भाजपा सरकार में उत्पादन निगम के दागी निदेशक वीएस तिवारी को भ्रस्टाचार की खुली छूट

बिना टेंडर आईएल पलक्कड़ को बिजली घर मरम्मत का ठेका देने पर जुटे वीएस तिवारी.

#ऊर्जा मंत्री और एमडी की दागी अफसर को खुली छूट

#जाते-जाते खेल में जुटा दागी ऊर्जा निदेशक.

लखनऊ :। जिस पर हरदुआगंज पावर हाउस हादसे में एफआईआर, प्रमुख सचिव श्रम ने मुकदमा चलाने की दो बार चिट्ठी लिखी, सीबीआई जांच के दायरे में आई फर्म को जो अधिकारी नियमों को किनारे रख ठेका देने पर अमादा अब वह केंद्र की सार्वजनिक कंपनी में मलाईदार कुर्सी पर बैठेगा।बिजली उत्पादन निगम के दागी निदेशक विद्या सागर तिवारी पर ऊर्जा मंत्री और एमडी बुरी तरह फिदा हैं। सस्ती जासूसी फिल्मों के खलनायक की तरह मातहत इंजीनियरों को कोड संदेश भेज मनमाने काम कराने वाला यह निदेशक ऊर्जा मंत्री की मेहरबानी से अब और मलाई चाटेगा।

सीबीआई, सीएजी, इंजीनियरों की राय को दरकिनार कर बिना टेंडर आईएल पलक्कड़ कंपनी को बिजली घर मरम्मत का ठेका देने पर आमादा विद्या सागर तिवारी

खबर है कि सोनभद्र मे हर हाल में सीबीआई, सीएजी, इंजीनियरों की राय को दरकिनार कर बिना टेंडर आईएल पलक्कड़ कंपनी को बिजली घर मरम्मत का ठेका देने पर आमादा विद्या सागर तिवारी ने केंद्र की पीएसयू मे गोटी सेट कर ली है। पीएसयू मे अपनी नौकरी पक्की जान विद्या सागर तिवारी ने योगी सरकार से एनओसी मांगी है. अब तक इस अधिकारी पर रहमतों की बारिश करनेवाले ऊर्जा मंत्री और उत्पादन निगम के एमडी एक बार फिर इसे उपकृत करने जा रहे हैं. नियमों के खिलाफ बिना खुली निविदा आमंत्रित किए आईएल पलक्कड़ को बिजली घर मरम्मत का ठेका देने पर जुटे वीएस तिवारी का खेल अभी उत्पादन निगम में खत्म नहीं हुआ है. वह अब भी गुड बाय गिफ्ट के तौर सीबीआई की चपेट में आई इस कंपनी को लाभ पहुंचाने की जुगत भिड़ा रहा है।

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भाजपा की योगी सरकार ने कार्यों में पारदर्शिता के लिए जिस टेंडर प्रक्रिया को सभी विभागों के लिए अनिवार्य कर दिया था उसी टेंडर प्रक्रिया को ठेंगा दिखाते हुए उसके ऊर्जा विभाग ने मनमाने तरीके से निजी स्वार्थों के चलते केवल ऑफर लेटर पर अपने मनपसंद फर्म को काम देने की हर संभव प्रयत्न कर रही है. सीएजी आडिट रिपोर्ट के बाद जिस काम को टेंडर के माध्यम से दिया जा रहा था उसको अब ऑफर लेटर लेकर काम देने की प्रक्रिया शुरू की गई है. मजेदार बात यह है कि जब चीफ इंजीनियर द्वारा खुली निविदा के पक्ष में रिपोर्ट लगाई जाती है तो अपने मकसद को पूरा करने के लिए निदेशक तकनीकी बीएस तिवारी व अन्य अपने प्रभाव से दबाव डालकर उनसे भी इसको खारिज करा दिया गया और संपूर्ण पत्रावली को यह कहते हुए निदेशालय पर मंगा लिया गया की अब इसका निस्तारण निदेशालय पर किया जाएगा और निदेशालय पर मोल भाव करके दिया जाएगा।

उत्पादन निगम के तकनीकी निदेशक बीएस तिवारी का कारनामा इस पत्र से उजागर होता है जिसमें उन्होंने पत्रावली को मोलभाव करने की बात करते हुए निदेशालय पर मंगाया. ताज्जुब की बात यह है यह सारा प्रकरण मंत्री और प्रबंध निदेशक के संज्ञान में होने के बावजूद इस पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है, बल्कि नीरव मोदी की तर्ज पर विभाग छोड़ केंद्रीय पीएसयू कंपनियों का दरवाजा खटखटा एनओसी के लिए विभाग में पत्र दे चुके बीएस  तिवारी को विभाग एनओसी देने की तैयारी में है.। बीएस तिवारी जिस ढंग से खुलेआम निर्भीक होकर अपने कामों को अंजाम दे रहा है इससे साबित होता है उसके इस काम में विभागीय मंत्री व प्रबंध निदेशक की भी सहमति हो सकती है।
सौजन्य से अफसरनामा ब्यूरो

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