ना बिजली,ना पानी,ना खाद्य सुरक्षा ,यही है आदिवासी परिवार की कहानी

अभी भी चुआड़ का पानी पीता है यह चेरो परिवार

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@भीम कुमार
(दुद्धी)सोनभद्र।। आजादी के 70 वर्ष बीत जाने के बावजूद दुद्धी तहसील मुख्यालय से 4 किलोमीटर की दूरी पर पिपरडीह ग्राम सभा के शाहपुर गाँव का एक आदिवासी परिवार ऐसा है जिसको न बिजली की सुविधा है ,ना ही पानी की सुविधा है और ना ही राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा का ही लाभ मिलता है जिसके कारण इस परिवार को कठिन संघर्षो से जूझना पड़ रहा है ।यह परिवार आज भी चुआड़ का पानी पीने को मजबूर हैं वह भी नदी के उस पर से पानी लाना पड़ता है।यदि बरसात में नदी का पानी बढ़ जाये और पानी का स्तर जल्दी ना घटे तो निश्चित तौर पर इस परिवार को सीधे नदी का बरसाती पानी ही पीना पड़ेगा जो इस परिवार के लिए बीमारी का कहानी बनेगा ।पिन्टु चेरो (जंगली)के साथ उसकी पत्नी व उसके 6 बच्चे एक कच्चे मकान में रहते है।पिन्टू चेरो पुत्र मनदीप चेरो
पत्नी का नाम देवन्ती देवी
बच्चे 6  राकेश ,दिनेश व बृजेश
किरन, सुमन ,रीना जो बियावान जंगल का रूप है वहाँ पर किसी प्रकार की कोई व्यवस्था नही है।पट्टे पर मिली जमीन पर घर बनाकर रहता है और खेती बाड़ी करता है  जो पैदा हो गया तो हो गया नही तो मेहनत करके ही जीना है ।प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का भी लाभ नही मिल पाया है ।

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इस परिवार को ,शौचालय भी नही मिला है ,खुले में शौच करना मजबूरी है । पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के सपनो को पूरा करने के उद्देश्य से गरीबो के बीच अपनी पैठ बनाने वाले ,उनके सुख दुःख में शामिल होने वाले भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला महामंत्री सुरेन्द्र अग्रहरि  ने उस परिवार की स्थिति को जब देखा तो अफसोस जाहिर किया लेकिन वादा किया कि तुमको सरकार द्वारा चलाई जा रही सभी योजनाओं का लाभ दिलाऊँगा ।बिजली वहाँ तक नही पहुँचने तक सोलर लाइट की व्यवस्था अपनी ओर से कराने को कहा और पीने के पानी के लिए फिलहाल हाथ से होने वाले बोरिंग की व्यवस्था बनाने की बात कहा और खण्ड विकास अधिकारी से मिलकर राशनकार्ड,शौचालय और प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का लाभ दिलवाने की बात कही।

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लेकिन एक बात गौर करने लायक है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात आज भी कुछ ऐसे परिवार है जिनको सरकार की योजनाओं का लाभ नही मिल पा रहा है इसके लिए अधिकारियों की निष्क्रियता ही जिम्मेदार है। सुरेन्द्र अग्रहरी ने बताया कि अरहर,मक्का,तिल्ली जैसे खेती उत्पादन के लिए आर्थिक सहयोग किया गया जिससे चेरो परिवार को जीने का सहारा मिल सके।

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