श्रद्धांजलि सभा कर वरिष्ठ पत्रकार दादा पी के राय को किया गया याद

विशाल हृदय के पत्रकार थे दादा पीके राय : के.विक्रम राव

सोनभद्र । वरिष्ठ पत्रकार दादा पीयूष कांति राय (पीके राय) को प्रदेश की राजधानी लखनऊ और सोनभद्र के पत्रकारों ने शोक सभा आयोजित कर श्रद्धांजलि अर्पित की। दादा को लखनऊ में जहां यूपी प्रेस क्लब सभागार में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में विभिन्न पत्रकार संगठनों के पदाधिकारियों, वरिष्ठ पत्रकारों, साहित्यकारों, समाजसेवियों ने श्रद्धांजलि अर्पित कर उनको याद किया। वही रॉबर्ट्सगंज के अखाड़ा मोहाली स्थित वरिष्ठ पत्रकार मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी के आवास पर आकस्मिक श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर उन्हें याद करते हुए शत-शत नमन किया गया। शोक सभा में इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग

जर्नलिस्ट्स (आईएफडब्लूजे) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के.विक्रम राव ने दादा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि दादा विशाल हृदय के पत्रकार थे। वे संगठनों से ऊपर उठकर पत्रकार हित की बात सोचते थे और कार्य करते थे। उन्होंने बताया कि प्रेस काउन्सिल आफ इण्डिया के लिये अलग-अलग संगठन से होने का बावजूद उन्होंने और हमने साझा रिट हाईकोर्ट में दायर की थी। उन्होंने कहा कि हमारा और पीके राय का लम्बा साथ रहा वे ‘द हिन्दू’ मे थे और हम ‘टाइम्स आफ इण्डिया’ में काम करते थे। पत्रकार हित के मामले में हम एक हो जाते थे। यूपी जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा) के पूर्व अध्यक्ष वीर विक्रम बहादुर मिश्र ने कहा कि कोई व्यक्ति ऐसे ही दादा नहीं हो जाता है। उसे व्यक्तित्व की विशेषताओं के कारण ही यह नाम मिलता है और दादा में वे सब विशेषताएँ थीं जो एक सफल पत्रकार

और सफल व्यक्ति में होती हैं। उन्होने कहा कि दादा उस दौर के पत्रकार थे जब लेखनी की पत्रकारिता होती थी। तब
जुबानी पत्रकारिता नहीं थी। आज उस पीढी के लोग जा रहे हैं। उस समय अपनी भावनाओं और घटनाओं के व्यक्त करने का एक मात्र साधन लेखनी थी। उन्होंने कहा कि दादा की कमी हमेशा महसूस होगी। उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष हसीब सिद्दीकी ने कहा कि दादा के साथ उनकी वैचारिक भिन्नता थी, उनका संगठन और हमारा सगठन अलग था। इसके बावजूद दादा से उनकी व्यक्तिगत तौर बहुत अच्छी मित्रता थी। दादा उम्र में बड़े थे, लेकिन उनका व्यवहार मित्रवत रहता था। उनका व्यक्तित्व बहुत प्रभावशाली और आकर्षक था। वे जब मिलते थे तो बहुत प्रसन्नता के साथ मिलते थे। उन्होंने बताया कि कई ऐसे अवसर आये जब दादा ने पत्रकार संगठन से ऊपर उठकर फैसले लिये। वे बहुत अच्छे पत्रकार के साथ बहुत अच्छे व्यक्ति थे और उतने ही अच्छे यूनियन लीडर भी थे। श्री सिद्दीकी ने कहा कि उन्हें व्यक्तिगत तौर पर दादा की कमी बहुत अधिक खलेगी। उपजा के प्रदेश महामंत्री राधेश्याम लाल कर्ण ने कहा कि दादा के साथ उन्होंने 1999 से काम करना शुरु किया। वे हमेशा संगठन के काम के लिए प्रोत्साहित करते थे। यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन के प्रदेश महासचिव प्रेमकांत तिवारी ने कहा कि हमने दादा के रूप में एक अच्छे पत्रकार को तो खोया ही है, एक अच्छे ट्रेड यूनियन लीडर को भी खो दिया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचार प्रमुख नरेन्द्र सिंह ने कहा कि दादा ने संघ के साथ जुड़कर कार्य
किया। कार्यक्रम में कलाकुंज भारती के संपादक पदमकांत शर्मा, यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन के मंडल अध्यक्ष शिव शरण सिंह, उप निदेशक सूचना राजेश राय, साहित्यकार शरद मिश्र, पत्रकार मनोज मिश्र,राजीव शुक्ल, मुकुल मिश्रा, अशोक मिश्रा, विश्वदेव राव, सुनील त्रिवेदी, राजीव वाजपेयी, सुशील सहाय समेत अनेक पत्रकारों ने श्रद्धासुमन अर्पित किये। शोक सभा का संचालन उपजा के पूर्व महामंत्री सर्वेश कुमार सिंह ने किया। इसी तरह सोनभद्र में भी श्रमजीवी पत्रकार यूनियन से जुड़े वरिष्ठ पत्रकारो मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी, भोलानाथ मिश्र,राजेश द्विवेदी, कमाल अहमद, प्रभात सिंह चंदेल, विवेक पांडेय, राकेश शरण मिश्र, संजीव श्रीवास्तव, सेराज हुसैन, सर्वेश श्रीवास्तव, पंकज देव पांडेय, रमेश कुमार कुशवाहा, आशुतोष कुमार सिंह आदि ने भी दादा की कालजयी और बहु उपयोगी पत्रकारिता को याद करते हुए उन्हें अपनी गहरी श्रद्धांजलि व्यक्त की और उन्हें एक सफल संगठन कर्ता बताया।

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