एनटीपीसी रिहंद के स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया स्वरचित काव्यगोष्ठी

रामजियावन गुप्ता
बीजपुर/सोनभद्र एनटीपीसी रिहंद परियोजना के स्थापना दिवस के सुअवसर पर शनिवार को परियोजना के प्रशासनिक भवन में स्थित सृजन सम्मेलन कक्ष में रिहंद साहित्य मंच के रचनाकारों द्वारा रिहंद परियोजना पर आधारित स्वरचित काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया।
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काव्यगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित मुख्य महाप्रबंधक (रिहंद) ए के मुखर्जी ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि रचनाकारों की रचनाएँ समाज के लिए मार्गदर्शक का कार्य करती है तथा समय-समय पर लोगों को जागरुक भी करती हैं । मुख्य अतिथि ने कार्यक्रम की समाप्ति पर सभी रचनाकारों को पुरस्कार देकर उन्हें सम्मानित भी किया।इसके पूर्व सहायक प्रबंधक राजभाषा एवं कार्पोरेट कम्यूनिकेशन मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव ने अपने संबोधन के जरिए रिहंद स्थापना के बारे में प्रकाश डालते हुए काव्यगोष्ठी में उपस्थित रचनाकारों का स्वागत भी किया।काव्यगोष्ठी के दौरान कौशलेश दूबे ने ” हमारा रिहंद ” तथा मुकेश कुमार ” ने हर तरफ हरित सूरत-ए-हाल यहीं ” को सुनाकर रिहंदनगर की महिमा का गुणगान किया । अगली कड़ी में डी एस त्रिपाठी ने “बहुते सुख दिहलेसी एनटीपीसी रिहंद क बिजुरिया ” तथा अरुण अचूक ने एनटीपीसी का अभिन्न अंग कुछ तो है न्यारा रिहंद को सुनाकर श्रोताओं को तालियाँ बजाने पर बाध्य कर दिया । तत्पश्चात देवी प्रसाद पांडे ” एनटीपीसी कहते उसको जो घर करती उजियारा ” एवं मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव ने ” एमजीआर की रेल ” पर कविता सुनाकर श्रोताओं की खूब वाहवाही लूटी । रुद्रदेव दूबे ने ” धन भईल हमरो नगरिया ” तथा रामजी द्विवेदी ने “एनटीपीसी का प्रभाव ” पर कविता सुनाकर श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया । अन्य रचनाकारों में लक्ष्मी नारायण पन्ना ने “एनटीपीसी बोल रही है “, नरसिंह यादव ने ” 75 में थर्मल से बनाने बिजली आया एनटीपीसी बनकर एक निगम ” तथा शिवानी गुप्ता ने रिहंद स्थापना दिवस पर कविता सुनाकर श्रोताओं को सृजन सम्मेलन कक्ष में कार्यक्रम की समाप्ति तक बाँधे रखा।कार्यक्रम का संचालन सहायक प्रबंधक (राजभाषा एवं कार्पोरेट कम्यूनिकेशन) मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव तथा धन्यवाद ज्ञापन सीएसआर विभाग के सहायक प्रबंधक अरविंद कुमार शुक्ला ने किया । कार्यक्रम में मुख्य रूप से उप महाप्रबंधक (सीएसआर) एस पी गुप्ता आदि के साथ-साथ श्रोतागण उपस्थित थे ।

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