आए दिन अस्पताल बंद रहने से जनमानस आक्रोशित

छोटे पर्वों पर भी बंद कर दी जाती है ओपीडी
कार्यदिवस में भी 9 से 12 कटती है पर्ची

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दुद्धी।(भीमकुमार)कभी ईद और दीवाली जैसे बड़े त्योहारों पर भी बन्द न रहने वाला स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आज छोटी-मोटी जयन्तियों व त्योहारों पर भी बंद कर दिया जा रहा है। अस्पताल प्रशासन की इस कार्यप्रणाली से दुद्धी के इर्द-गिर्द 50 किमी दूर से आने वाले मरीजों को स्वास्थ्य सुविधा का समुचित लाभ नही मिल पा रहा है। मरीजों को चिकित्सक के आवास पर जाकर एक रुपये की पर्ची की जगह 50 रुपये फीस देकर अपने जेब पर आर्थिक भार सहना पड़ रहा है। वहीं कुछ अपने मरीज का इलाज कराने के लिए लोग झोलाछाप चिकित्सकों की शरण में जाने को मजबूर हैं। अधीक्षक की इस अविवेकपूर्ण कार्यप्रणाली से आम जनमानस उद्देलित है। अप्रैल माह में मात्र 19 दिन में ही 4 दिन त्योहार के नाम पर 10-5 पर्ची काटकर ओपीडी बंद कर दिया गया। 13 रामनवमी, 14 अम्बेडकर जयंती, 17 को महाबीर जयंती तथा 19 को गुड फ्राइडे के नाम पर अस्पताल बंद कर दिया गया। जबकि पूर्व में यह अस्पताल ईद, बकरीद, होली, दीपावली जैसे बड़े त्योहारों पर भी कम से कम हाफ टाइम अस्पताल में पर्ची कटता था। चिकित्सकों की ड्यूटी का आलम यह है कि सुबह 8 से 2 तक ग्रीष्मकाल में चलने वाले इस अस्पताल में अधीक्षक खुद 9 बजे आते हैं। हाजिरी लगाने के उपरांत ऑफिस में बैठकर प्रशासनिक कार्यों में व्यस्त हो जाते है। अपने लगभग सालभर के कार्यकाल में ये 100 मरीज भी नही देखे होंगे। मानो इनके पास एमबीबीएस की डिग्री न होकर कोई ऐसी डिग्री है जिसका मरीजों के इलाज से कोई सरोकार नही है। डॉ मनोज एक्का 10 बजे आकर मेडिकल व पोस्टमार्टम का कार्य मात्र ही देखते हैं। डॉ साह आलम करीब 15-20 दिनों से गायब हैं। महीने में 15 दिन गायब रहना उनकी आदतों में शुमार है। ले-देकर डॉक्टर  हैं जो सुबह अस्पताल तो आ जाते हैं मगर प्रसव के बाद भर्ती महिलाओं की जांच व छुट्टी करने में ही आधा दिन बीता देते हैं। प्रसव वार्ड के अलावा सभी वार्डों में ताला लगा रहता है। अस्पताल समय से एक घंटा विलंब 9 बजे से पर्ची कटाकर मरीज चिकित्सकों के इंतज़ार में बैठे रहते हैं। 30 बेड के अस्पताल में 50 मरीज भर्ती के लोगों को ऐसी चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई जाती थी कि आज भी कोन से लेकर बभनी तथा झारखंड व छत्तीसगढ़ जैसे दूर दराज के क्षेत्रों से मरीजों का आना होता है मगर स्वास्थ्य सुविधा का माकूल न मिलने पर लोग उच्चाधिकारियों को कोसते हुए झोलाछाप चिकित्सकों की शरण मे जाने को मजबूर हो जाते हैं। कुछ दिन पहले तक जनपद के एक नंबर पर रहने वाले इस अस्पताल की दुर्दशा के प्रति लोगों ने जिलाधिकारी का ध्यान आकृष्ट करते हुए अस्पताल में सुधार की मांग की है।

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