
वैदिक विधिशास्त्र के अन्वेषण की नितांत आवश्यकता: डॉ कृष्ण गोपाल
सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)- जनपद सोनभद्र के निवासी और काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी में विधि संकाय में एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर अनूप पाण्डेय ने रविवार को बताया कि 11 दिसंबर, शनिवार को वैदिक विज्ञान केन्द्र, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में वैदिक विधिशास्त्र, वैदिक गणित एवं वैदिक विज्ञान पर अकादमिक डिप्लोमा पाठ्यक्रमों का उद्घाटन और काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के नव नियुक्त अध्यक्ष और सदस्यों का अभिनन्दन एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने मुख्य अतिथि के रूप में विचार व्यक्त करते हुए कहा की आज हमें भारतीय न्यायशास्त्र एवं विधिशास्त्र की नए आयाम में युगानुकुल व्याख्या करने की आवश्यकता है। उन्होंने प्राचीन भारतीय तंत्र में धर्म की महत्ता व सर्व प्रमुखता का उल्लेख करते हुए कहा कि राजा पर भी धर्मदण्ड प्रभावी होता था। आपने “धर्मो रक्षति रक्षितः” की व्याख्या करते हुए धर्म को सत्य के ऊपर भी प्रभावी सिद्ध किया। कहा, कर्त्तव्य आधारित समाज जिसमे लोग स्वधर्म में रत हो वहाँ अधिकार व मानवाधिकार का प्रश्न नगण्य हो जाता है और कर्त्तव्य बोध स्वतः ही अधिकार प्रदान करता है। आपने विवाह सूक्त के आधार पर विवाहिता के सामाग्री स्वरुप तथा प्रास्तिथि का भी उल्लेख किया। आपने वैदिक दर्शन में पर्यावरण चिंतन के सन्दर्भ में पृथ्वी एवं नदियों की मातृ-स्वरुप में व्याख्या की तथा “एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति” सूक्तवाक्य आधारित एक तत्व की परिकल्पना के एकम्-एकम् सिद्धांत की महत्ता का उल्लेख किया। आपने त्याग मूलक उपभोग की अवधारणा तथा चार्वाक दर्शन की स्वीकारोक्ति भारतीय सहिष्णुता की परंपरा में स्व उपस्तिथि का प्रमाण माना। आपने वैदिक विज्ञान केन्द्र के कार्यों की सराहना तथा भावी योजनाओ के लिए अपना शुभाशीष दिया। इस मौके पर काशी क्षेत्र के अनेकानेक विद्वान एवं धर्म व संस्कृत से जुड़े प्रबुद्ध जन मौजूद रहे।
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