*रामजियावन गुप्ता*
बीजपुर (सोनभद्र) रिहंद की साहित्यिक संस्था रिहंद साहित्य मंच ने प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ नामवर सिंह के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की संस्था के संरक्षक डॉक्टर दिनेश दिनकर ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि साहित्य के नीर – क्षीर विवेक का सर्वाधिक चर्चित और समर्पित हंस उड़ गया । संवेदना और यथार्थ की जमीन की आहत है तथा आहत है साहित्य का वह विशाल प्रजातंत्र जिसका नामवर, दशकों से उसे उसकी चेतना से परिचित कराते हुए संभावनाओं की जमीन तलाशता रहा। संघर्ष की माटी को पीड़ा के भाल पर लगाए, आजीवन कलम की गंगाजली उठाए यह नामवर अक्षर सेना का सेनापति बनकर संदिग्ध शब्दों से कभी युद्ध तो कभी मुठभेड़ करता रहा । मंचों पर बेबाक बोलते हुए, सरपंचों और प्रपंचों से संवाद करते हुए,वटवृक्षों के नीचे उगे अंकुरों को सिर तान जीने का जीवन मंत्र देते हुए, शब्द बीजों को जमीन की कड़ी पपड़ी तोड़ अंकुरित होने के लिए उकसाते हुए वे अपनी अनेकानेक सृजनधर्मी छवियों से सदियों तक सहित्यानुरागियों को आंदोलित करते रहेंगे ।
एक प्रेरक प्राध्यापक के रूप में साहित्य के विद्यार्थियों के लिए उनका व्यक्तित्व सदैव प्रासंगिक बना रहेगा। वे वादों, विवादों से परे संवादों के प्रणेता बने रहेंगे । उन्होंने हिन्दी साहित्य की अप्रतिम सेवा की है ।संस्था के अध्यक्ष अभिषेक टंडन ने कहा कि उनके योगदान पर सदियों तक चर्चा – परिचर्चा होती रहेगी। आज वह हमारे बीच सशरीर नहीं हैं किन्तु उनका कालजयी कृतित्व अनवरत प्रेरणा देने की आश्वस्ति देते हुए, हमारे नेत्रों को सजल कर रहा है, यहीं उनकी ऊंचाई है। ईश्वर से उनकी आत्मा को शांति तथा उनके परिवार को दुख की इस दाहक घड़ी में संबल देंने हेतु अन्य पदाधिकारियों नरसिंह यादव, मुकेश कुमार, रामजी द्विवेदी, अरूण अचूक, आर डी दूबे ने कामना की तथा संस्था के महासचिव मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव ने दिल्ली से शोक संवेदना व्यक्त कर संस्था को अवगत कराया ।