@भीम कुमार
दुद्धी। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षा योजना “प्रधानमंत्री आवास योजना” पर ग्रहण लगा हुआ है। केंद्र की सत्तारूढ़ मोदी सरकार ने हर गरीब को घर की पक्की छत देने का जो सपना दिखाया है उसके पूरा होने में बालू की बढ़ी हुई कीमतें रोड़ा अटका रही हैं। गरीबों के सिर पर पक्की छत का ख्वाब बालू की बढ़ीहुई कीमत के ढेर में बिखर रही है।
अभी तक इस योजना के तहत भवन का निर्माण शुरू नहीं हो सका है हालांकि योजना के तहत पहली किश्त लाभार्थियों के खाते में पहुंच चुकी है। बालू की आसमान छूती कीमत ने भवन निर्माण को पैदल कर दिया है। क्षेत्र में एक एक ट्रॉली बालू की कीमत 3 से 4 हजार रुपये बताई जा रही है जिससे इस योजना के लाभार्थियों को आवास निर्माण में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।भवन निर्माण के लिए पहली किश्त तो जारी हो चुकी है लेकिन बालू की वजह से निर्माण कार्य को अमली जामा पहनाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारी भी बालू न मिलने की बात कहते हुए अपनी गर्दन सीधी करने का प्रयास कर रहे हैं। खानापूर्ति के नाम पर कई लाभार्थियों की जमीन पर आवास से सम्बंधित ड्राइंग (नक्शा) बनाई गई है। वर्ष 2022 तक मोदी सरकार की हर गरीब को घर देने के इस सपने के पंख बालू की बढ़ी कीमत कतर रही है जिससे यह तय वर्ष 2022 तक इस योजना के पूरे होने में प्रश्नचिन्ह लग गया है।गरीबों को पक्के आशियाने मुहैया कराने के तहत मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री आवास योजना खटाई में पड़ती नजऱ आ रही है, कारण है आशियाने के लिए सबसे जरुरी बालू की बढ़ी कीमत। प्रदेश में अवैध खनन पर चाबुक चलने के बाद बालू के नए ठेके तो हुए लेकिन कीमत ने आसमान से बातें करना शुरू कर दिया। धनाढ्य लोगों के लिए तो कोई परेशानी नहीं है लेकिन सपनों का घर बनाने वाले मध्यम वर्गीय व गरीबों के लिए बालू की बढ़ी कीमत अभिशाप बनती जा रही है। सरकारी कृपा से पक्के घरौंदे में सोने की लालसा लिए प्रधानमन्त्री आवास योजना के लाभार्थी सबसे ज्यादा परेशान नजऱ आ रहे।जनपद में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास का लक्ष्य मिला था। इस योजना में लाभार्थियों को पहली किश्त भेजी जा चुकी है। इसके बावजूद निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है क्योंकि उचित कीमत पर बालू उपलब्ध नहीं है।
नगर पंचायत अधिशासी अधिकारी भारत सिंह दुद्धी का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जिन लाभार्थियों का चयन हुआ है उनको आवासीय रुपये आवंटित की जा चुकी है। परंतु बालू की वजह से कार्य रुका हुआ है जिसके बारे में उच्चाधिकारियों को भी अवगत करा दिया गया है। बहरहाल बालू के ढेर की तरह इन गरीबों के सपने भी न ढह जाएं इस ओर सरकार को भी सोचना पड़ेगा। किश्तें तो भेज दी जाती हैं, लेकिन उन्हें असल में क्रियान्वित करवाने के लिए हुक्मरानों को संजीदा होना पड़ेगा।
नगर पंचायत चेयरमैन राजकुमार अग्रहरी का कहना है कि बालू से संबंधित जिलाधिकारी अमित सिंह से समस्त सभासदों के साथ मिलकर जानकारी देते हुए कहा गया था कि बालू के उठान नदियों से स्थानीय लोगो के लिए चालू कराया जाए पर जिलाधिकारी ने कोर्ट का हवाला देते हुए साफ साफ मना कर दिए। जिसके वजह से अवैध खननकर्ताओं के लिए चांदी जैसा समय हो गया है। जिस बालू का रेट 8 सौ रुपये थे उस बालू को 4 हजार ट्राली में बेचा जा रहा है जब कि प्रसासन की मिली भगत से ही अवैध खनन कर बालू माफिया बेच रहे है।
समाजिक कार्यकर्ता सर्वेश मोहन (सोनू) का कहना है कि जब से भाजपा की सरकार बनी है तभी से बालू की समस्या उत्त्पन्न हुई है। इससे पहले बालू के लिए किसी भी महीने में कोई परेशानी नही हुआ करता था। स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता कुछ रुपये कमाने के चक्कर मे पूरे क्षेत्र के घरों में ग्रहण लागये हुए है जिससे लोगो मे काफी नाराजगी है कि आने वाले समय मे भाजपा के कार्यकर्ता कैसे वोट माँगते है।
सुरेंद्र अग्रहरी सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है कि सभी अधिकारी व स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता को एक बैठक कर निर्णय लेना चाहिए कि ऐसे स्थिति में बालू की समस्या दूर हो सके और पहले की तरह 8 सौ रुपये में बालू मिल सके।
मु0 शमीम अंसारी सदर जामा मस्जिद (पत्रकार) दुद्धी का कहना है सरकार किसी का भी हो स्थानीय लोगो को इस मसले पर सोचना चाहिए यहाँ की बालू प्रदेश के सभी जिलों में जाता है और स्थानीय लोगो को बालू की समस्या हो रही है। कभी इन चीजों पर अपना हक समझने वाले क्षेत्रीयजनों की जगह यह कतिपय धनाढ्य लोगों की तिजोरी तक कैद होकर रह गया है। जो रुपये के लालच में इस तरह का गंदे खेल खेलकर बालू परिवहन को बंद कराये हुए है जब कि कुछ लोग प्रशासन की मदद से अवैध खनन कर यहाँ का बालू बाहर भेजने में सफल हो रहे है।
बालकृष्ण जायसवाल सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है कि स्थानीय ट्रैक्टर संचालको के लिए किसी भी तरह का कोई खनन करने में रोक टोक नही करना चाहिए क्योंकि ट्रैक्टर से बहुत की किफायती रेट में स्थानीय लोगो को बालू मिल जाता है।