वर्चस्व को लेकर हुई चोपन चैयरमैन की हत्या

खनन को लेकर पहली बार तड़तड़ाई गोलियां 

सफेदपोश खनन माफियाओं का चलता है सिक्का

नेताओ , अधिकारियों व खादान स्वामियों के है सिंडिकेट

सोनभद्र(रवि पांडेय) कभी नक्सलवाद से पीड़ित रहे सोनभद्र में 25 अक्तूबर 18 की सुबह के सालों के बाद गोलियों की तड़तड़ाहट हुई लेकिन इस बार गोलियां भाड़े के शूटरों ने सपा नेता नगर पंचायत चैयरमैन इम्तियाज अहमद पर बरसाई।  पिछले दो बार से चैयरमैन और बड़े खनन व्यवसाई इम्तियाज़ अहमद पर खनन के वर्चस्व को लेकर गोलियां चली जिसमे इलाज के लिये अस्पताल आने से पूर्व ही चैयरमैन की मौत हो गयी। जिले में खनन व्यवसाय में कूटरचना और अड़ंगेबाजी को लेकर जिले में काफी अरसे से पंचायते और गुंडई का खेल चलता रहा है लेकिन किसी व्यवसाई पर पहली बार हमला हुआ जिसमे चोपन के चैयरमैन को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा ।

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इस हत्याकांड में खनन प्रतिद्वंद्वी वाराणसी के भाजपा के पूर्व विधायक रवीन्द्र जायसवाल के करीबी राकेश जायसवाल के साथ जिले के खनन व्यवसाई रवि जालान  व चार अज्ञात के नाम से नामजद एफआईआर चैयरमैन के भाई  व चोपन ब्लॉक् प्रमुख के पति उस्मान अली ने लिखवाई है। 

बहुत कम समय मे  हासिल की थी सफलता : – 

मूल रूप से इलाहाबाद के मांडा के रहने वाले इम्तियाज अहमद के पिता मजनू भाई चार दशक पहले व्यवसाय करने चोपन आ  थे। भाइयो के साथ यहां आभूषण व कपड़े सिलाई की दुकान से परिवार चलाने वाले मजनू भाई के यहां काफी संघर्ष के बाद मझले बेटे इम्तियाज ने खनन के व्यवसाय में हाथ आजमाना शुरू किया । वर्ष 2001आते आते इम्तियाज़ ने खनन पट्टो में हिस्सेदार बन अपनी स्थिति मजबूत कर ली। इसके बाद खनन के व्यवसाय में कभी हिस्सेदार तो कभी सगे संबंधियों के नाम पट्टे हासिलकर इम्तियाज़ ने अपनी आर्थिक और सामाजिक स्थिति काफी मजबूत कर ली। जिले के खनन में पूर्व की सरकारों में अनियमितताओं ने नये नये कीर्तिमान स्थापित किये जिसके छींटे  इम्तियाज़  के दामन पर भी पड़े और अवैध खनन कर्ताओ की सूची में इम्तियाज से जुड़े खनन पट्टो का नाम आया।

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रातों रात अमीर बनने की चाहत ने बनाया खनन को खूनी अखाड़ा :- 

किसी दूसरे व्यवसाय की तुलना में सबसे अधिक लाभ मिलने वाले खनन में रातों रात अमीर बनने के चक्कर मे वर्ष 2004 के समय काला खेल शुरू हुआ। अधिकारियों नेताओ व खनन माफियाओं का एक गठजोड़ बना जो जिले के खनन को एक नई राह पर लेकर चल पड़ा जिसमे मुनाफा लाखों से शुरू ही करोड़ों तक जा पहुंचा जिसकी परिणीति में आज चोपन चैयरमैन की हत्या तक हो गयी। जिले के खनन में कूटरचना और अड़ंगेबाजी से शुरू हुए रातोरात अमीर बनने की खबर जब राजधानी लखनऊ पहुंची तो तदकालीन सपा सरकार के खनन मंत्री शिवपाल यादव की शह पर खनन पट्टो में हिस्सेदारी का दौर शुरू हुआ। इस दौर में जिसकी पैठ अधिकारियों और नेताओं में थी उसने मनमाने तरीके से खनन पट्टे हासिल किये और इनकी आड़ में अवैध खनन का खेल शुरू हुआ।वर्ष 2007 में मायावती की सरकार में अधिकारियों और सफेदपोश खनन माफियाओं के गठजोड़ ने हिस्सेदारी से मिलने वाले मुनाफे को लखनऊ को भी शामिल कर लिया और खनन मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के इशारे पर आरपी जायसवाल और बाद में पॉन्टी चड्ढा ( दोनों की अब मृत्यु हो चुकी है) की निगरानी में सारा खेल चलता रहा। खनन से होने वाली नोटों की बरसात में भले ही नियम कानून की धज्जियां उड़ती रही औरआये दिन निर्दोष श्रमिक अपनी जान से हाथ धोते रहे लेकिन अधिकारियों ,जनप्रतिनिधियों और सफेदपोश खननमाफ़ियाओं की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता था।खनन का काला खेल अखिलेश यादव की सरकार में खनन मंत्री गायत्री प्रजापति की शह पर चलता रहा और जिले से लोकायुक्त में खनन को लेकर शिकायतें भी हुई लेकिन नोटों की धमक के आगे सब बेकार हो पहले से अधिक हिस्सेदारी लेकर लखनऊ ने इस काले खेल को जारी रखा। 

योगी सरकार का भी दामन हो गया काला :- 

खनन के भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर चुनाव में जोरदार बहुमत हासिल कर जब सूबे में भाजपा की सरकार बनी और मुखिया के कुर्सी पर योगी आदित्यनाथ बैठे तो एकबारगी लगा कि अब जिले के खनन में डेढ़ दशक से चल रहा काला खेल खत्म हो जायेगा लेकिन व्यवसाइयों की उम्मीद उस समय चूर चूर हो गयी जब पांच साल बाद योगी सरकार द्वारा की अस्तित्व में आयी खनन नीति को ध्वस्त करते हुए खनन माफियाओं ने मनमाने तरीके से बालू के पट्टे हासिल कर लिए। जिले में वर्ष 2017 में हुए अल्पकालिक खनन पट्टो की आड़ में पूर्ववर्ती सरकार में अवैध काम करने वाले एक बार फिर से योगी सरकार में भी हावी हो गये और मनमानी करने लगे। योगी सरकार में खनन में मनमानी करनेवाले सफेदपोशों ने सफल होने पर यहाँ के जनप्रतिनिधियों के साथ सूबे की खनन मंत्री अर्चना पाण्डेय को भी प्रभाव में लेने में सफल रहे और सब कुछ पिछली सरकारों की भांति चलने लगा। 

योगी के प्रयासों को दिया झटका , परिणाम में हुई हत्या :- 

पूर्व सरकारों में हुए खनन के भ्रष्टाचार की कालिख से बचने के लिये योगी सरकार ने विगत 30 जून 18 को कैबिनेट में हुए फैसले को लेकर एक दिशानिर्देश जारी किया था जिसका अनुपालन खनन निदेशालय ने आजतक नही किया। सफेदपोश खनन माफियाओं ,अधिकारियों और नेताओं के कथित गठजोड़ जिसका उल्लेख योगी कैबिनेट ने अपने आदेश में भी किया है ,के प्रभाव में आकर मनमाने तरीके से खनन पट्टो के आवंटन की प्रक्रिया सम्पन्न कराई गई और उसकी आड़ में कूटरचना और अड़ंगेबाजी बदस्तूर चलती रही जिससे सफेदपोशों की टकराहट बढ़ गयी और परिणामस्वरूप चोपन चैयरमैन की हत्या का परिणाम सामने आया।

  चैयरमैन ने  जताई थी हत्या की आशंका :- 

बहुत कम समय मे पैसे के साथ राजनैतिक कद बढ़ा चुके चैयरमैन इम्तियाज़ ने अपने करीबियों से व्यवसाय में कभी हिस्सेदार रह चुके राकेश जायसवाल से जान का खतरा बताते हुए हत्या की आशंका जताई थी। गौरतलब हो कि इम्तियाज़ की भांति राकेश जायसवाल  ने भी बहुत कम समय मे खादानो में हिस्सेदारी व सगे संबंधियों के नाम खनन पट्टे हासिल कर अपना रसूख बढ़ाया है। मायावती सरकार में खनन मंत्री रहे बाबूसिंह कुशवाहा के करीबी माने जाने वाले  गोरखपुर जिले के बरहज विधायक स्व आरपी जायसवाल के जरिये खनन में अपनी पैठ काफी मजबूत करने वाले राकेश जायसवाल की इम्तियाज़ के साथ कई खनन पट्टो में साझेदारी भी थी लेकिन पिछले तीन सालों से दोनों के बीच बढ़ते वर्चस्व को लेकर रिश्ते बिगड़ गये थे। भाड़े के शूटरों द्वारा गोली मारने के बाद घायल चैयरमैन ने रास्ते मे एम्बुलेंस में अपने भाई व करीबियों से एक बार फिर राकेश जायसवाल का नाम लेकर हत्या कराने की बात कही।

प्रशासन निभाता है अहम भूमिका :- 

जिले के खनन में स्थानीय प्रशासन यानी जिलाधिकारी की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती है जिलाधिकारी की शह पर ही सफेदपोश खनन माफियाओं और नेताओं का गठजोड़ मनमानी करता है जिसके एवज में यह गठजोड़ अधिकारियों को मालामाल करते हैं। खनन में जब कोई अधिकारीे इस गठजोड़ की मनमानी पर अंकुश लगाने की कोशिश करता है तो उसे प्रताड़ित किया जाता है या फिर उसका तबादला करा दिया जाता है।

बिहार व झारखण्ड से जुड़े है हत्या के तार :- 

पुलिस अधीक्षक किरीट राठौड़ का कहना है कि  चैयरमैन इम्तियाज अहमद के हत्या के तार बिहार और झारखण्ड से जुड़े हुए है। परिजनो की एफआईआर के अनुसार खनन व्यवसायी राकेश जायसवाल पुत्र स्व . कैलाश चन्द्र  और रवि जालान पुत्र स्व. निरंजन जालान समेत चार अज्ञात के खिलाफ धारा 147 , 148 , 302 व 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज है। इसे  व्यवसायिक प्रतिद्वंदिता  मानते हुए जांच की जा रही है। इस हत्या में बदमाश के पास से कन्ट्री मेड कार्बाइन और पिस्टल व चार खोखा बरामद हुआ है। 

हाई प्रोफाइल होता जा रहा है चेयरमैन हत्या मामला :- 

पुलिस ने इम्तियाज अहमद की हत्या में पकड़े गए बदमाश का इलाज सरकारी अस्पतालों में न कराके निजी हास्पिटल ने कराया और वाराणसी के लिए वहाँ के चिकित्सकों ने रेफर कर दिया। जिसके विरोध समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष और पूर्व सदर विधायक व प्रवक्ता अविनाश कुशवाहा ने किया तो जिलधिकारी नाराज हो गए। वही जिले में चल रही बालू खदानों में भारतीय जनता पार्टी के एक सांसद का नाम आने से यह हत्या मामला हाई प्रोफाइल होता जा रहा है।  

आरोपियों के सगे संबंधियों के नाम है इतनी खदानें :-

राकेश जायसवाल पुत्र कैलाश चन्द्र जायसवाल निवासी s-9/474C पाण्डेयपुर, वाराणसी व रवि जालान पुत्र निरंजन जालान इन दोनों खनन व्यवसायियों का नाम चैयरमैन इम्तियाज़ के भाई उस्मान अली ने नामजद एफआईआर लिखवाई है । आरोपी खनन व्यवसाइयों के सगे संबंधियों के नाम लगभग दर्जन भर खदानें हैं।गत जून माह में जिले में खनन के आवंटन के लिए खदानों की नीलामी की प्रक्रिया शुरू की गई है जिसमे मनमाने तरीके से जिला प्रशासन काम कर रहा है जिसके तार इस हत्याकाण्ड से जुड़ता नजर आ रहा है। 

 सुशील ग्रिट कारपोरेशन  श्याम बिहारी पुत्र शंकर राम पटेल , निवासी ओबरा व आरती जायसवाल पत्नी राकेश जायसवाल पाण्डेयपुर, 

केके स्टोन प्रोडक्ट्स राजेश कुमार जायसवाल पुत्र कैलाश चन्द्र जायसवाल आराजी संख्या 7536 अवधि  23 .04.2003 से 22.04.2013  

सोन विकास समिति सचिव रवि जालान  पुत्र निरंजन जालान निवासी रॉबर्ट्सगंज आराजी संख्या 4949ख व 5006 क अवधि 23.12.2006 से 22.12.2016 

सार्थक सेवा समिति सचिव विप्लव जालान पुत्र रवि जालान निवासी रॉबर्ट्सगंज, आराजी संख्या 4478छ अवधि 23 .12.2006 से 22.12.2016 

निरंजन सेवा समिति सचिव राहुल पाण्डेय पुत्र बलदेव पाण्डेय निवासी रॉबर्ट्सगंज आराजी संख्या 5593क अवधि 23.12.2006 से 22.12.2016

वैभव सेवा समिति सचिव श्रीमती मीरा जालान पत्नी रवि जालान निवासी रॉबर्ट्सगंज आराजी संख्या 7347 क अवधि 23.12.2006 से 22.12.2016।

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