सिर में दृढ़ता से रहना चाहिए स्वदेशी का विचार : डॉ हेडगेवार

— 82 वीं पुण्यतिथि पर याद किए गए संघ संस्थापक

सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)। छपका खण्ड के बभनौली कला की वीर सावरकर शाखा के स्वयंसेवकों ने मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आद्य सरसंघचालक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार का स्मरण किया । एक अनौपचारिक कार्यक्रम में शाखा कार्यवाह छोटे लाल ने बताया कि डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार नें 1939 में ही स्वदेशी , स्वाभिमान और स्वावलंबन पर स्वयं सेवकों से बैठकों में खुली चर्चा करते थे । इस राष्ट्र को परम वैभव तक ले जाने के लिए संगठित हिन्दू समाज की अनिवार्यता को स्वीकार्य करते हुए विश्वबंधुतत्व को रेखांकित करते थे । भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए संगठन की शक्ति की प्रखरता के लिए दैनिक शाखा की अनिवार्यता को भली

भाँति समझाते थे । आज उनकी 82वीं पुण्यतिथि पर हम सभी उन्हें नमन करते है । संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष में प्रशिक्षित होकर आए शाखा के सह मुख्य शिक्षक दिनेश जी ने स्वयंम सेवकों से कहा कि 21 जून , 1940 को 9 बजकर 27 मिनट पर डॉ साहब अंतिम सांस लिए थे । सायं 5 बजे शवयात्रा निकली थी जिसमें भारी संख्या में नागरिक शामिल हुए थे । श्रद्धांजलि देने वालो का तांता लगा रहा । सह जिला संघ चालक भोलानाथ ने मंगलवार को बताया कि डॉ साहब भारतीय संस्कृति के परम उपासक थे। वह कर्मठ , सत्यनिष्ठ ,और राष्ट्रवादी होने के साथ- साथ एक स्वतंत्रचेता भी थे । उन्होंने हिंदुओं में नई चेतना जागृत करने के लिए उल्लेखनीय कार्य करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की । डॉ हेडगेवार ने स्वयंसेवकों से एक बार कहा था स्वदेशी कपड़े , स्वदेशी वस्तुएं , स्वदेशी टोपी तो आवश्यक है ही किंतु यह सब शरीर को ढाकने वाले आवरण मात्र हैं । टोपी के नीचे स्थित सिर में स्वदेशी का विचार दृढ़ता से रहना चाहिए । दृढ़ता , स्वदेशी स्वाभिमान व स्वावलंबन को हर कार्यकर्ता को अपने जीवन में उतारना चाहिए ।

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