साहित्य के समग्र विकास के बिना राष्ट्र और समाज का विकास असंभव- विजय कुमार त्रिपाठी

पुस्तके भेंट कर किया सम्मानित

सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)। धर्म, संस्कृति, साहित्य और शिक्षा के समग्र विकास के बिना राष्ट्र और समाज का उन्नयन संभव नहीं। यह बातें रविवार को देर शाम शिक्षाविद, डाला इंटर कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य एवं साहित्यकार विजय कुमार त्रिपाठी ने एक अनौपचारिक वार्ता में हमारे विषय संवाददाता से बातचीत करते हुए कही।उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र की मजबूती और संविधान की रक्षा उपरोक्त विधाओं में सामग्र ज्ञान अर्जन के बाद ही संभव है। श्री

त्रिपाठी ने साहित्य को समाज का दर्पण बताते हुए कहा कि साहित्यकारों के लेखन और उनके साहित्यिक सर्जना का की प्रतिफल है कि हम आज अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर नाज करते हैं ‌। वहीं भाजपा नेत्री एवं प्रखर समाजसेविका शशि त्रिपाठी ने उनके विचारों को बल प्रदान करते हुए कहा कि देश , काल और समाज हित में काम करने के लिए साहित्य और संस्कृति से जुड़ाव रखना जरूरी है तभी हम सही मन में अपने उद्देश्य को सफलीभूत कर सकेंगे। इस दौरान सोन साहित्य संगम के निर्देशक एवं वरिष्ठ पत्रकार पंडित मिश्रा प्रसाद द्विवेदी ने उन्हें कुछ पुस्तकें भेंट कर उनके साहित्यिक एवं शैक्षणिक उपलब्धियां के लिए प्रोत्साहित करते हुए सम्मानित किया। इस मौके पर किरन द्विवेदी, अनुषिका, आनंद द्विवेदी, अंश आनंद द्विवेदी आदि मौजूद रहे।

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