिन उनके प्रति बन विभाग मुक दर्शक बना हुआ है।वहीं आस्था का प्रतीक बन पहाङ में महामगेश्वर मन्दिर मछरमारा मन्दिर मां अमला धाम तमाम छोटी बङी मन्दिर धाम स्थापित है।इसके बावजुद भी ४० वर्ष पुर्व की स्थापित शिव मन्दिर किसके इशारे पर गिराने के साथ पुजारी को मारना पीटना आम जनमानस के गले नहीं उतर रहा है।
उक्त सम्बन्ध में प्रबुध्द व्यक्तिओ ने जिला प्रशासन से उचित जांच करा कर दोषियो को दण्डित कराने की माग की है।