कनहर सिचाई परियोजना के विस्थापितों का नही सुन रहे अधिकारी, कब सुलझेगा विस्थापितों का मामला?

विस्थापितों ने ज्यादा गांव डूबने का जताई आशंका

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@भीमकुमार
दुद्धी। बहुउद्देश्यीय कनहर सिंचाई परियोजना का निर्माण कार्य बड़े ही सुचारू रूप से चल रहा है पर विस्थापितों का मामला कब सुलझेगा यह तो विस्थापितों के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है? आपको बता दे कि पिछले माह में परियोजना के चीफ ने निरीक्षण के दौरान कहा था कि अगले महीने में विस्थापितों का पैकेज बृद्ध,विधवा और विकलांगो को चिन्हित कर पैकेज वितरण किया जाएगा पर यहाँ तो खेल कुछ और का चल रहा है जब कि विस्थापित प्रतिदिन प्रारूप 6 का फॉर्म लेकर तहसील के चक्कर लगाने में मशगूल है की जल्द से जल्द मुवावजे मिल सके।

कनहर सिचाई परियोजना के विस्थापितों का मानना है कि कुछ गांव ऐसे है जिन्हें सरकार ने डूब क्षेत्र में लिया ही नही है जब कि सर्वे के दौरान प्रसासन द्वारा बहुत बड़ी चूक हुआ है पर इसको मानने के लिए स्थानीय प्रशासन तैयार नही है। जब कि प्रसासन ने 3910 विस्थापितों की सूची बनाई है जिसमे 2160 विस्थापितों को पैकेज वितरण हुआ है। बाकी बचे विस्थापितों को कनहर सिचाई परियोजना के बन जाने के पूर्व तक पैकेज बट जाएगा कि नही यह एक विस्थापितों के लिये बड़ी सवाल है?

कनहर सिचाई परियोजना का प्रत्येक माह में मंत्री व विधायको का निरीक्षण करना आम बात हो गया है बताया जाता है कि जब से भाजपा सरकार बनी है तब से किसी न किसी बहाने मंत्री व विधायकों का परियोजना का चक्कर लगाना आम बात हो गया है जब कि विस्थापित अपनी समस्या हर नेताओ से सुनाई पर विस्थापितों के समस्याओं को लेकर कोई भी विधायक या मंत्री हक की बात नही किया है।

विस्थापित नेता फनेश्वर जायसवाल, पंकज गौतम,इदरीस अंसारी ने कहा कि स्थानीय प्रशासन की लापरवाही से विस्थापितों का पैकेज वितरण नही किया जा रहा है जिसकी जिम्मेदारी तहसील प्रशासन की है। और कहा कि स्थानीय विस्थापितों को पैकेज नही मिल पाया है जबकि क्षेत्र से बाहर रहने वाले विस्थापित अपने जुगाड़ बनाकर अधिकारियों से मिलीभगत कर सात लाख 11 हजार का चेक लेकर बाहर निकलने में कामयाब हो गए जिसे प्रसासन की अनदेखी से स्थानीय विस्थापित को कड़ी मश्क्कत झेलनी पड़ रही है।

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