रामजियावन गुप्ता
बीजपुर/सोनभद्र जुलाई महीने में रोक के बावजूद रिहन्द जलाशय से मछली मारने का सिलसिला रुकने का नाम नही ले रहा बिभागीय मिली भगत से कई कई कुंतल मछली रोज मारी जा रही है जिसके कारण प्रजनन अवस्था में दुर्लभ प्रजाति के मछलियों का सफाया होता जा रहा है। धंधेबाज शाम होते ही बड़े बड़े जाल और दर्जनों नाव ले कर रिहन्द जलाशय में उतर जाते हैं पूरी रात जाल बिछा कर छोटी और बड़ी नाव के सहारे प्रति दिन कई कई कुंतल मछली मार के कोलकाता और अंबिकापुर, छतीसगढ़ के मंडियों में भेज कर बेचने का गोरख धंधा बेरोक टोक संचालित करने में लगे हुए हैं। गौरतलब हो कि जुलाई और अगस्त महीने में मछलियां प्रजनन अवस्था में होती है जिसके कारण सरकार के निर्देशानुसार मछली के शिकार पर दो माह प्रतिबन्ध रहता है बावजूद विश्व की धरोहर रिहन्द जलाशय से मछली का कारोबार शिकारियों के लिए मुफीद अस्थान बना हुआ है जब कि दो माह पूर्व ही ठेकेदार का टेंडर भी समाप्त हो चूका है बावजूद प्रजनन काल में मछली का शिकार धड़ल्ले से किया जा रहा है।सूत्रों पर भरोसा करें तो जलाशय की निगरानी के लिए बिभाग ने कई फिशर मैन और मत्स्य बिकास अधिकारी की नियुक्ति कर रख्खी है इनके पास मोटर बोट के अलावा नाव और जलाशय के किनारे चक्रमण करने के लिए वाहन भी होते है बावजूद बिभाग आज तक एक भी अबैध शिकारी को न तो पकड़ा गया और न ही कोई कानूनी करवाई की गयी। मिली जानकारी के अनुसार क्षेत्र के झीलों, महरीकला, एनटीपीसी रिहन्द के बोट पॉइण्ट, एसआर पावर प्लांट के पम्प हाउस, खम्हरिया, धुमादाढ़, करौटी, आदि स्थानों पर अँधा धुंध मछली मारने और पिकप से लोड कर बाहर की मंडियों में भेजने का गोरखधंधा बेरोक टोक चलवाया जा रहा है।इसबाबत मत्स्य विकाश अधिकारी ओमकार नाथ भारती से जब जानकारी मांगी गयी तो उन्हों ने बताया कि हमारे पास स्टाप नही हैं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी से फिसर मैन का काम ले रहा हू फिर भी जाँच की जाये गी और करवाई होगी।अब तक की गयी करवाई के बाबत उन्हों ने कहा कि कोई करवाई नही हुई है।
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