यहां शुद्ध पेय जल की बात मत करिये साहब,गला तर करने को केवल पानी चाहिये

*चुहाड का एक किमी दूर से पानी लाकर प्यास बुझाते है खजूरी गांव के ग्रामीण
पंकज सिंह/रोहित सिंह की विशेष रिपोर्ट @sncurjanchal
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पानी रे पानी तेरा रंग कैसा।जिसमे मिला दो लगे उस जैसाजी हाँ शोर फिल्म का यही गाना मुफीद बैठता है सोनभद्र जिले में।म्योरपुर ब्लाक के नव सृजित ग्राम पंचायत बनमहरी के  राजस्व गांव खजूरी ,कोटा के सैकड़ो ग्रामीण आजादी के 72 साल बाद भी चुहाड का पानी पीने के लिए विवश हैं।आजादी के बाद कितनी सरकारे आयी और गयी।कितनो ने आश्वासन दिया पर समस्या का हल आज तक नही निकला।रिहंद डैम से निकल कर जंगल किनारे बसे साढ़े सात सौ आबादी वाले इस गांव में तीन हैड पम्प जरूर लगे है पर गांव की बस्ती  इतनी दूर दूर है कि लोग वहां तक नही पहुँच पाते।
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सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता सत्य नारायण यादव जी बताते है यह गांव पहले गड़िया मे शामिल था।पिछले दिनों बनमहरी में शामिल हो गया।गांव में कोई सुबिधा नही है।न ही किसी ने आज तक सुधी ली।सत्य नारायण यादव जी ने कहा के “ये सियासत की तवायफ का दुपट्टा है।ये किसी के ऑसुओ से तर नही होता”।गांव के चरित्र,इन्द्रमानिया, मोहित लाल, उर्मिला देवी, विमलेश यादव, रमेश, किरण कुमारी, मीणा देवी, सुनील  रमता देवी ओम प्रकाश बताते है ,चुहाड का पानी पीना हम सब की नियति बन गयी है किससे गुहार लगाई कौन सुनता है।महिलाएं घंटो पानी लाने में ही बीता देती है ऐसे में काम काज भी प्रभावित होता है।कहा कि हम पेपर रेडोयो के माध्यम से सुनते है सरकार शुद्ध पानी की ब्यवस्था के लिए आज कल आरओ लगवा रही है।और हम लोग गला तर करने के लिए गंदा पानी पीने को मजबूर हैं।
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सवाल उठाया कि हम क्या भारत के नागरिक नही है हमारा कसूर क्या है।कहा कि जल निगम या ब्लाक के अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों को सब पता है पर हम लोगो की आवाज कोई सुनता कहा है।केवल वोट के लिए ही पूछ होती है इसके बाद किसी का दर्शन नही होता मांग उठाई की प्रशासन हम लोगो को पेय जल की समस्या  हल करें।अन्यथा हम लोग आने वाले समय मे मतदान का बहिष्कार करेंगे। मामले को लेकर सहायक विकास अधिकारी पंचायत रविदत्त मिश्र का कहना है कि मामला संज्ञान में नही है। समस्या है तो ग्रामीणों को लिखित ब्लाक कार्यालय में देना चाहिये।

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