सोनभद्र।समाज के गरीब और उत्पीड़ित वर्गों को लेकर संवेदनशील होने की जरूरत है उक्त बातें बिरसमुंडा फाउंडेशन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के निर्देशक प्रतिमा शाक्य ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कही। श्रीमती शाक्य ने कहा कि असमानताओं को कम करना और मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने की जरूरत है, भारत ही नहीं पूरे विश्व में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मानवाधिकार की सार्वभौमिक घोषणा को लागू करने तथा अपनाने की जरूरत है संस्थान के सचिव रोनिका शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि 10 दिसंबर मानवाधिकार दिवस के रूप में 1948 संयुक्त राष्ट्र की स्थापना का सबसे पहला काम था जो मानवाधिकार के लिए पारित प्रस्ताव को अपनाया आम लोगों को सम्मान देने के साथ जीने का अधिकार ही मानवाधिकार है कार्यक्रम को वरिष्ठ समाजसेवी एवं संस्थान के संरक्षक शांता भट्टाचार्य ने कहा कि एक इंसान के रूप में हर कोई हकदार है और इनमें जाति रंग लिंग, भाषा ,राजनीति ,देश और जन्म के आधार पर किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए एक इंसान होने के नाते मिलने वाले अधिकारों से वंचित नहीं रखा जा सकता है कार्यालय प्रभारी शबाना राईन ने कहा कि मानव के पास जो भी उसका अधिकार खाना, अच्छा रोजगार ,आजादी के साथ जीने का अधिकार है वही मानवाधिकार है उपस्थित लोगों के बीच मानवाधिकार पर चर्चा हुई जिसमें सर्वोत्तम चर्चा करने वाले रुक्मणी को साल भेंट कर संस्थान के निदेशक प्रतिमा शाक्य ने सम्मानित किया , कार्यक्रम में धनेश्वरी, पार्वती ,लक्ष्मी ,संगीता कुमारी ,आदि दर्जनों महिलाएं उपस्थित रहे कार्यक्रम का संचालन शांत भट्टाचार्य ने किया। कार्यक्रम छपका गांव में किया गया।