राजस्व बकाये मामले में तहसीलदार ने युवक को राजस्व बंदी गृह में डाला

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दुद्धी। दुद्धी आज बुधवार की सुबह तहसीलदार ने एक ऐसे युवक को स्टाम्प कमी के राजस्व बकाये में राजस्व बंदी गृह में बंद कर दिया।जिस मामले में मा माननीय हाईकोर्ट के जज सिद्धार्थ वर्मा की बेंच ने 16 मई 2018 को ही अपने आदेश में क्लीन चिट दे दी है। पकड़े गए युवक कुतुब आलम खान के पिता रफी खान ने बताया कि बताया कि 12/03/15 को एक जमीन का टुकड़ा उनके पुत्र ने स्थानीय क़स्बा में खरीदा था।जिस पर सब रजिस्ट्रार दुद्धी ने भूमि के खरीद में स्टाम्प कमी का मामला बताकर उनके पुत्र के नाम नोटिस जारी जिसका जबाब देने के बावजूद रजिस्ट्रार ने मामले को सहायक स्टाम्प आयुक्त सोनभद्र को प्रेषित कर दिया।सहायक स्टाम्प आयुक्त की अदालत ने सारी दलीलों को सुनने के बाद यह आदेश दिया कि उनके पुत्र 15 लाख तीन हजार 536 रुपये का आरोप बनता है और 50 हजार की पेनालिटी भी लगाई और अपने आदेश में कहा कि जब तक पैसा जमा नही होता उक्त राशि 1.5 प्रतिशत का ब्याज भी चार्ज होगा।इस मामले में अपील लेकर राजस्व परिषद इलाहाबाद में वाद दाखिल किया गया। जहाँ राहत महसूस नही हुई।उसके बाद माननीय हाईकोर्ट में वाद दाखिल किया जहां पक्षों की सुनवाई के बाद 16 मई 18 को जज सिद्धार्थ वर्मा की बेंच ने अपने फैसले में सहायक स्टाम्प आयुक्त के 19 / 11/ 16 के आदेश को रद्द ( अमान्य घोषित)कर दिया।उसके बाद न जाने किस रंजिश में उनके बेटे को राजस्व बंदी गृह में डाल दिया गया उन्हें नही पता।उन्होंने कहा की आदेश की कॉपी बार बार तकादे में आने वाले अमीन को दी जा चुकी है।अमीन बार बार पैसे की मांग कर रहा था और जब पैसे नही दिए तो उसने तहसीलदार को सूचना देकर हमारे बेटे को राजस्व बंदी गृह में डलवा दिया। उन्होंने उच्चाधिकारियों से एसडीएम व तहसीलदार के तानाशाही रवैये के खिलाफ कार्रवाई का मांग किया है।तहसीलदार शशिभूषण मिश्रा ने इस मामले में कहा कि युवक पर राजस्व बकायेदारी में वारंट जारी था हाईकोर्ट के कोई आदेश की कॉपी मेरे पास नही है।अगर उनके पास कोई आदेश की कॉपी है तो उसे मेरे सामने प्रस्तुत करें।
इनसेट:
#हाईकोर्ट की आदेश की कॉपी लेकर तहसील पहुँचे युवक के भाई को एसडीएम ने किया शांतिभंग में चालान।
# दुद्धी। बंदी गृह में डाले गए युवक कुतुब आलम के पिता रफी खान ने मीडिया को दिए बयान में कहा कि हाईकोर्ट के आदेश का कॉपी देकर मैंने अपने तीसरे पुत्र इमरान खान को जब उपजिलाधिकारी महोदय के पास भेजा तो न जाने उसे 151 में उपजिलाधिकारी ने चालान कर दिया।

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